एक ग़ज़ल - अखिलेश कुमार शर्मा जिंदगी दुश्वार होती जा रही। हर दवा बेकार होती जा रही। भेड़िये का काम मुश्किल कर रही भेड़ भी गद्दार होती जा रही । भाग जाती है झटक कर हाथ ही तू तो अब सरकार होती जा रही। मछलियों ने जाल खुद ही चुन लिए योजना साकार होती जा रही । अबतो पैसों की खनक सुनती है बस जानेमन अखबार होती जा रही ।। - फेसबुक से साभार ★★★★
CONSCIOUSNESS!..NOT JUST DEGREE OR CERTIFICATE! शिक्षा का असली मतलब है -सीखना! सबसे सीखना!!.. शिक्षा भी सामाजिक-चेतना का एक हिस्सा है. बिना सामाजिक-चेतना के विकास के शैक्षिक-चेतना का विकास संभव नहीं!...इसलिए समाज में एक सही शैक्षिक-चेतना का विकास हो। सबको शिक्षा मिले, रोटी-रोज़गार मिले, इसके लिए जरूरी है कि ज्ञान और तर्क आधारित सामाजिक-चेतना का विकास हो. समाज के सभी वर्ग- छात्र-नौजवान, मजदूर-किसान इससे लाभान्वित हों, शैक्षिक-चेतना ब्लॉग इसका प्रयास करेगा.