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Showing posts from September, 2020

लोक संस्कृति : #मुखौटा #लोक_नृत्य

          लोक संस्कृति और लोक नृत्य: मुखौटा लोकनृत्य                     https://youtu.be/wXfDHjR00mM   देश के #लोकगीत और लोकनृत्य जनता की धरोहर हैं।  इन्हें बचाए रखना,  इन्हें प्रचारित-प्रसारित करना हम सबकी ज़िम्मेदारी है।  दरअसल, हमारे लोकजीवन और #लोक_संस्कृति को विकृत करने  ध्वस्त करने या फिर remix के नाम पर नष्ट कर देने की प्रक्रिया उदारीकरण-वैश्वीकरण की शुरुआत के साथ ही  पिछली शताब्दी में ही तेज हो गई थी...  ताकि विकसित होती उपभोक्ता-संस्कृति को आसानी से लोग स्वीकार कर लें।  हम देखते हैं कि यह कोशिश काफी हद तक सफल भी हो गई/रही हैं।... कैसे बचेगा हमारा #लोकजीवन, हमारी लोक-संस्कृति?  यह सवाल हम सबके सामने है। ... हमारी कोशिश होनी चाहिए कि जिस तरह भी हो, इसे बचाया जाए,  लोगों तक पहुँचाया जाए!...                                 ★★★★★

मैं चींटी हूँ

कविता:                                                      मैं चींटी हूँ...                                     - अशोक प्रकाश मैं चींटी हूँ मैंने कभी नहीं सोचा हाथी बन जाऊँ बड़े होने के घमंड से  फूलूँ, इतराऊँ! मैं छोटी हूँ घमंड आलस्य में कभी नहीं बैठी हूँ मैंने कभी नहीं चाहा मेरा काम कोई दूसरा करे मैं रानी बनी रहूँ दुनिया पर रौब जमाऊँ! तुम तो मनुष्य हो धरती के सर्वश्रेष्ठ प्राणी विकास से कम विनाश नहीं किया तुमने... कैसे मनुष्य हो? कुछ मनुष्यों को धरती रौंदने देते हो, चुप रहते हो क्यों सहते हो?... मैं तुम्हें क्या समझाऊँ! ★★★★★★★