खुद को न दें धोखा, बढ़िया होगी परीक्षा! विद्यार्थी और परीक्षा किसी विद्यार्थी के लिए परीक्षा किसी कक्षा में उत्तीर्ण होने की परीक्षा ही नहीं होती, यह उसके जीवन की परीक्षा भी होती है। उसने पढ़-लिखकर कुछ सीखा भी या यूँ ही 'टाइम-पास' किया, इसकी भी परीक्षा किसी कक्षा की परीक्षा के साथ ही होती चलती है। जो विद्यार्थी किसी 'शॉर्टकट', किसी 'इम्पोर्टेन्ट' के चक्कर में लगा रहता है, वह अपने जीवन में फेल होता है- किसी परीक्षा में जैसे-तैसे भले ही 'पास' हो जाय! विद्यार्थी-जीवन जीवन का वह अनमोल समय होता है जो मनुष्य को सोना या मिट्टी में से एक चुनने का अवसर देता है। जीवन की सफलता किसी परीक्षा में उत्तीर्ण होने भर से नहीं आँकी जाती, कोई व्यक्ति अपने जीवन में आने वाली समस्याओं का कितना बढ़िया हल निकाल सकता है, इससे भी तय होती है। विद्या को हमारे देश में 'सरस्वती' देवी की उपाधि से विभूषित किया गया है। इसका मतलब यह नहीं कि सरस्वती की मूर्ति या तस्वीर के सामने बैठकर पूजा-आराधना करने से विद्या आ जाएगी, ज्ञान प्राप्त हो जाएगा; बल्कि इसका तात्
CONSCIOUSNESS!..NOT JUST DEGREE OR CERTIFICATE! शिक्षा का असली मतलब है -सीखना! सबसे सीखना!!.. शिक्षा भी सामाजिक-चेतना का एक हिस्सा है. बिना सामाजिक-चेतना के विकास के शैक्षिक-चेतना का विकास संभव नहीं!...इसलिए समाज में एक सही शैक्षिक-चेतना का विकास हो। सबको शिक्षा मिले, रोटी-रोज़गार मिले, इसके लिए जरूरी है कि ज्ञान और तर्क आधारित सामाजिक-चेतना का विकास हो. समाज के सभी वर्ग- छात्र-नौजवान, मजदूर-किसान इससे लाभान्वित हों, शैक्षिक-चेतना ब्लॉग इसका प्रयास करेगा.