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गोदान का 'मेहता' आज भी जिंदा है!..

  हिन्दी साहित्य                                     प्रेमचन्द और            गोदान का 'मेहता' प्रेमचन्द का उपन्यास 'गोदान' किसानी जीवन की जीवन्त और सच्ची गाथा के लिए ही नहीं विश्व-प्रसिद्ध है, बल्कि अपने पात्रों की जीवंतता के लिए भी यह इतना विख्यात हुआ है। प्रेमचन्द के इस उपन्यास में पचास से अधिक पात्रों की उपस्थिति अखरती नहीं, बल्कि बहुत जरूरी लगती है। पात्र चाहे ग्रामीण और किसानी जीवन से सम्बंधित हों या शहरी और धनाढ्य वर्ग से, वे सभी वास्तविक और आज भी हमारे आसपास के जीते-जागते चरित्र लगते हैं। इन्हीं चरित्रों में एक चरित्र मेहता का है जो अगर न होता तो जैसे यह उपन्यास अधूरा होता।   गोदान का मेहता एक ऐसा मध्यवर्गीय चरित्र है जिसमें प्रेमचन्द ने वे सारी विशेषताएँ पिरोई हैं जिन्हें हम आज भी अपने आसपास के इस वर्ग के चरित्रों में देख सकते हैं। मेहता मध्यवर्ग का एक सुविधाभोगी व्यक्ति है किंतु कष्टमय जीवन, गरीबों के जीवन के बारे में एक आदर्शवादी सोच रखता है। उसकी दृष्टि में- " छोटे-बड़े का भेद केवल धन से ही नहीं होता। मैंने धन-कुबेरों को भिक्षुओं के सामने घुटने टेकते

चित्रलेखा~ पाखण्ड का लेखाजोखा

  online_classes                             चित्रलेखा उपन्यास:                              एक परिचय 'चित्रलेखा' हिन्दी साहित्य का एक ऐसा प्रसिद्ध उपन्यास है जिसकी प्रसिद्धि प्रेमचन्द के उपन्यास गोदान, फणीश्वरनाथ रेणु के उपन्यास मैला आँचल, यशपाल के उपन्यास दिव्या आदि की तरह मानी जाती है। उपन्यास अपने प्रकाशन वर्ष सन् 1934 से ही यह चर्चा के केंद्र में रहा है। उपन्यास सामाजिक-आध्यात्मिक क्षेत्र के बहु-चर्चित मुद्दे- अध्यात्मवाद बनाम भौतिक जीवन को अत्यंत जीवन्त रूप में प्रस्तुत करता है। उपन्यास धर्म और समाज की पारम्परिक मान्यताओं को चुनौती देता है। सामाजिक और धार्मिक क्षेत्र में प्रचलित पाखण्डों पर चोट करने के कारण इसने साहित्यिक क्षेत्र में विशेष प्रसिद्धि पाई।          चित्रलेखा उपन्यास को प्रसिद्ध फ्रेंच लेखक-उपन्यासकार और सन् 1921 के साहित्य का नोबेल पुरस्कार विजेता अनातोले फ्रांस के उपन्यास थॉयसिस से प्रेरणा-प्राप्त उपन्यास कहा जाता है किंतु इसका विषय अनातोले फ्रांस के ही 1914 में प्रकाशित उनके  दूसरे उपन्यास 'रिवोल्ट ऑफ़ एंजेल्स' अथवा 'देवदूतों का विद्रोह' स