परीक्षा की तैयारी स्नातक हिंदी प्रथम वर्ष प्रथम सत्र नाथ सम्प्रदाय गोरखनाथ नाथ-सम्प्रदाय: एक परिचय सिद्धों और योगियों की रचनाएँ हिन्दी साहित्य का आदिकाल वीरगाथाओं का ही नहीं; नाथों, सिद्धों, जैनियों की 'बानी' का भी काल है। इनमें नाथ-सम्प्रदाय का साहित्य हिन्दी की आदिकालीन काव्यधारा में विशेष महत्त्व रखता है। इसका एक प्रमुख कारण परवर्ती हिंदी साहित्य पर उसका महत्त्वपूर्ण प्रभाव है। वस्तुतः नाथ साहित्य को जाने-समझे बिना हिंदी के विशेषकर संत-साहित्य को जानना-समझना आसान नहीं। 'नाथ' का तात्पर्य: 'हिंदी साहित्य कोश' के अनुसार, " 'नाथ' शब्द का प्रयोग 'रक्षक' या 'शरणदाता' के अर्थ में 'अथर्ववेद' और 'तैत्तिरीय ब्राह्मण' में मिलता है। 'महाभारत' में 'स्वामी' या 'पति' के अर्थ में इसका प्रयोग पाया जाता है। 'बोधि चर्यावतार' में बुद्ध के लिए इस शब्द का व्यवहार हुआ है। ...परवर्ती काल में योगपरक पाशुपत शैव मत का विकास नाथ सम्प्रदाय के रूप में हुआ और 'नाथ' शब्द 'शिव
CONSCIOUSNESS!..NOT JUST DEGREE OR CERTIFICATE! शिक्षा का असली मतलब है -सीखना! सबसे सीखना!!.. शिक्षा भी सामाजिक-चेतना का एक हिस्सा है. बिना सामाजिक-चेतना के विकास के शैक्षिक-चेतना का विकास संभव नहीं!...इसलिए समाज में एक सही शैक्षिक-चेतना का विकास हो। सबको शिक्षा मिले, रोटी-रोज़गार मिले, इसके लिए जरूरी है कि ज्ञान और तर्क आधारित सामाजिक-चेतना का विकास हो. समाज के सभी वर्ग- छात्र-नौजवान, मजदूर-किसान इससे लाभान्वित हों, शैक्षिक-चेतना ब्लॉग इसका प्रयास करेगा.