Skip to main content

किसान आंदोलन को बदनाम करने की साजिश

 


                                  ध्वस्त होंगी 

           किसान आंदोलन को बदनाम करने की साजिशें


संयुक्त किसान मोर्चा ने अपने एक विशेष वक्तव्य में स्पष्ट कर दिया है कि वह किसान आंदोलन में आई शहीद महिला के लिए इंसाफ की लड़ाई के साथ खड़ा है। संयुक्त किसान मोर्चा प्रतिनिधियों ने साफ कहा है कि आंदोलन में किसी महिला के साथ कोई बदसलूकी कत्तई बर्दाश्त नहीं होगी।

         मीडिया और सोशल मीडिया में पिछले महीने टिकरी बॉर्डर पर बंगाल से आई एक महिला साथी के साथ बदसलूकी की घटना की खबर के बारे में संयुक्त किसान मोर्चा यह साफ कर देना चाहता है की वह अपनी शहीद महिला साथी के लिए इंसाफ की लड़ाई के साथ खड़ा है। संयुक्त किसान मोर्चा ने पहले ही इस मामले में आरोपियों के खिलाफ कार्यवाही की है और हम इंसाफ की इस लड़ाई को मुकाम तक पहुंचाएंगे।

 यह साथी बंगाल से 12 अप्रैल को "किसान सोशल आर्मी" नामक एक संगठन के कुछ लोगों के साथ टिकरी बॉर्डर पहुंची थी। दिल्ली के रास्ते में और दिल्ली पहुंचने के बाद उसके साथ उन लोगों ने बदसलूकी की।  एक सप्ताह बाद उस महिला को बुखार हुआ, अस्पताल में दाखिल किया गया लेकिन 30 अप्रैल को कोविड के कारण उसकी दुखद मृत्यु हो गई।

जैसे ही यह बात हमारे नोटिस में आई वैसे ही संयुक्त किसान मोर्चा की कमेटियों ने इस पर रायकर सख्त कार्यवाही करने का फैसला किया। मोर्चा की टिकरी कमेटी के फैसले के मुताबिक "किसान सोशल आर्मी" नामक संगठन के टेंट और बैनर आदि चार दिन पहले ही हटा दिए गए थे। मोर्चा के मंच से इस घटना के आरोपियों को आंदोलन से बहिष्कृत करने और उनके सामाजिक बहिष्कार की घोषणा हो चुकी है। संयुक्त किसान मोर्चा ने यह स्पष्ट कर दिया है की यह संगठन कभी भी संयुक्त किसान मोर्चा का अधिकृत सोशल मीडिया  प्रतिनिधि नहीं था, और अब से इसके किसी भी हैंडल का हमारे आंदोलन से कोई संबंध नहीं रहेगा।

संयुक्त किसान मोर्चा ने महिला के परिवार को पहले दिन से आश्वस्त किया है की वे इस मामले में इंसाफ के लिए जो कानूनी कार्यवाही करना चाहे उसमें संयुक्त किसान मोर्चा उनका पूरा सहयोग करेगा। कल दिनांक 8 मई को उनके पिताजी ने बहादुरगढ़ पुलिस थाने में इस बारे में एक औपचारिक शिकायत दर्ज करवा दी है जिसके आधार पर एफ आई आर दर्ज हो चुकी है। संयुक्त किसान मोर्चा इस जांच में पुलिस का पूरा सहयोग करेगा और इस मामले में किसी को भी नहीं बख्शा जाएगा।

बड़ी संख्या में महिलाओं की भागीदारी और उनका नेतृत्व इस किसान आंदोलन की एक अनूठी ताकत है। हम हर महिला किसान और महिला संगठनों को आश्वस्त करना चाहते हैं की किसी भी महिला की स्वतंत्रता पर कोई आंच नहीं आएगी और उनके साथ किसी भी तरह का दुर्व्यवहार या हिंसा बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। आंदोलन में औरतों की खुली और पूरी भागीदारी हो सके इसका माहौल बनाना इस आंदोलन के नेतृत्व की जिम्मेदारी है। आगे से ऐसी घटना को रोकने के लिए संयुक्त किसान मोर्चा एक समिति बनाएगा जिसके सामने महिलाओं से बदसलूकी का हर मामला पेश किया जाएगा।

जारीकर्ता - 

बलवीर सिंह राजेवाल, डॉ दर्शन पाल, गुरनाम सिंह चढूनी, हन्नान मौला, जगजीत सिंह डल्लेवाल, जोगिंदर सिंह उग्राहां, युद्धवीर सिंह, योगेंद्र यादव, अभिमन्यु कोहाड़

                                   ★★★★★★★

Comments

Popular posts from this blog

मुर्गों ने जब बाँग देना छोड़ दिया..

                मत बनिए मुर्गा-मुर्गी! एक आदमी एक मुर्गा खरीद कर लाया।.. एक दिन वह मुर्गे को मारना चाहता था, इसलिए उस ने मुर्गे को मारने का बहाना सोचा और मुर्गे से कहा, "तुम कल से बाँग नहीं दोगे, नहीं तो मै तुम्हें मार डालूँगा।"  मुर्गे ने कहा, "ठीक है, सर, जो भी आप चाहते हैं, वैसा ही होगा !" सुबह , जैसे ही मुर्गे के बाँग का समय हुआ, मालिक ने देखा कि मुर्गा बाँग नहीं दे रहा है, लेकिन हमेशा की तरह, अपने पंख फड़फड़ा रहा है।  मालिक ने अगला आदेश जारी किया कि कल से तुम अपने पंख भी नहीं फड़फड़ाओगे, नहीं तो मैं वध कर दूँगा।  अगली सुबह, बाँग के समय, मुर्गे ने आज्ञा का पालन करते हुए अपने पंख नहीं फड़फड़ाए, लेकिन आदत से, मजबूर था, अपनी गर्दन को लंबा किया और उसे उठाया।  मालिक ने परेशान होकर अगला आदेश जारी कर दिया कि कल से गर्दन भी नहीं हिलनी चाहिए। अगले दिन मुर्गा चुपचाप मुर्गी बनकर सहमा रहा और कुछ नहीं किया।  मालिक ने सोचा ये तो बात नहीं बनी, इस बार मालिक ने भी कुछ ऐसा सोचा जो वास्तव में मुर्गे के लिए नामुमकिन था। मालिक ने कहा कि कल से तुम्हें अंडे देने होंगे नहीं तो मै तेरा

ये अमीर, वो गरीब!

          नागपुर जंक्शन!..  यह दृश्य नागपुर जंक्शन के बाहरी क्षेत्र का है! दो व्यक्ति खुले आसमान के नीचे सो रहे हैं। दोनों की स्थिति यहाँ एक जैसी दिख रही है- मनुष्य की आदिम स्थिति! यह स्थान यानी नागपुर आरएसएस- राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की राजधानी या कहिए हेड क्वार्टर है!..यह डॉ भीमराव आंबेडकर की दीक्षाभूमि भी है। अम्बेडकरवादियों की प्रेरणा-भूमि!  दो विचारधाराओं, दो तरह के संघर्षों की प्रयोग-दीक्षा का चर्चित स्थान!..एक विचारधारा पूँजीपतियों का पक्षपोषण करती है तो दूसरी समतामूलक समाज का पक्षपोषण करती है। यहाँ दो व्यक्तियों को एक स्थान पर एक जैसा बन जाने का दृश्य कुछ विचित्र लगता है। दोनों का शरीर बहुत कुछ अलग लगता है। कपड़े-लत्ते अलग, रहन-सहन का ढंग अलग। इन दोनों को आज़ादी के बाद से किसने कितना अलग बनाया, आपके विचारने के लिए है। कैसे एक अमीर बना और कैसे दूसरा गरीब, यह सोचना भी चाहिए आपको। यहाँ यह भी सोचने की बात है कि अमीर वर्ग, एक पूँजीवादी विचारधारा दूसरे गरीबवर्ग, शोषित की मेहनत को अपने मुनाफ़े के लिए इस्तेमाल करती है तो भी अन्ततः उसे क्या हासिल होता है?..  आख़िर, प्रकृति तो एक दिन दोनों को

जमीन ज़िंदगी है हमारी!..

                अलीगढ़ (उत्तर प्रदेश) में              भूमि-अधिग्रहण                         ~ अशोक प्रकाश, अलीगढ़ शुरुआत: पत्रांक: 7313/भू-अर्जन/2023-24, दिनांक 19/05/2023 के आधार पर कार्यालय अलीगढ़ विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष अतुल वत्स के नाम से 'आवासीय/व्यावसायिक टाउनशिप विकसित' किए जाने के लिए एक 'सार्वजनिक सूचना' अलीगढ़ के स्थानीय अखबारों में प्रकाशित हुई। इसमें सम्बंधित भू-धारकों से शासनादेश संख्या- 385/8-3-16-309 विविध/ 15 आवास एवं शहरी नियोजन अनुभाग-3 दिनांक 21-03-2016 के अनुसार 'आपसी सहमति' के आधार पर रुस्तमपुर अखन, अहमदाबाद, जतनपुर चिकावटी, अटलपुर, मुसेपुर करीब जिरोली, जिरोली डोर, ल्हौसरा विसावन आदि 7 गाँवों की सम्बंधित काश्तकारों की निजी भूमि/गाटा संख्याओं की भूमि का क्रय/अर्जन किया जाना 'प्रस्तावित' किया गया।  सब्ज़बाग़: इस सार्वजनिक सूचना के पश्चात प्रभावित गाँवों के निवासियों, जिनकी आजीविका का एकमात्र साधन किसानी है, उनमें हड़कंप मच गया। एक तरफ प्राधिकरण, सरकार के अधिकारी और नेता अखबारों व अन्य संचार माध्यमों, सार्वजनिक मंचों से ग्रामीणों और शहर