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ऐय्याशियों का महल खड़ा करने वाले किस नेता को जिताएंगे आप?

                        किसको लड़ाना, हराना,                     जिताना चाहते हैं?    जहाँ देखो, जिधर देखो...जय,जय,जय! इस बाबा की जय, उस बाबा की जय! इस भगवान की जय, उस भगवान की जय! तो तुम भगवान को जिताने के लिए 'जयकारे' लगाते हो? जयकारे नहीं लगाए तुमने तो हार जाएंगे क्या भगवानजी?... और अब भगवान का जयकारा लगाते-लगाते चुनावों में जय-जय होने लगी? ये नेतालोग भगवान हैं क्या? जरा इन नेताओं के आचरण देखो भाइयों-बहनों, किन्हें भगवान बना रहे हो??...लोकतंत्र का बेड़ा ग़र्क़ करके अपनी ऐय्याशी के महल खड़े करने वाले नेताओं का जयकारा लगाते आप लोगों को जरा भी शर्म नहीं आती?... फिर क्या मतलब है इस जय का? यही तो न कि कोई जीते, कोई हारे?.. तो इसके लिए तो संघर्ष या युद्ध भी होगा ही न?.. किसको लड़ाना, हराना या जिताना चाह रहे हैं...युद्ध में झोंकना चाह रहे हैं? वो कौन है जिसके हारने से तुम डर रहे हो और जीतने की कामना कर रहे हो? वो कौन है जो युद्ध कर रहा है, लड़ाई के मैदान में है और तुम्हें उसका उत्साहवर्धन करना है? क्या किसी मैदान में कोई खेल हो रहा है, तुम वहाँ हो और सोच रहे हो कि तुम्हारे उत्साहवर्धन से

क्या सचमुच तीनों कानून 'गैर-संवैधानिक' हैं?..

काला कानून, कितना काला!           क्या हैैं कृषि संबंधित तीनों कानून?             क्या सचमुच ये संवैधानिक नहीं हैं?                                            आलेख :  एडवोकेट   आराधना  भार्गव                                                                       नए लाए गये तीनों कृषि संबंधित कानूनों का विवाद खत्म होने के बजाय बढ़ता जा रहा है। दिल्ली की सीमाओं के साथ-साथ देश के दूसरे कई स्थानों पर किसान इन कानूनों को रद्द करने की मांग के साथ धरने पर बैठे हैं। प्रस्तुत है किसान संघर्ष समिति की मध्यप्रदेश उपाध्यक्ष एडवोकेट आराधना भार्गव के विचार:-   तीनों कृषि कानून इसलिए रद्द किये जाने चाहिये क्योंकि भारत के संविधान के भाग 4 अनुच्छेद 48 में कृषि राज्य का विषय है, और राज्य के विषय पर केन्द्र का कानून बनाना गैर संवैधानिक है। देश संविधान से चलना चाहिए, सरकार की मर्जी से नही। तीनों कानूनों को हमें एक दूसरे से जोड़कर देखना होगा। कृषि (सशक्तिकरण और संरक्षण) कीमत अश्वासन और कृषि सेवा करार अधिनियम 2020 जिसे हम बोलचाल की भाषा में बंधुवा किसान कानून कहते हहैैं, इसमें पीड़ित पक्षकार न्याय पालिका का