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केवल संख्या बल नहीं!

               केवल संख्या बल नहीं!.. केवल संख्या से कुछ नहीं होगा हिंदुस्तानियों.. अंग्रेज़ तुमसे बहुत कम थे अन्य देशों से आकर राज क़ायम करने वाले दूसरे शत्रु भी! कबूतर हमेशा नहीं उड़ जाया करते बहेलिए का जाल लेकर!.. इन दिनों ही देखो, कितने कम हैं तुम पर  राज करने वाले उनसे भी बहुत कम हैं राज का ताज पहनाने वाले! अगर तुम नहीं समझ सकते ताज़ का राज़ और अपनी गुलामी का कारण तो समझने की कोशिश करो... मत लड़ो उनके इशारों पर और सोचो कि लोकतंत्र कैसे बना है  और कितना बचा है! इतना तो समझ सकते ही हो पुष्पक विमान की कल्पना बहुत आगे बढ़ चुकी है चन्द्रमा और मंगल सिद्ध हो चुके हैं अपूर्ण पृथ्वी! पृथ्वी पर रहने वालों मनुष्यों खुद को बचाओ अपने ही बीच के शत्रुओं से जो जानवर बन खा जाना चाहते हैं तुम्हें निगल जाना चाहते हैं यह  पृथ्वी स्वर्गादपि गरीयसी भस्मासुर बनकर!... लेकिन वह पौराणिक कथा है सच में तो कहानियों का इस्तेमाल से राज और ताज दोनों सुरक्षित हैं!                   ★★★★★★

अशांत मन की भड़ास

             एक सन्तमन के शांति-शांति उपदेश पर                           अशांत मन की भड़ास                                  -- अशोक प्रकाश यदि अन्यायी अत्याचारी किसी कमजोर पर अत्याचार करे आप शांत रहें क्योंकि वह आप पर अत्याचार नहीं कर रहा और जब वह आप पर अत्याचार करे तो दूसरे को शांत रहने का उपदेश दें क्योंकि वह उस पर अत्याचार नहीं कर रहा... झूठ और गलत है 'अन्याय और अत्याचार से  कम दोषी  नहीं होते अन्याय -अत्याचार सहने वाले...' सही और मान्य है अन्याय और अत्याचार की  आध्यात्मिक परिभाषा!.. सब ऊपर वाले की मर्ज़ी से होता है... उसी की मर्ज़ी से तो ही आखिर तोता भी बोलता है! तोताराम रहिए शांति-शांति कहिए!                             ☺️☺️☺️☺️☺️☺️

परीक्षा की तैयारी के कुछ जरूरी टिप्स: हिन्दी के विद्यार्थियों के लिए!

परीक्षा की तैयारी     online_classes                              कम समय में              कैसे करें परीक्षा की बेहतर तैयारी? कम समय में परीक्षा की तैयारी कैसे करें  ?   इस वर्ष से उत्तर प्रदेश के विश्वविद्यालयों में स्नातक प्रथम वर्ष का पाठ्यक्रम 'सेमेस्टर-सिस्टम' के हिसाब से तैयार किया गया है। एक वर्ष में दो सेमेस्टर या सत्र होने हैं। इन दोनों ही सत्रों का पाठ्यक्रम पूरी तरह अलग होगा। ऐसे में कोरोना-काल में विश्वविद्यालय/महाविद्यालय प्रायः अध्ययन-अध्यापन के लिए 'भौतिक रूप से बन्द' होने के चलते पाठ्यक्रम की तैयारी में विद्यार्थियों को परेशानी होना स्वाभाविक है। विद्यार्थियों के लिए #ऑनलाइन पढ़ाई की व्यवस्था का प्रचार किया जा रहा है, किन्तु इसके लिए  आधारभूत व्यवस्था न होने के चलते यह सुचारू रूप से नहीं चल पा रही है। सारे विद्यार्थियों के पास न तो उपयुक्त मोबाइल की व्यवस्था होती है, न ही इंटरनेट की। सभी अध्यापक भी ऑनलाइन तरीके से पढ़ाने में पारंगत नहीं होते। इसके बावजूद विद्यार्थियों की मजबूरी है कि वे 'ऑनलाइन' पढ़ाई करें। इसके अलावा अभी प्रवेश के बाद पढाई की व्यवस्

ये किसकी जीत ये किसकी हार?..

              तंत्रलोक के किस्से यार                           --  अशोक प्रकाश तंत्रलोक के किस्से यार ये किसकी जीत ये किसकी हार! इक हौली में चार पियक्कड़ अक्कड़ बक्कड़ लाल बुझक्कड़ तय है वादा तय है रोना तय है खोना तय है सोना तय है किस पर पड़नी मार... ये किसकी जीत ये किसकी हार! रामसिंह के रमरजवा नौकर किसके पेट पे किसकी ठोकर चार हजार में कर मज़दूरी रामसिंह कहें ये मजबूरी किसके सइकिल किसके कार... ये किसकी जीत ये किसकी हार! खेती-बाड़ी मुश्किल काम न दिन आराम न रात आराम खाद-बीज-पानी के चक्कर राधा-कृष्ण बने घनचक्कर उमर हो गई सत्तर पार... ये किसकी जीत ये किसकी हार! बड़का लड़का पड़ा बीमार नौकरी-चाकरी कुछ न यार छोटकी की पहले परवाह कैसे होगा इसका ब्याह? क्षीण पड़ रही जीवन-धार... ये किसकी जीत ये किसकी हार!               ★★★★★

'कुरुक्षेत्र' आज का: रामधारीसिंह 'दिनकर'

                        कुरुक्षेत्र आज का मानव सभ्यता के इतिहास में स्वार्थों और महात्त्वाकांक्षाओं ने असंख्य लोगों की बलि ली है। न जाने कितने राजा-महाराजा, नवाब-बादशाह असीमित मानवता के खून से सने हुए हाथ लेकर ही कालावधि में बिला गए। यहाँ तक कि जिन्होंने स्वयं को 'ईश्वर अंश' और 'भगवान' घोषित किया-कराया, वे भी न जाने कितने संहारों के बाद स्वयं भी काल-कवलित हो गए। न जाने कितनी मायाएँ रची गईं, धरती का कोना-कोना न जाने कितनी आहों-कराहों का साक्षी है। इनमें अधिकांशतः आम जनजीवन के लोग ही प्रभावित हुए हैं, राजा-नवाब तो विरल थे- विरल ही अपने कर्मों की सजा पाए हैं। यह लोभ-लिप्सा आज भी नहीं गई। दो विश्वयुद्धों ने इसका भयावह प्रमाण दिया है।...और आज?...इस इक्कीसवीं सदी में?...वह कौन है जो त्राहि माम त्राहि माम कर कराह रहा है और वह कौन है जो इन कराहों का व्यापार-व्यवसाय कर मुनाफ़ा पीट रहा है? चाहे कोरोना वैक्सीन के नाम पर हो या इस बहाने किए जाने वाले अन्य व्यवसायों  के नाम पर, बहुराष्ट्रीय कंपनियों का बढ़ता मुनाफ़ा बहुत से सवाल  खड़े करता है। इनका जवाब शायद ही कभी मिले!  'राष्ट्रकवि

मई-दिवस: इससे पहले कि...

●●●● मई दिवस पर:                                 इससे पहले कि...                                                   - अशोक प्रकाश    इससे पहले कि वे जानवर जैसी ज़िंदगी के लिए मजबूर कर दें दुनिया को समझो और देखो कि इंसान कीड़ा-मकोड़ा, जानवर नहीं ज्ञान-विज्ञान के सहारे  इन पर विजय पाने वाला धरती का सबसे ताकतवर प्राणी है... इससे पहले कि उनके बनाए, बताए, समझाए भूत-प्रेत, ओझा-सोखा, भगवान विषाणु-कीटाणु-शैतान  तुम्हें निगल जाएँ सत्य का हथौड़ा उठाओ और  प्रहार करो उस अपराधी दिमाग पर जो पूँजी के हथियार से  खत्म कर देना चाहता है सारी दुनिया जिसमें इंसान भी है और विज्ञान भी  सिर्फ़ अपने लालच और मुनाफ़े की हवस के लिए.... इससे पहले कि वे तहस-नहस कर दें धरती और उसकी सारी खूबसूरती इनकार कर दो उनकी सारी शर्तें  उघाड़ दो उनके अपराध उसकी सारी परतें जान और मान लो कि बढ़ती मुसीबतों का कारण तुम खुद नहीं, तुम्हारी मेहनत नहीं उनके मन का विकार- तुम्हारे ज्ञान पर छाया अंधकार है.... इससे पहले कि वे तुम्हें फिर जाति-धर्म-क्षेत्र-देश के नाम पर बहकाएँ तुम्हारी मेहनत-मजू

लॉकडाउन: वो जा रहे हैं...

                                   वो जा रहे हैं...                                                    - अशोक प्रकाश वो जा रहे हैं तुम संभालो अपनी दिल्ली तुम्हारे दिमाग में घुसा वायरस न जाने फिर कब फट पड़े!.. उन्होंने जब-जब तुम पे भरोसा किया धोखा खाया... समझते हो कि सच सिर्फ़ तुम समझते हो सच कोई फ़िल्मी हीरो नहीं है ज़नाब वह हारता भी है तुम कितना भी लिख लो कहीं भी - सत्यमेव जयते! माना कि तुम्हारा राज है सड़कें भी तुम्हारी हैं रेल भी खाना-पीना सोना-जागना सब तुम्हारे अधीन है मगर सपने- मत छेड़ो उन्हें वे जग गए तो कहीं के न रहोगे जनाबे-आली! तुम्हारा जीतना ही तुम्हारी हार है तुम नहीं मानोगे इतिहास को भी नहीं स्वीकारोगे... लेकिन हो सके तो आंखें खोलकर देख लो वे जा रहे हैं तुम्हारे सारे प्रतिबंधों तुम्हारे आकाओं के सारे उपबन्धों को तोड़कर... डरो तुम और तुम्हारे मालिकान सदियों उन्होंने डर को हराया है डराने वालों को धूल चटाया है अजेय समझे जाने वाले राजाओं-महाराजाओं को ही नहीं- एक से एक क्रूर और खूंखार जानवरों को मार गिराया है.. सावधा