Skip to main content

Posts

Showing posts with the label कोरोना

#कोरोना_टाइम्स: लोग ही इतिहास बनाते हैं..

                                    वे फिर हारेंगे!...                                                 - अशोक प्रकाश ऐसा लगता है जैसे हम किसी दूसरी दुनिया में आ गए हों!..लगता है जैसे यह हमारी वह दुनिया नहीं जिस पर एक मनुष्य के रूप में हमें सुकून महसूस होता था!... लगता था कि ये हवा, ये फूल और उनकी खुशबू, ये नदियां, पहाड़, बाग-बगीचे, आसमान और चांद, ये मिट्टी और उसकी सुगन्ध...पूरी की पूरी क़ायनात पर हमारा भी हक़ है!... न जाने कितने समय से यह धरती हमें अपने आगोश में छुपाए रही है, सहारा देती रही है, तभी तो हमारा अस्तित्व बचा है अभी तक इस पर!...और अब? लगता है जैसे हम गए!... लेकिन नहीं!...शायद यह हमारा भ्रम है, भ्रम था। एक पल भी संघर्षों के बिना हम इस धरती पर टिके नहीं रह सकते थे। धरती तो एक जीवनदायिनी शक्ति रही है हमारे अस्तित्व की।   ...जीने का एक सहारा, एक संसाधन! वह  अपने आप न तो हमें जीवन दे सकती थी, न ले सकती थी! इस धरती और हमारे बीच के द्वंद्वात्मकता सम्बन्ध ही हैं जिन्होंने हमें बनाया-बढाया, इस धरती को भी और सुंदर बनाया।  हम मनुष्य ही हैं जिन्होंने  अपनी जरूरतों

Corona_Times: Study_Help

#Corona_Times Study_Help : #कोरोना_टाइम्स का यह पटल विद्यार्थियों और हिंदी साहित्य में अभिरुचि रखने वाले आम जनों की जिज्ञासाओं को प्रशमित करने, उनके महत्वपूर्ण सवालों का जवाब देने, साहित्याधारित समस्याओं के समाधान के उद्देश्य से बनाया गया है!...       कृपया अपने सवालों और समस्याओं को नीचे टिप्पणी बॉक्स (Enter Your Comment) में लिखे!  **********************************************                   अप्रतिम साहित्यकार राहुल सांकृत्यायन आज देश के एक महान साहित्यकार राहुल सांकृत्यायन का जन्मदिन है ! 9 अप्रैल 1893 को उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ के पंदहा गांव (-ननिहाल, कनैला- पैतृक गांव) में जन्मे राहुल सांकृत्यायन का व्यक्तित्व बहु आयामी था। उन्होंने बहुत कुछ और विविध विषयों पर लिखा है। अनेक देशों का भ्रमण किया, रहे। वहां के बारे में लिखा। 'वोल्गा से गंगा' के अलावा बहुत कुछ वैश्विक-भारतीय संस्कृति से परिचय कराने के लिए लिखा। 'दिमागी गुलामी' दिखाई तो विकृतियों पर आक्रोश व्यक्त करते हुए 'तुम्हारी क्षय' जैसी पुस्तिका लिखी। 'हिंदी काव्यधारा' तो उनकी ऋण

फिर कोरोना की मार: आम आदमी लाचार

                                कोरोना की मार : चौपट_बाज़ार                       https://youtu.be/38silJo8LNo                     एक बार फिर कोरोना की काली छाया दिलोदिमाग पर  छा गया है। बेरोजगारी की मार झेल रहे मजदूरों की दशा सबसे बुरी है। लेकिन बाजार पर भी यह मार कम नहीं है। एक तरफ़ कालाबाजारी करने वाले सक्रिय हैं जिससे उपभोक्ताओं का हाल बुरा है तो दूसरी तरफ ईमानदार दुकानदारों की दशा खराब है। लगातार दुकानें बंद रहने के आदेशों के चलते चोरी-छुपे दुकान खोलने वाले एकतरफ कोरोना से आतंकित हैं, दूसरी तरफ दुकान खुली होने पर पकड़े जाने का डर!...सबसे मुश्किल में छोटे दुकानदार और रेहड़ी-पटरी वाले हैं। थोड़ी देर के लिए खुलने वाले लॉकडाउन में किसी को ग्राहक मिले, किसी को नहीं!..आ म आदमी की ज़िंदगी में वैसे भी कहाँ कम मुश्किलें हैं!...उस पर यदि कोई अनहोनी मुसीबत आ जाए और उसकी रोज़ी-रोटी चलना मुश्किल हो जाए तो सिर पर पहाड़ ही आ टूटता है!... #कोरोना कहर बनकर रोज कमाने-खाने वाले दिहाड़ी मज़दूरों पर ही नहीं टूट पड़ा है, छोटा-मोटा रोजगार-धंधा करके अपना परिवार पालने वाले ठेली-रेहड़ी वालों, सब्ज़ी