कोरोना की मार : चौपट_बाज़ार
https://youtu.be/38silJo8LNo
एक बार फिर कोरोना की काली छाया दिलोदिमाग पर छा गया है। बेरोजगारी की मार झेल रहे मजदूरों की दशा सबसे बुरी है। लेकिन बाजार पर भी यह मार कम नहीं है। एक तरफ़ कालाबाजारी करने वाले सक्रिय हैं जिससे उपभोक्ताओं का हाल बुरा है तो दूसरी तरफ ईमानदार दुकानदारों की दशा खराब है। लगातार दुकानें बंद रहने के आदेशों के चलते चोरी-छुपे दुकान खोलने वाले एकतरफ कोरोना से आतंकित हैं, दूसरी तरफ दुकान खुली होने पर पकड़े जाने का डर!...सबसे मुश्किल में छोटे दुकानदार और रेहड़ी-पटरी वाले हैं। थोड़ी देर के लिए खुलने वाले लॉकडाउन में किसी को ग्राहक मिले, किसी को नहीं!..आम आदमी की ज़िंदगी में वैसे भी कहाँ कम मुश्किलें हैं!...उस पर यदि कोई अनहोनी मुसीबत आ जाए और उसकी रोज़ी-रोटी चलना मुश्किल हो जाए तो सिर पर पहाड़ ही आ टूटता है!...
#कोरोना कहर बनकर रोज कमाने-खाने वाले दिहाड़ी मज़दूरों पर ही नहीं टूट पड़ा है, छोटा-मोटा रोजगार-धंधा करके अपना परिवार पालने वाले ठेली-रेहड़ी वालों, सब्ज़ी विक्रेताओं, सड़क किनारे ग्राहकों का इंतज़ार करते जूता पालिस करने वालों आदि पर यह मुसीबत और भारी है।
लेकिन बड़ी-बड़ी दुकानें सजाए बैठने वालों से लेकर छोटी-मोटी दुकान चलाने वाले भी इससे कम परेशान नहीं हो रहे!...पूरी दुनिया की सरकारों ने ऐसे लोगों के लिए राहत पैकेज बनाए हैं, पर इन आम कामगारों को या तो भाषणों की खुराक़ मिली है या आश्वासनों की या फिर जनता-कर्फ्यू -लॉकडाउन की घोषणाओं की!...
कब छुटकारा मिलेगा इस आपदा से यह तो आने वाले दिनों में पता चलेगा, लेकिन इतना तय है कि तब तक आम आदमी की हालत और खस्ता हो जाएगी।...तीसरी लहर का आतंक इस तरह है कि लोग पूरी तरह असहाय महसूस करने लगे हैं।
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