#कोरोना_का_आतंक
और उठते सवाल
कोरोना_वायरस ने पूरी दुनिया की जनता में तहलका मचा रखा है! लगभग पूरी दुनिया के शासक इस वायरस के संक्रमण को लेकर जितने गम्भीर और प्रचार-प्रसार में लीन हैं; उतना तो शायद ड्रॉप्सी, hiv, सॉर्स, इबोला, स्वाइन फ्लू आदि के समय भी नहीं थे!...ठीक भी है, अगर इसकी बीमारी का कोई इलाज ही नहीं है तो चिंता तो करना ही चाहिए!
लेकिन डॉ बिस्वरूप रॉय चौधरी जैसे कुछ मनीषी ऐसे हैं जो इसके कई दूसरे पक्ष बता रहे हैं। इसके टेस्ट किट्स, वैक्सीन आदि के बिक्री अधिकार आदि को लेकर अमरीका-चीन की दोस्ती और समझौते की भी चर्चा है। दुनिया के शासकों और विश्व स्वास्थ्य संगठन जैसे जिम्मेदार संगठनों को ऐसे उठते सवालों का जवाब जरूर देना चाहिए!
हमारे देश में लॉकडाउन के बाद प्रवासी कामगारों की परेशानी का जो मंज़र सामने आया, लॉकडाउन की घोषणाओं और कोरोना के आतंक को उन्होंने अपनी भूख और परेशानियों के सामने जिस तरह अर्थहीन समझा, उससे समस्या और भी विकराल हो गई है।
स्वास्थ्य की चिंता से सम्बंधित एक अन्य पहलू भी लोगों को हलकान किए हुए है। अनेक लोग जो कैंसर, टीबी, मलेरिया, इन्फ्लूएंजा लिंक्ड अन्य बीमारियों से ग्रसित हैं, उनकी समस्या इससे पीछे हो गई है। अपने देश में ही इनसे मरने वालीं की संख्या कई लाख बताई जाती है। अगर कोरोना के प्रसार-मृत्यु-ठीक होने आदि से सम्बंधित आंकड़ों के साथ इन बीमारियों से सम्बंधित आंकड़ों का भी प्रचार-प्रसार होता- उनसे बचने और इलाज से सम्बंधित आंकड़े भी साथ-साथ रखे जाते तो जनता इसकी गम्भीरता को और अच्छी तरह समझकर बचाव के उपाय में सहयोग करती!...कम से कम विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों को तो रखा ही जा सकता है!
लेकिन डॉ बिस्वरूप रॉय चौधरी जैसे कुछ मनीषी ऐसे हैं जो इसके कई दूसरे पक्ष बता रहे हैं। इसके टेस्ट किट्स, वैक्सीन आदि के बिक्री अधिकार आदि को लेकर अमरीका-चीन की दोस्ती और समझौते की भी चर्चा है। दुनिया के शासकों और विश्व स्वास्थ्य संगठन जैसे जिम्मेदार संगठनों को ऐसे उठते सवालों का जवाब जरूर देना चाहिए!
हमारे देश में लॉकडाउन के बाद प्रवासी कामगारों की परेशानी का जो मंज़र सामने आया, लॉकडाउन की घोषणाओं और कोरोना के आतंक को उन्होंने अपनी भूख और परेशानियों के सामने जिस तरह अर्थहीन समझा, उससे समस्या और भी विकराल हो गई है।
स्वास्थ्य की चिंता से सम्बंधित एक अन्य पहलू भी लोगों को हलकान किए हुए है। अनेक लोग जो कैंसर, टीबी, मलेरिया, इन्फ्लूएंजा लिंक्ड अन्य बीमारियों से ग्रसित हैं, उनकी समस्या इससे पीछे हो गई है। अपने देश में ही इनसे मरने वालीं की संख्या कई लाख बताई जाती है। अगर कोरोना के प्रसार-मृत्यु-ठीक होने आदि से सम्बंधित आंकड़ों के साथ इन बीमारियों से सम्बंधित आंकड़ों का भी प्रचार-प्रसार होता- उनसे बचने और इलाज से सम्बंधित आंकड़े भी साथ-साथ रखे जाते तो जनता इसकी गम्भीरता को और अच्छी तरह समझकर बचाव के उपाय में सहयोग करती!...कम से कम विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों को तो रखा ही जा सकता है!
उम्मीद है कि विश्व की जनता की भलाई और चिंता को ध्यान में रखते हुए अन्य बीमारियों के प्रति गम्भीरता का भी प्रचार-प्रसार जल्दी ही शुरू किया जाएगा ताकि लोग और अधिक तन-मन-धन से कोरोना के खिलाफ लड़ाई में सहयोगी हो सकें!...
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