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प्राकृतिक संसाधनों पर किसका अधिकार?...

          मध्यप्रदेश में खनिज संसाधनों का भंडार 

                        एवं अडानी की लूट

                                      - डा मिथिलेश कुमार दांगी

 

          भारत के संविधान की धारा 39b पर गौर फरमाएं तो पाएंगे कि सभी भौतिक संसाधनों का असली मालिक समुदाय (community) है। इसकी पुष्टि करते हुए भारत के सर्वोच्च न्यायालय के फैसले (सिविल अपील संख्या 4549/2000, थ्रेसमा जैकब बनाम भूगर्भ विभाग केरल ) में तीन जजों (माननीय आरएम लोढ़ा, जे चेलामेश्वर एवं मदन बी लोकुर ) की सम्मिलित बेंच ने यहां तक कह डाला कि इन खनिजों के असली मालिक जमीन मालिक ही हैं, सरकार नहीं । इसके अतिरिक्त संविधान की धारा 243 के विभिन्न भागों में यह भी वर्णित है कि ग्राम सभाएं और नगर सभाएं अपने विकास हेतु कार्यक्रम स्वयं तैयार करेंगी। इन धाराओं के विश्लेषण करने पर यह तथ्य उजागर होता है कि देश के तमाम भौतिक संसाधनों का स्वामित्व ग्राम सभाएं और नगर सभाएं हैं। 

        सरकारें तो हमारी ट्रस्टी हैं और ट्रस्टी को लोग अपनी संपत्ति की सुरक्षा के लिए चुनते हैं। परंतु, दुर्भाग्य से ये सरकारें इन संसाधनों की मालिक बन बैठी हैं और बगैर संबंधित ग्राम सभाओं और नगर सभाओं की सहमति के पूंजीपतियों के हाथों इन्हें बेचकर असली मालिकों को बेदखल और विस्थापित कर रही हैं।

   आइए, पहले मध्य प्रदेश के प्रमुख संसाधनों की स्थिति और उसके बाजार मूल्य पर गौर करें। गणना करें कि मध्यप्रदेश की प्रति व्यक्ति कितनी संपत्ति है, जो हमारी सरकारें हमसे छीन कर किसी पूंजीपति के हवाले कर रही हैं और वह कितना उचित है। इन संसाधनों पर अपने अधिकार और मिल्कियत स्थापित करने के लिए एकजुट होकर संसाधन स्वराज का नारा बुलंद करें और हुंकार भरें।

            जल, जंगल, जमीन, खनिज हमारे हैं 

वन:

मध्य प्रदेश का वन आवरण राज्य के क्षेत्र का 30.71% और देश के वन क्षेत्र का 12.4% है। मध्यप्रदेश में वन का क्षेत्रफल 94689 वर्ग किलोमीटर है। राज्य में 10 राष्ट्रीय उद्यान तथा 31 अभयारण्य हैं। वन संपदा में मुख्य रूप से सागवान, साल, बांस, खैर, लाख, हर्रे, गोंद, भिलाला तथा तेंदूपत्ता हैं। इनमें सागवान राज्य के 18333 वर्ग किलोमीटर में फैला है तथा देश में साल पेड़ का 50% हिस्सा इस राज्य में है। 

जलसंपदा:

मध्य प्रदेश राज्य जल संसाधनों से समृद्ध है। 3 नदियां अर्थात नर्मदा, तापी ,माही और गंगा बेसिन की प्रमुख सहायक नदियों जैसे चंबल, सिंध, बेतवा ,केन और सोन का मूल स्थान मध्यप्रदेश है। राज्य का उत्तरी भाग चंबल, बेतवा, केन और उनकी सहायक नदियों द्वारा सिंचित होता है जो उत्तर की ओर बुंदेलखंड क्षेत्र से होकर बहती हैं और अंततः यमुना नदी में मिल जाती हैं। सोन नदी पूर्व, उत्तर पूर्व में बहती है। नर्मदा नदी सतपुड़ा और विंध्य पर्वतमाला के बीच अरब सागर में गिरने वाली एक प्रमुख नदी है। तापी भी पश्चिम की ओर  बहने वाली नदी है जो अपना पानी अरब सागर में छोड़ती है। वैनगंगा और वर्धा राज्य के दक्षिणी पूर्वी हिस्से में बहने वाली गोदावरी नदी की सहायक नदियां हैं।

राज्य का क्षेत्रफल~ 3,08,000 वर्ग किलोमीटर है ।

जनसंख्या~ राज्य की जनसंख्या 8,50,02,417(2023 में) है

आईबीएम ईयर बुक के अनुसार राज्य में खनिजों की स्थिति इस प्रकार है:

___________________________

खनिज का नाम             कुल भंडार

                          ( मिलियन टन में)

___________________________

कोयला                       19758.37 

डायस्फेट              36,16,824.00

पायरो फाइलाइट 1,56,10,797.00

चूना पत्थर                    5,921.18

डोलोमाइट                    1,975.80

रॉक फॉस्फेट                      50.43

मैंगनीज अयस्क                  62.42

तांबा                              404.35

बॉक्साइट                          63.37

हीरा (कैरेट में)   3,56,54,958.00

__________________________

इसके अतिरिक्त लौह अयस्क, संगमरमर, ग्रेनाइट, लेटराइट आदि अन्य खनिज भी पाए जाते हैं । 

       मध्य प्रदेश भारत का ऐसा राज्य है जिसमें पूरे देश के हीरा भंडार का 90% हिस्सा पाया जाता है । अभी छतरपुर जिला के बक्सवाहा अंचल में हीरा का भारी भंडार मिला है।

( 1 कैरेट हीरा 200 मिलीग्राम होता है)

खनिजों का कुल अनुमानित मूल्य इस प्रकार है:

____________________________

खनिज       अनुमानित मूल्य करोड़ में

____________________________ 

हीरा                 1,78,274.79

कोयला           59,27,511.00

तांबा अयस्क       5,25655.00

बॉक्साइट           1,01,392.00

चुना पत्थर        10,80,615.35

डोलोमाइट          5,92,740.00

पायरोफाइलाइट 2,02,94,03,610

रॉक फॉस्फेट          12,607.50

मैंगनीज              1,56,050.00

____________________________

इन नौ खनिजों के भौगोलिक भंडार का कुल बाजार मूल्य - 2,03,79,78,428.64 करोड़ रुपए है। 

इस कुल मूल्य में कुल जनसंख्या से भाग दें तो यह लगभग 24 करोड़ रु होता है। समूचे मध्य प्रदेश में लगभग 25 प्रकार के मुख्य खनिज पाए जाते हैं, अगर उनका भी मूल्यांकन किया जाए तो यह लगभग 50 करोड़ रु आता है।

इसका अर्थ यह हुआ कि इस प्रदेश में जो मुख्य खनिज संसाधन हैं उनका मूल्य राज्य के प्रति व्यक्ति के हिसाब से 50 करोड़ रु. होता है। 

    याद रखें इसमें बालू और अन्य लघु खनिजों को शामिल नहीं किया गया है।

    अदानी द्वारा मध्यप्रदेश में लूट की एक झलक 

       अदानी मध्यप्रदेश में कई परियोजनाओं पर काम कर रहा है जिनमें से प्रमुख इस प्रकार हैं: 

1. कोयला:

        भारत सरकार ने अदानी समूह को दो कोयला खदान आवंटित किया है~

 1. सुलियरी कोल माइन्स~

 यह सिंगरौली में वैधान तहसील में स्थित है। इसमें 8 गाँवों की 3250 एकड़ जमीन अधिकृत की गई है। इस क्षेत्र में कुल खनन योग्य कोयला 107 मिलियन टन है। यह कोल माइंस "आंध्र प्रदेश खनिज विकास निगम" को आवंटित किया गया है जिसने कोयला खनन के लिए अदानी समूह को ठेका दिया है। इस कोयला भंडार का बाजार मूल्य ₹32100 होता है जबकि अडानी का परियोजना लागत मात्र ₹2000 करोड़ है। इस परियोजना से अडानी समूह को ₹30100 करोड़ का शुद्ध मुनाफा होगा।

 2. धीरौली कोयला खनन परियोजना~

यह परियोजना भी सिंगरौली जिले में ही स्थित है। इसमें कुल 6680 एकड़ भूमि प्रभावित होगी। यह परियोजना स्त्राता टेक मिनरल रिसोर्सेज प्राइवेट लिमिटेड नामक कंपनी को दी गई है जो अदानी समूह की कंपनी है। यह खदान 87 वर्षों के लिए दी गई है। इस परियोजना में कोई कोयला का कुल भंडार 620 मिलियन टन है तथा इसका बाजार मूल्य ₹186000 करोड़ है। इस प्रकार इन दोनों कोयला खदानों से अदानी को ₹218100 करोड़ की संपत्ति प्राप्त होगी।

2. ऊर्जा:

थर्मल पावर~ 

अडानी ने सिंगरौली में एस्सार पावर के थर्मल पावर केंद्र को अधिग्रहीत किया है। इसकी क्षमता 12 मेगावाट की थी जिसे विस्तारित करके सोलह सौ मेगावाट किया गया है ।

    अडानी ने यह सौदा 3000 करोड़ रुपए में किया है जबकि इस थर्मल पावर स्टेशन से प्रतिदिन 3.84 करोड़ यूनिट बिजली उत्पादित होगी जिसका कुल मूल्य 8.64 करोड़ रूपया होगा अर्थात 1 वर्ष में कुल प्राप्ति 3153.60 करोड रुपए की होगी।

      एक थर्मल पावर की उम्र 30 से 50 वर्ष तक होती है। अगर न्यूनतम उम्र भी माना जाए तो इस केंद्र से अदानी समूह को 94608 करोड़ रुपए की प्राप्ति होगी।

हरित ऊर्जा~

अदानी समूह ने मध्य प्रदेश के धार जिला में 324.4 मेगा वाट का पवन ऊर्जा केंद्र स्थापित करने की अनुमति ली है तथा इसने मध्य प्रदेश सरकार से इस बिजली को 2.83 रुपया प्रति यूनिट खरीदने का करार किया है।

 इस प्रकार इस इकाई से अडानी को प्रतिदिन  2,20,33 ,248 रुपए की प्राप्ति होगी यानी 1 वर्ष में इस इकाई से अदानी समूह को 8,04,21,35,520 रुपए की प्राप्ति होगी।

3. ट्रांसमिशन लाईन~

अडानी मध्यप्रदेश में 850 सर्कल किलोमीटर ट्रांसमिशन लाइन का स्वामित्व प्राप्त कर चुका है जो राज्य के 18 जिलों के प्रत्येक घरों में बिजली आपूर्ति का कार्य करेगा। इस कार्य के लिए भी अडानी को राज्य सरकार की ओर से भारी रकम चुकाई जाएगी।

4. अनाज भंडारण:

अडानी अनाज भंडारण के लिए इंदौर के भेंसलाई में 13.29 एकड़ जमीन पर अनाज भंडार गृह (साइलो) का निर्माण करने जा रहा है। इस भंडार गृह में भारतीय खाद्य निगम की ओर से ₹2000 प्रति टन प्रति वर्ष की दर से अनाज रखा जाएगा। इस भंडार गृह की क्षमता 1.5 लाख टन अनाज रखने की है। इस प्रकार अदानी को राज्य और केंद्र सरकार से इस भंडारण के लिए 3000 करोड़ रुपए सालाना प्राप्त होंगे, जबकि वर्तमान समय में भारतीय खाद्य निगम के भंडार घरों में अनाज रखने का खर्च मात्र ₹45 प्रति टन प्रति वर्ष होता है। इस तरह से अदानी को प्रति टन ₹155 का अतिरिक्त लाभ पहुंचाया जा रहा है।

अब सवाल यह है कि क्या हम सब यह लूट चुपचाप देखते रहें या संविधान में दिए गए अधिकार को लागू करवाने के लिए संघर्ष करें! फैसला आपका~ क्योंकि संसाधन आपके हैं।

 (11 जुलाई,2023)

                          ★★★★★★★★

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