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Showing posts from April, 2023

गिरफ़्तार हो ब्रजभूषण शरण सिंह!

      चाल-चरित्र-चेहरा सब बेनक़ाब                              फिर भी.. ★ महिला पहलवानों के यौन शोषण मामले में भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष की गिरफ्तारी हो : नारी चेतना मंच ★ जब महिला पहलवानों को न्याय नहीं तो आम महिलाओं को कैसे मिलता होगा न्याय ? रीवा, मध्यप्रदेश। दिल्ली के जंतर मंतर में महिला पहलवानों ने भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह के ऊपर यौन शोषण का आरोप लगाते हुए उनके विरुद्ध एफ आई आर दर्ज करने और उन्हें तत्काल प्रभाव से पद से हटाने की मांग को लेकर धरना दे रखा है । आंदोलनरत महिला पहलवानों के समर्थन में नारी चेतना मंच की नेत्री डॉ श्रद्धा सिंह एवं श्वेता पांडे ने कहा है कि यह अत्यंत गंभीर यौन शोषण का आपराधिक मामला है जिस पर तत्काल गिरफ्तारी के साथ कड़ी से कड़ी कार्यवाही होना चाहिए। यूपी की कैसरगंज लोकसभा सीट से भाजपा के टिकट पर जीते बृजभूषण शरण सिंह कुल 6 बार के सांसद हैं. वह पिछले 11 साल से भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बने बैठे हैं। वह खुद को 'शक्तिशाली' कहते हैं। बृजभूषण के बेटे प्रतीक भूषण भी पिछले दो बार से गोंडा सदर से विधायक चुने जा र

नरक की कहानियाँ: ~ इक मुट्ठी आसमां

                   इक मुट्ठी आसमां             चाँद छुपता क्यों नहीं?           ट्रेन के बाहर मौसम बड़ा खुशगवार था। खिड़की से पूनम का चाँद यात्रियों के साथ-साथ चलता नज़र आ रहा था। चलते हुए चाँद का खिड़की के पास बैठा एक यात्री वीडियो बनाने लगा। दिल्ली से गाड़ी चले आधा घण्टा हो चुका था और आरक्षित डिब्बे के यात्री जबरन घुस आए डेली पैसेंजरों से एडजस्ट कर चुके थे। कुछ यात्री अभी भी खडे थे किंतु अधिकांश डिब्बे में पहले से बैठे यात्रियों से सटकर इधर-उधर की बातों में मशगूल हो रहे थे। एक पहले से बैठा यात्री अभी एक जबरन घुसे यात्री से उलझा रहा था। इन दोनों को झगड़ते देख अब तक खामोश बैठा एक यात्री बोल उठा- 'अरे यार, आप दोनों चुप हो जाओ, बेकार में तू-तू मैं-मैं करने से क्या फ़ायदा?... आखिर जाना सबको है। भाई साहब रेवाड़ी उतर जाएँगे, तब लेट जाना आप अपनी सीट पर!..'           यह सुनकर आरक्षित बर्थ का आदमी मुँह बनाते हुए चुप हो गया। उलझ रहे डेली पैसेंजर ने भी थोड़ा खिसकते हुए उसे और जगह दे दी। दो बर्थों पर तीन महिलाएं भी डेली पैसेंजर के रूप में बैठीं थीं और ऐसा लगता था तीनों किसी दुकान में काम करतीं हों