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Showing posts from 2023

क्या आप मुर्गा नहीं हैं?

                मत बनिए मुर्गा-मुर्गी! एक आदमी एक मुर्गा खरीद कर लाया।.. एक दिन वह मुर्गे को मारना चाहता था, इसलिए उस ने मुर्गे को मारने का बहाना सोचा और मुर्गे से कहा, "तुम कल से बाँग नहीं दोगे, नहीं तो मै तुम्हें मार डालूँगा।"  मुर्गे ने कहा, "ठीक है, सर, जो भी आप चाहते हैं, वैसा ही होगा !" सुबह , जैसे ही मुर्गे के बाँग का समय हुआ, मालिक ने देखा कि मुर्गा बाँग नहीं दे रहा है, लेकिन हमेशा की तरह, अपने पंख फड़फड़ा रहा है।  मालिक ने अगला आदेश जारी किया कि कल से तुम अपने पंख भी नहीं फड़फड़ाओगे, नहीं तो मैं वध कर दूँगा।  अगली सुबह, बाँग के समय, मुर्गे ने आज्ञा का पालन करते हुए अपने पंख नहीं फड़फड़ाए, लेकिन आदत से, मजबूर था, अपनी गर्दन को लंबा किया और उसे उठाया।  मालिक ने परेशान होकर अगला आदेश जारी कर दिया कि कल से गर्दन भी नहीं हिलनी चाहिए। अगले दिन मुर्गा चुपचाप मुर्गी बनकर सहमा रहा और कुछ नहीं किया।  मालिक ने सोचा ये तो बात नहीं बनी, इस बार मालिक ने भी कुछ ऐसा सोचा जो वास्तव में मुर्गे के लिए नामुमकिन था। मालिक ने कहा कि कल से तुम्हें अंडे देने होंगे नहीं तो मै तेरा

मुझसे जीत के दिखाओ!..

कविता:                     मैं भी चुनाव लड़ूँगा..                                  - अशोक प्रकाश      आज मैंने तय किया है दिमाग खोलकर आँख मूँदकर फैसला लिया है 5 लाख खर्चकर अगली बार मैं भी चुनाव लड़ूँगा, आप लोग 5 करोड़ वाले को वोट देकर मुझे हरा दीजिएगा! मैं खुश हो जाऊँगा, किंतु-परन्तु भूल जाऊँगा आपका मौनमन्त्र स्वीकार 5 लाख की जगह 5 करोड़ के इंतजाम में जुट जाऊँगा आप बेईमान-वेईमान कहते रहिएगा बाद में वोट मुझे ही दीजिएगा वोट के बदले टॉफी लीजिएगा उसे मेरे द्वारा दी गई ट्रॉफी समझिएगा! क्या?..आप मूर्ख नहीं हैं? 5 करोड़ वाले के स्थान पर 50 करोड़ वाले को जिताएँगे? समझदार बन दिखाएँगे?... धन्यवाद... धन्यवाद! आपने मेरी औक़ात याद दिला दी 5 करोड़ की जगह 50 करोड़ की सुध दिला दी!... एवमस्तु, आप मुझे हरा ही तो सकते हैं 5 लाख को 50 करोड़ बनाने पर बंदिश तो नहीं लगा सकते हैं!... शपथ ऊपर वाले की लेता हूँ, आप सबको 5 साल में 5 लाख को 50 करोड़ बनाने का भरोसा देता हूँ!.. ताली बजाइए, हो सके तो आप भी मेरी तरह बनकर दिखाइए! ☺️☺️

नागपुर जंक्शन-दो दुनिया के लोग

          नागपुर जंक्शन!..  आरएसएस यानी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की राजधानी या कहिए हेड क्वार्टर!..डॉ भीमराव आंबेडकर की दीक्षाभूमि! अम्बेडकरवादियों की प्रेरणा-भूमि!  दो विचारधाराओं, दो तरह के संघर्षों की प्रयोग-दीक्षा का चर्चित स्थान!.. यहाँ दो व्यक्तियों को एक स्थान पर एक जैसा बन जाने का दृश्य है। दोनों बहुत कुछ अलग।  इन दोनों को आज़ादी के बाद से किसने कितना अलग बनाया, आपके विचारने के लिए है।  अमीर वर्ग, एक पूँजीवादी विचारधारा दूसरे गरीबवर्ग, शोषित की मेहनत को अपने मुनाफ़े के लिए इस्तेमाल करती है तो भी उसे क्या मिल जाता है?..  आख़िर, प्रकृति तो एक दिन दोनों को एक ही जगह पहुँचा देती है!... आप क्या सोचते हैं? ..  

युद्ध, जनसंहार और तमाशबाज मीडिया

                   खून के प्यासे तमाशबाज                                 और तमाशबीन जन पिछले डेढ़ साल से हमारे देश के टीवी चैनलों पर, खासकर हिन्दी समाचार चैनलों पर युद्ध की खबरें छाई हुई हैं। यूक्रेन पर रूसी हमले से लेकर अब फिलीस्तीन पर इजरायली हमले तक टीवी के परदे पर युद्ध ही युद्ध है। पर टीवी पर युद्ध की खबरों की यह भरमार न तो युद्धों के बारे में किसी गंभीर जानकारी-समझदारी की ओर ले जाती है और न ही युद्धों के प्रति नफरत की ओर। इसके ठीक विपरीत वे युद्ध को एक उत्तेजनापूर्ण मनोरंजन की तरह पेश करती हैं तथा दर्शकों में युद्ध की विभीषिका के प्रति एक तरह की संवेदनहीनता को जन्म देती हैं। टीवी के परदे पर दिखने वाली तबाही एक कुत्सित आनंद का स्रोत बन जाती है। टीवी चैनलों के मालिकों और कर्ता-धर्ता का इस मामले में उद्देश्य साफ होता है। वे युद्ध को एक उत्तेजक मनोरंजन के तौर पर पेश कर दर्शकों को अपनी तरफ खींचना चाहते हैं जिससे उनका व्यवसाय बढ़े। लगे हाथों सरकार के पक्ष में प्रचार भी हो जाता है। टीवी चैनलों के मालिकों का युद्ध के प्रति यह रुख बेहद घृणित है क्योंकि वे अपने मुनाफे के लिए युद्ध की विभीषिक

हारे हुए लोग

एक कविता~अकविता :                                                 ये हारे हुए लोग कभी अपनी हार नहीं मानते..   'निश्चित विजय' के लिए ये फिर-फिर अपनी कमर कसते हैं दुनिया के ये अजूबे लोग घटनाओं पर नहीं सिद्धांत पर भरोसा करते हैं किसी व्यक्ति की जगह सभ्यता के विकास के लिए जीते-मरते हैं... रक्तबीज हैं ये आधा पेट खा और कुछ भी पहनकर देश और दुनिया नापते हैं चिंगारी की तरह यहाँ-वहाँ बिखरे इन अग्निदूतों से दुनिया के सारे शासक काँपते हैं! अज़ीब हैं ये लोग कभी अपनी हार  नहीं मानते हैं पूरी दुनिया के जंगल पहाड़ खेत मैदान इन्हें पहचानते हैं प्राकृतिक रूप से खिलते फूल तितलियां भौंरे कीट हवाओं में तैरते दूर देश के  गीत संगीत इनके साथ  अमर-राग के सुर तानते हैं! अज़ीब हैं ये लोग! - अशोक प्रकाश                     ★★★★★★

क्या 'सरकार' का लोकतंत्र पर भरोसा है?

                       एक आपबीती!... यह कुछ समय पहले की घटना है! लेकिन कहीं न कहीं की यह क्या रोज़-रोज़ की घटना नहीं है?...ऐसा क्यों है? क्या 'सरकार' का लोकतंत्र पर भरोसा है? 'जब से डबल इंजन की सरकार देश और प्रदेश में आया है तब से मेरे ऊपर लगातार फर्जी मुकदमों का अंबार लगाया जा रहा है। आज 5:10 पर रावटसगंज चौकी से फोन आया कि आप तत्काल चौकी पर चले आओ कुछ बात करना है! मैंने जाने से इनकार किया! 2 घंटे बाद शाम 7:00 बजे मैं घर पर नहीं था तभी रावटसगंज कोतवाली के कोतवाल साहब अपने लाव लश्कर के साथ मेरे घर पर पहुंच गया! उस समय मैं घर पर नहीं था! मैं अपने इलाज के लिए गया था!  मेरे बच्चे और मेरे घर के दूसरे सदस्य मुहर्रम के त्यौहार के अवसर पर मोहल्ले में खिचड़ा का दावत था जहां मेरे घर के बच्चे गए हुए थे सिर्फ मेरे घर पर मेरी पत्नी नजमा खातून अकेले ही मौजूद थे लेकिन पुलिस वाले ने बिना आवाज दिए चुपचाप दरवाजा खोल कर घर में घुस गया मेरी पत्नी नजमा खातून बिस्तर पर सोई थी पुलिस वाले जब घर में पहुंचा पत्नी घबरा गई। पुलिस वाले से पूछने लगीं कि 'कोई महिला पुलिस आपके साथ नहीं है और आप बिना आवा

ऐसे ही होती है शुरुआत

                        एक नई शुरुआत:               मजदूरों, बेरोजगारों और किसानों ने                            दिखाई एकजुटता प्रेस विज्ञप्ति | 24 अगस्त 2023 ऐतिहासिक अखिल भारतीय मजदूर किसान संयुक्त सम्मेलन दिल्ली में आयोजित नई दिल्ली, 24 अगस्त 2023 - एकता और संकल्प के ऐतिहासिक प्रदर्शन में, आज नई दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में अखिल भारतीय मजदूर किसान संयुक्त सम्मेलन आयोजित किया गया। यह सम्मेलन संयुक्त किसान मोर्चा और केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच, जो देश भर के किसानों और मजदूरों का प्रतिनिधित्व करता है, द्वारा बुलाया गया था। सम्मेलन की शुरुआत 2014 के बाद से केंद्र सरकार द्वारा अपनाई गई आक्रामक कॉर्पोरेट-समर्थक नीतियों द्वारा उत्पन्न खतरनाक स्थिति को संबोधित करते हुए हुई। इन मजदूर-विरोधी, किसान-विरोधी, जन-विरोधी और राष्ट्र-विरोधी नीतियों के परिणामस्वरूप राष्ट्र की अर्थव्यवस्था, एकता और अखंडता के लिए विनाशकारी परिणाम सामने आए हैं। सम्मेलन ने केंद्र सरकार की कॉर्पोरेट-समर्थक और किसान-विरोधी नीतियों के कारण भारत में कृषि संकट पर प्रकाश डाला, जिसके परिणामस्वरूप किसानों की आय में

आपका दुःख उनका दुःख नहीं!

        आपका दुःख उनका दुःख नहीं,                       उनका  सुख है! 16 दिन से अपनी मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे किसानों ने आखिरकार अमरोहा सांसद महोदय  को अपनी दुःखद दास्तान सम्बन्धी पत्र लिखा। आख़िर वे जन प्रतिनिधि हैं। सांसद, विधायक इसीलिए चुने जाते हैं कि वे और कुछ न भी कर सके तो उनकी आवाज़ तो संसद-विधानसभा में उठाएं! इतने दिन से धरनारत रहने के बावजूद प्रशासन ने किसानों की फसल को नष्ट करके किसानों की तरफ देखा भी नहीं! कोई सुध नहीं ली! 16 दिन कम नहीं हैं किसानों की सुध लेने के लिए। आखिर वे लोक सेवक ही तो हैं! लेकिन न तो प्रशासन, न शासन और न ही जन-प्रतिनिधि अपने को वह समझते हैं जो वे हैं। शायद वे खुद को किसी राजशाही या अंग्रेजी-शासन जैसा कोई महानायक या सामन्त/राजा समझते हैं। अगर ऐसा नहीं होता तो न इनके पास अकूत संपत्ति बटुरती, न जनता से खुद को अलग समझते! फ़िलहाल किसानों द्वारा सांसदजी को लिखा पत्र (सम्पादित) पढ़िए और समझिए कि देश का कौन-सा विकास किसकी कीमत पर हो रहा है! सेवा में, माननीय सांसद दानिश अली जी, लोकसभा-अमरोहा, उत्तर प्रदेश हम कुछ किसान लोग जोकि फरीदपुर सिंभावली

कल किसका नम्बर है?...

               'कब तलक लुटते रहेंगे?..'         जी, कल किसका नम्बर है?...आप नहीं जानते?...लेकिन सरकार जानती है, कॉरपोरेट जानता है! इस धरती पर वे अपना अधिकार समझने लगे हैं~ दुनिया के सबसे कामचोर लोग!..बड़े-बड़े शहरों के महलों में रहने वाले लोग! वे खेती की, जंगल की जमीन तय कर रहे हैं कि वह किसकी है!...नहीं, वे तय कर रहे हैं कि यह उनकी नहीं जो सदियों से यहाँ रहते आए हैं बल्कि यह उनकी है जो यहाँ कभी नहीं रहे, कभी नहीं रहेंगे! ये शहरिल्ला लोग सिर्फ़ जल, जंगल, जमीन का सत्त्व चूसना, उसका दोहन कर मुनाफ़ा कूटना जानते हैं। पुलिस-फ़ौज के बल पर ये लोग ऐसे हर व्यक्ति के खिलाफ़ हैं जो आदिवासियों, अपनी धरती पर सदियों से रहते आए समुदायों की बेदख़ली और प्राकृतिक क्षेत्रों को बरबाद करने वालों की चोरी और सीनाजोरी के विरुद्ध जन-जागृति पैदा करता है। कॉमरेड माधुरी भी उन्हीं में से एक हैं। पढ़िए और जानिए हक़ीक़त ऑल इंडिया यूनियन ऑफ फॉरेस्ट वर्किंग पीपल (AIUFWP) की विज्ञप्ति के माध्यम से~ हम पुर ज़ोर तरीके से जे.ए.डी.एस JADS नेता माधुरी  पर हमले की निंदा करते है! ऑल इंडिया यूनियन ऑफ फॉरेस्ट वर्किंग पीपल (AIUFW

यह देश किसका है?..

          मध्यप्रदेश में खनिज संसाधनों का भंडार                          एवं अडानी की लूट                                       - डा मिथिलेश कुमार दांगी              भारत के संविधान की धारा 39b पर गौर फरमाएं तो पाएंगे कि सभी भौतिक संसाधनों का असली मालिक समुदाय (community) है। इसकी पुष्टि करते हुए भारत के सर्वोच्च न्यायालय के फैसले (सिविल अपील संख्या 4549/2000, थ्रेसमा जैकब बनाम भूगर्भ विभाग केरल ) में तीन जजों (माननीय आरएम लोढ़ा, जे चेलामेश्वर एवं मदन बी लोकुर ) की सम्मिलित बेंच ने यहां तक कह डाला कि इन खनिजों के असली मालिक जमीन मालिक ही हैं, सरकार नहीं । इसके अतिरिक्त संविधान की धारा 243 के विभिन्न भागों में यह भी वर्णित है कि ग्राम सभाएं और नगर सभाएं अपने विकास हेतु कार्यक्रम स्वयं तैयार करेंगी। इन धाराओं के विश्लेषण करने पर यह तथ्य उजागर होता है कि देश के तमाम भौतिक संसाधनों का स्वामित्व ग्राम सभाएं और नगर सभाएं हैं।          सरकारें तो हमारी ट्रस्टी हैं और ट्रस्टी को लोग अपनी संपत्ति की सुरक्षा के लिए चुनते हैं। परंतु, दुर्भाग्य से ये सरकारें इन संसाधनों की मालिक बन बैठी हैं और बग

See CUET answer key here

                            कैसे देखें           CUET Answer Key? सीयूइटी #cuet #answerkey अब वेबसाइट cuet.samarth.ac.in पर आ चुका है! जो विद्यार्थी बेसब्री से इसका इंतज़ार कर रहे हैं, उन्हें अब अपनी #उत्तरकुंजी देखकर पूरे #परीक्षापरिणाम के लिए तैयारी करें।   ज्ञातव्य है कि राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (National Testing Agency) ने गत 14 मई, 2023, सोमवार को विश्वविद्यालय/महाविद्यालय के प्रवेश हेतु  आवश्यक परीक्षा की प्रारम्भिक तिथियां  घोषित कर परीक्षा करवाई थी! इसके बाद से ही #students को इसके परिणाम का इंतज़ार था। Answer Key पाने के लिए निम्नलिखित तरीके से आप सही तरीके से अपना उत्तर देख सकते हैं। 1. सबसे पहले वेबसाइट cute.samarth.ac.in पर जाएं। शुरुआत में सर्वर डाउन होने की वज़ह से आपको 504 gateway time out दिखाई दे सकता है, लेकिन दो-तीन बार थोड़ी-थोड़ी में वेबसाइट पर जाने से वेबसाइट खुल जाएगी। 2. वेबसाइट खुलने के बाद दो तरीके से आप अपनी #answerkey देख सकते है! एक: answerkey tab खोलकर लॉगिन करें या दो: login option से इसे खोलें 3. लॉगिन करने के लिए application number और जन्मतिथि डालें। 4. अपना

एक विद्रोही सन्यासी

          स्वामी सहजानंद सरस्वती और                    किसान आंदोलन               बहुतों को सुनकर अच्छा नहीं लगेगा और उन्हें सही ही अच्छा नहीं लगेगा। आज निठल्ले लोगों का पहला समूह साधुओं-संतों के रूप में पहचाना जाता है। इसलिए नहीं कि वे साधु-संत होते हैं, बल्कि इसलिए कि बिना कोई काम-धाम किए वे दुनिया का हर सुख भोगते हैं। वैसे तो जमाना ऐसा ही है कि बिना काम-धाम किए सुख भोगने वाले ही आज राजकाज के सर्वेसर्वा होते हैं। ऊपर से 18-18 घंटे रोज काम करने वाले माने जाते हैं। ऐशोआराम की तो पूछिए मत! दुनिया का सबसे महंगा कपड़ा, सबसे कीमती जहाज, सबसे बड़ा बंगला ऐसे ही निठल्ले लोगों से सुशोभित होता है पर मजाल क्या कि ऐसे लोगों के असली चरित्र पर टीका-टिप्पणी कीजिए! वो तो 'महान संत' आसाराम बापू जैसे एकाध की पोलपट्टी खुल गई वरना हर पढ़ा-लिखा और अनपढ़ वैसी ही दाढ़ी और वैसी ही गाड़ी के साथ-साथ वैसी ही भक्तमंडली के लिए आहें भरता है। किंतु, आज इन सबसे अलग एक ऐसे शख़्स की बात की जा रही है जिसका जन्मदिन महाशिवरात्रि को पड़ता है। जी, महाशिवरात्रि के दिन (22 फरवरी सन् 1899 ई.) में हुआ था। वे हुए तो थे एक धर्मव

एक गाँव: अंधकार के देवताओं से संघर्ष की कहानी

                 लोकतंत्र के लिए तंत्र से लोक के                          एक संघर्ष की कथा                    सचमुच निराशा तो होती है!..जब शहीद भगत सिंह, महात्मा गांधी, जयप्रकाश नारायण, राम मनोहर लोहिया आदि की 'लोकतंत्र' की विचारधाराओं को धता बताते हुए एक ऐसी 'विचारधारा' सत्ता पर काबिज़ हो जाए जो न केवल इन सबकी विरोधी हो बल्कि जिसका लोकतंत्र पर ही भरोसा न हो! मानव-सभ्यता के विकास के तमाम सारे मानदंडों को जो न केवल अस्वीकार करती हो बल्कि जिसका आदर्श 'दासयुग' हो! जो राजा-प्रजा व्यवस्था को विद्यमान सभी व्यवस्थाओं से बेहतर मानती हो और 'रामराज्य' के नाम पर ऐसी व्यवस्था को स्थापित करने के लिए प्रयत्नशील हो! वर्तमान सत्ताधारी दल की विचारधारा इसे 'हिन्दूराष्ट्र' के रूप में चिह्नित और प्रचारित करती है! क्या यह प्रतिक्रांति की कोई भूमिका है या क्रांतिकारी परिवर्तन की बाट जोह रहे संगठनों और लोगों की विचारधाराओं पर कुठाराघात है, उन पर एक सवाल है?  या फिर यह इस दुर्व्यवस्था के ताबूत की आखिरी कील सिद्ध होने जा रही प्रतिक्रियावादियों की अंतिम कोशिश और किसी आसन्न

क्या आपको झूठ से प्यार हो गया है?

                     खाईं में गिरिएगा?.. आप सिनेमा देखते हैं, कहानियाँ पढ़ते हैं, क्यों?..क्या वे सत्य होती हैं, इसलिए? क्या आप यथार्थ को पसंद करते हैं?...सत्य को सचमुच पसन्द करते हैं? या आपको झूठ प्यारा लगता है? क्यों लगता है प्यारा यह झूठ?  एक उदाहरण देखिए!.. ‘देश नहीं बिकने दूंगा’ कहकर सत्ता में आने वाले मोदीजी के राज में ऐसा कोई सेक्टर नहीं बचा जिसे नीलाम नहीं किया जा रहा!.. क्या आप सार्वजनिक क्षेत्रों की नीलामी पसंद करते हैं?  मोदी सरकार की हालत ये है कि अगर आप महज इसके झूठ गिनाने लगें ​तो आपको महसूस होगा कि आप एक अमर्यादित बहस का हिस्सा बन रहे हैं। ऐसा इसलिए है ​क्योंकि लोकतंत्र की संसदीय मर्यादा को सस्पेंड कर दिया गया है। जैसे कि मोदी सरकार कह रही है कि वह किसानों के हित में कानून लाई है, लेकिन मूलत: ये कानून किसानों के खिलाफ पूंजीपतियों के फायदे का कानून है। मोदी सरकार कह रही है कि वह कामगारों के हित में श्रम कानूनों में बदलाव करेगी लेकिन जो प्रस्ताव हैं वे मालिकों के हित में हैं। मजदूरों से उनकी सामाजिक सुरक्षा, प्रदर्शन और हड़ताल का अधिकार वगैरह छीना जा रहा है उन्हें फैक्ट्रिय

अब गाँधीवादी भी नहीं सुरक्षित

                      गाँधीवादी संस्थानों को               हड़पने के खिलाफ सम्मेलन गांधी संस्थानों एवं लोकतांत्रिक अधिकारों पर हो रहे हमलों के खिलाफ प्रतिरोध सम्मेलन सम्पन्न वाराणसी, 05 जून 2023। संपूर्ण क्रांति दिवस के अवसर पर 4-5 जून 2023 को राजघाट परिसर में आयोजित प्रतिरोध सम्मेलन सम्पन्न हो गया। सम्मेलन में विभिन्न प्रस्तावों को पारित करते हुए यह घोषणा की गयी कि जब तक सर्व सेवा संघ की जमीन एवं गांधी विद्या संस्थान के भवनों को कब्जा मुक्त नहीं करा लिया जाता, तब तक आंदोलन जारी रहेगा। सम्मेलन ने तय किया है कि संपूर्ण क्रांति दिवस से अगस्त क्रांति दिवस तक जेपी प्रतिमा के सामने लगातार धरना दिया जायेगा। इस धरने में क्रमवार पूर्वांचल के जिलों एवं सामाजिक संगठनों की भागीदारी सुनिश्चित की जायेगी। इसी के साथ आगामी 9-10 अगस्त 2023 को पुन: एक बार जन प्रतिवाद सम्मेलन राजघाट परिसर में किया जायेगा। सम्मेलन में यह भी तय हुआ कि इसी बीच जेपी निवास, पटना से एक यात्रा निकलेगी, जो जेपी जन्म स्थान सिताबदियारा होते हुए 8 अगस्त को राजघाट, वाराणसी पहुंचेगी। इसी माह 17 जून 2023 को दिल्ली में तथा जुलाई 2023 म

यह 'काला दिन' इतना काला क्यूँ?

                        28 मई, 2023                     भारतीय लोकतंत्र का                काला दिन क्यों है? सोचिए, समझिए, कुछ कीजिए: 1-नई संसद भवन के उद्घाटन के लिए आंबेडकर-नेहरू-भगत सिंह के जन्म दिन को चुनने की जगह सावरकर के जन्म दिन ( 28 मई) को चुना गया। इस तरह राष्ट्रीय नायकों को अपमानित किया गया। हिंदू राष्ट्र के पैरोकार सावरकर को भारत का राष्ट्रीय नायक घोषित किया गया। 2- आज भारतीय लोकतंत्र की विरासत को चोल राजवंश और सावरकर से जोड़कर इसका हिंदूकरण  (ब्राह्मणीकरण) किया गया। 3- आज आंबेडकर-नेहरू और संविधान की भावनाओं-विचारों को रौंदते हुए पोंगा-पंथी पंडा-पुरोहितों को संसद भवन में प्रवेश दिया गया। 4-आज राजाओं-महराजाओं के सामंती राजदंड ( सेंगोल ) को भारतीय जन संप्रुता के केंद्र संसद में स्थापित किया गया। 5- वर्णाश्रम धर्मी-ब्राह्मणवादी चोल वंश के राजदंड के नाम पर सेंगोल को स्थापित करके भारतीय लोकतंत्र को कलंकित किया गया। 6-- आज भारतीय गणतंत्र की प्रमुख राष्ट्रपति को नज़रन्दाज़ कर प्रधानमंत्री को प्राचीन काल के  राजा की तरह  पेश किया गया। 7- आज देश की गौरव-हमारी बेटियों के साथ पुलिस ने बर

सेंगोली-राजा मुर्दाबाद, लोकतंत्र ज़िंदाबाद!

                         राजतन्त्र नहीं,                 लोकतंत्र है यह! तो यह भूमिका बनाई जा रही है?...राजतन्त्र स्थापित किया जाएगा? जवाहलाल नेहरू की आत्मा को भी अपने दुष्चक्र में घसीट लाया गया?..कहा गया कि उन्होंने भी 'सेंगोल' या 'राजदण्ड' ग्रहण किया था?        हुज़ूरे-आला! राजतन्त्र नहीं, लोकतंत्र है यह! इतिहास को छिपाने और मनगढ़ंत रचने की आपकी कोशिशें कामयाब नहीं होने दी जाएंगी! और राजतन्त्र के साथ जिस 'साम्राज्य' को पुनर्स्थापित करने का सपना कीर्तन-मंडली देख रही है, उसे इस देश की जनता चकनाचूर कर देगी!        बहाना 'सेंगोल' का है। किसी जमाने में, 'चोल-साम्राज्य' के काल में चोल राजा के उत्तराधिकारी की घोषणा होने पर नए राजा को सत्ता-हस्तांतरण के प्रतीक के रूप में 'सेंगोल' अर्थात 'राजदण्ड' दिया जाता था। दरअसल किसी को भी राजदण्ड देने का मतलब राजा को राज का डंडा दिया जाना ही हो सकता है। शायद तमाम सिपहसालारों के बीच भी अंतिम शस्त्र के रूप में राजा द्वारा इसे इस्तेमाल करने की जरूरत महसूस की जाती रही होगा। मिथकों में एक 'देवता'

इनसे इतना प्यार क्यूँ है?

                    भाजपा के नाक के बाल         क्यों बने हुए हैं ब्रजभूषण सिंह? क्यों?...क्यों?...क्यों?.. . क्यों नही  किए जा रहे पॉस्को के तहत एफआईआर दर्ज़ होने के बावजूद ब्रजभूषण शरण सिंह गिरफ़्तार? भाजपाइयों के अलावा और कितने ऐसे लोग हैं जो इतने गम्भीर आरोपों के बावज़ूद, सुप्रीम कोर्ट की तल्ख़ टिप्पणियों के बावजूद ऐसे खुल्ला घूम रहे हैं। ओलम्पिक पदक विजेता धरने पर हैं ऐसे गम्भीर धाराओं के आरोपी के खिलाफ, क्या यह सरकार दुनिया में देश की प्रतिष्ठा की कोई परवाह करती है? क्या अपने कॉरपोरेट बन्धुओं, देशी-विदेशी कम्पनियों के हितों के अलावा भी कुछ और सोचा करती है यह भाजपा सरकार? किसानों के खिलाफ़ इसने काले कानून बनाए जिसके खिलाफ एक साल से ज़्यादा समय तक दिल्ली की सीमाओं पर धरना देने के बाद मजबूरन उन कानूनों को वापस लेना पड़ा! तथाकथित छप्पन-इंची कुछ सिकुड़ी! क्या धरनारत महिला पहलवानों को समर्थन दे रहे देश भर के किसानों को कोई महत्त्व नहीं देती यह भाजपा और उसकी सरकार? क्या साम्प्रदायिक राजनीति पर भाजपा को इतना विश्वास है?  क्या ब्रजभूषण जैसे बाहुबलियों पर इस सरकार को इतना अटूट भरोसा है जैसा कि ना

2000 के नोट पर लगी चिप का कमाल

                            चिप देखने से पहले                      चिपकुओं को देखो! दुनिया ही चिप और चिपकुओं की है! या आप ही बताइए, बिना चिप-के कोई काम हुआ हो कभी? चिप और चिपकुओं की ही माया है कि आज सबसे प्यारा, सबसे न्यारा 2000 का नोट बंद करना पड़ रहा है। क्या करते दीदी और भइया पत्रकारों ने 2000 के नोट की चिप-की माया सार्वजनिक कर दी थी! सुना है बड़े साहब इन दोनों को 'देख लेंगे' की धमकी भी दे चुके हैं! वैसे 2000 नोट की चिप से चिपकू लोग मानते हैं कि यह #नोटबन्दी भी पहले की ही तरह करामाती है। बल्कि यह तो और भी सूझबूझ का परिचायक है। एक तो इससे यह पता लग जाएगा कि 2000 नोट के कालेधनी लोग कहाँ-कहाँ कालापीला कर रहे हैं, दूसरे यह भी पता चल जाएगा कि 2000 नोट के नाम से जाना जाने वाला यह काला कारोबार अब कहाँ-कहाँ कमाल करने वाला है! जानकर लोग जानते हैं कि बड़े साहब ने ही छोटे साहब के कहने पर यह सब प्रपंच रचा है कि सारे काले-काले को पीले-पीले में कन्वर्ट कर दिया जाए। खैर, जनता दुःखी है! आदत के मुताबिक़ वह इस नोट को भी सनातन मानकर इससे गहरा लगाव महसूस करने लगी थी और इसका गुलाबी रंग उसके दिल पर अ