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Showing posts from October, 2020

कुछ अलग थी इस बार- गांधी जयंती, शास्त्री जयंती

गांधी-शास्त्री जयंती:                                                                    अलग थी इस बार              महात्मा गाँधी और लाल बहादुर शास्त्री की जयंती! इस बार गाँधी जयंती कुछ अलग थी।... यूँ कहें तो ज़्यादा ठीक होगा कि इस बार गाँधी जयंती उत्सव मनाने वाली, औपचारिकता निभाने वाली न थी!...  लोगों ने इस बार महात्मा गांधी की प्रतिमाओं पर सिर्फ़ फूल और मालाएँ ही नहीं चढ़ाईं, अपने हृदय के आँसुओं से उन्हें धोया भी! इस बार पता नहीं क्या कुछ अलग था गाँधीजी की प्रतिमाओं में कि लोगों को लगा कि यह महात्मा उपाधिधारी प्रतिमा बोल पड़ती तो कितना अच्छा होता! शायद अब असहाय से होने लगे हैं लोग!...उन्हें अपने पर भी विश्वास नहीं रहा, न उन धरना-प्रदर्शनों पर...जिन्हें इस बार गाँधी जयंती पर लोगों ने ज़्यादा किए! इस बार गाँधी जयंती पर कुछ दलों/संगठनों ने मौनव्रत रखने में ही अपनी भलाई समझी!..शायद उनके मन में रहा होगा- किसे सुनाएँ?...कौन सुनेगा?? लेकिन कुछ अन्य संगठनों ने अपनी व्यथा सुनाई!...अपने दर्दे-ग़म का इज़हार किया!.. गाँधी जयंती पर उठीं आवाज़ों में इस बार बच्चियों/महिलाओं पर बलात्कार और हत

#बलात्कार क्यों होते हैं?

नज़रिया:                  बलात्कार और यौन-हिंसा क्यों बढ़ रही है?.. जी, कोई सरल उत्तर नहीं है इसका!...लेकिन वह उत्तर तो नहीं है जो आम तौर पर दिया जाता है और जिसके लिए रोज फाँसी से लेकर अंग-विच्छेदन तक की आदिमयुगीन सलाह से सोशल मीडिया मनोरंजन करता रहता है!.. यह एक सामान्य बात है कि बिना कारण के कार्य नहीं होता। अगर बलात्कार, यौन-हिंसा, बेरोजगारी, अपराध बढ़ रहे हैं और इनमें कोई तारतम्यता है तो इनके कारणों में तारतम्यता होगी।                 एक उदाहरण से यह बात अच्छी तरह समझी जा सकती है। हम देखते हैं कि न केवल कमजोर सामाजिक-आर्थिक वर्गों के लोग इसके शिकार होते हैं बल्कि इनके अपराधी भी अधिकांश इन्हीं वर्गों से आते हैं!...क्यों? यही वह पेंच है जहाँ से न केवल इसके कारणों की पड़ताल की जा सकती है बल्कि इसकी रोकथाम के उपाय भी ढूँढे जा सकते हैं। हम देखते हैं कि शिकार अथवा शिकारी उच्च वर्ग के लोग अधिकांशतः इससे बचे होते हैं या इससे बच जाते हैं तो उसका कारण उनमें किसी ब्रह्मचर्य के तेज का होना न होकर अपनी ज़िंदगी के प्रति उनमें जागरुकता और चिंता है। किसी भी ऐसे अपराध में फँसने से होने वाले नफ़े-नुक़सान क