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संघर्षों-शहादतों की यादों का महीना

                  पेरिस कम्यून और शहीद भगत सिंह एवं उनके                          साथियों को याद करने का महीना                                                            - अशोक प्रकाश                  Picture Courtesy: marxist.com मार्च का महीना हिंदुस्तानियों के लिए ही नहीं, पूरी दुनिया की शोषित-पीड़ित जनता के लिए खास महीना है! यह कार्ल मार्क्स, पेरिस कम्यून, मैक्सिम गोर्की,  शहीद भगत सिंह और उनके साथियों, अवतार सिंह पाश को याद करने का महीना है।       मार्च के ही महीने में 18 मार्च 1871 को आधुनिक दुनिया की सच्ची आज़ादी की आकांक्षा को व्यक्त करने वाली पेरिस कम्यून बनी जिसमें किसी भी प्रकार के भेदभाव को भुलाकर मज़दूरों ने राजसत्ता को हराकर अपनी सरकार बनाई और जिससे दुनिया भर की पूँजीवादी ताकते घबरा उठीं!..भले ही यह कम्यून मात्र दो माह तक चल पाया और फ्रांस के चालबाज़ शासक को समझने में विफल होने के कारण पराजित हो गया! किन्तु इसके बाद इसके अनुभवों से सबक लेते हुए आगे दुनिया के अनेक देशों में क्रान्तियां हुईं और मजदूरों-किसानों की समाजवादी सरकारें बनीं!..सच है कि 'पेरिस कम्यून मजद

5 मई जन्म-दिवस: कार्ल मार्क्स और मार्क्सवाद

मार्क्स जन्म-दिवस, 5 मई:                          कार्ल मार्क्स और         मार्क्सवाद की दुनिया को देन                                                      दुनिया के सामाजिक-आर्थिक जीवन को अब तक के इतिहास में सर्वाधिक प्रभावित करने वाले कार्ल हेनरिख मार्क्स का जन्म 5 मई, 1818 को जर्मनी के ट्रेवेश (प्रशा) नगर में हुआ था। उनका परिवार यहूदी धर्म को मानने वाला था। बाद में सन 1824 में इस परिवार ने ईसाई धर्म स्वीकार कर लिया। आर्थिक अभावों से गुजरते हुए मार्क्स ने वर्ग-विषमता और वर्ग-संघर्ष के सूत्र विकसित कर शोषित-पीड़ित दुनिया की आम जनता की मुक्ति का वैज्ञानिक रास्ता दिया। यह दिखाया कि न तो दुनिया हमेशा ऐसी ही रही है, न आगे भी ऐसी ही रहने वाली है। मनुष्य ने अपने संघर्षों से इस दुनिया को यदि बेहतर से बेहतर बनाया है तो अपनी ज़िंदगी के लिए भी मुक्ति के द्वार खोले हैं। जिस तरह डार्विन ने जैव प्रकृति में विकास के नियम का पता लगाया था, वैसे ही मानव-इतिहास में मार्क्स ने विकास के नियम का पता लगाया था। इस नियम ने ऐतिहासिक द्वन्द्वात्मक भौतिकवाद का जो सूत्र सर्वहारा के हाथ में थमाया उससे युगों