हिन्दी साहित्य आज का होरी https://youtu.be/16Ci1hB5o4k उसकी दशा बहुत खराब है! होरी की पहुंच अब राय साहब की चौखट तक भी नहीं रही। हाँ, गोबर का लड़का जरूर रामनामी गमछा माथे पर बांध ' भारतमाता की जय' इतने जोर से चिल्लाता है कि विधायकी का टिकट पाये राय साहब के भतीजे लट्ठन सिंह भी उसकी तरफ देखे बिना नहीं रहते!...अभी कुछ दिन पहले ही उन्होंने कार्यकर्ता-सम्मान में उसे भी 'जै माता दी' वाला पट्टा पहनाया था। पूड़ी-सब्ज़ी भी खिलाई थी और कहा था कि जब कहा जाय बंगले पर आ जाया करे!... होरी को वह फूटी आंख भी नहीं सुहाता। पर होरी की सुनता कौन है?... अब थोड़ा सब्र के साथ आज के होरी की खेती-बाड़ी की हाल आगे पढ़िए- आज का होरी प्रस्तुति : अशोक प्रकाश खेती-किसानी राजनीति से ही नहीं, बुद्धिजीवियों-लेखकों के दिल-दिमाग से भी जैसे गायब होती जा रही है। यह अनायास नहीं है। यह एक ऐसा सायास फ़रेब है जिसकी कीमत सदियों को चुकानी पड़ सकती है। क्योंकि विकास की रफ्तार की जितनी और जैसी गति किसानों की रगों तक पहु
CONSCIOUSNESS!..NOT JUST DEGREE OR CERTIFICATE! शिक्षा का असली मतलब है -सीखना! सबसे सीखना!!.. शिक्षा भी सामाजिक-चेतना का एक हिस्सा है. बिना सामाजिक-चेतना के विकास के शैक्षिक-चेतना का विकास संभव नहीं!...इसलिए समाज में एक सही शैक्षिक-चेतना का विकास हो। सबको शिक्षा मिले, रोटी-रोज़गार मिले, इसके लिए जरूरी है कि ज्ञान और तर्क आधारित सामाजिक-चेतना का विकास हो. समाज के सभी वर्ग- छात्र-नौजवान, मजदूर-किसान इससे लाभान्वित हों, शैक्षिक-चेतना ब्लॉग इसका प्रयास करेगा.