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सेंगोली-राजा मुर्दाबाद, लोकतंत्र ज़िंदाबाद!

                         राजतन्त्र नहीं,                 लोकतंत्र है यह! तो यह भूमिका बनाई जा रही है?...राजतन्त्र स्थापित किया जाएगा? जवाहलाल नेहरू की आत्मा को भी अपने दुष्चक्र में घसीट लाया गया?..कहा गया कि उन्होंने भी 'सेंगोल' या 'राजदण्ड' ग्रहण किया था?        हुज़ूरे-आला! राजतन्त्र नहीं, लोकतंत्र है यह! इतिहास को छिपाने और मनगढ़ंत रचने की आपकी कोशिशें कामयाब नहीं होने दी जाएंगी! और राजतन्त्र के साथ जिस 'साम्राज्य' को पुनर्स्थापित करने का सपना कीर्तन-मंडली देख रही है, उसे इस देश की जनता चकनाचूर कर देगी!        बहाना 'सेंगोल' का है। किसी जमाने में, 'चोल-साम्राज्य' के काल में चोल राजा के उत्तराधिकारी की घोषणा होने पर नए राजा को सत्ता-हस्तांतरण के प्रतीक के रूप में 'सेंगोल' अर्थात 'राजदण्ड' दिया जाता था। दरअसल किसी को भी राजदण्ड देने का मतलब राजा को राज का डंडा दिया जाना ही हो सकता है। शायद तमाम सिपहसालारों के बीच भी अंतिम शस्त्र के रूप में राजा ...

इनसे इतना प्यार क्यूँ है?

                    भाजपा के नाक के बाल         क्यों बने हुए हैं ब्रजभूषण सिंह? क्यों?...क्यों?...क्यों?.. . क्यों नही  किए जा रहे पॉस्को के तहत एफआईआर दर्ज़ होने के बावजूद ब्रजभूषण शरण सिंह गिरफ़्तार? भाजपाइयों के अलावा और कितने ऐसे लोग हैं जो इतने गम्भीर आरोपों के बावज़ूद, सुप्रीम कोर्ट की तल्ख़ टिप्पणियों के बावजूद ऐसे खुल्ला घूम रहे हैं। ओलम्पिक पदक विजेता धरने पर हैं ऐसे गम्भीर धाराओं के आरोपी के खिलाफ, क्या यह सरकार दुनिया में देश की प्रतिष्ठा की कोई परवाह करती है? क्या अपने कॉरपोरेट बन्धुओं, देशी-विदेशी कम्पनियों के हितों के अलावा भी कुछ और सोचा करती है यह भाजपा सरकार? किसानों के खिलाफ़ इसने काले कानून बनाए जिसके खिलाफ एक साल से ज़्यादा समय तक दिल्ली की सीमाओं पर धरना देने के बाद मजबूरन उन कानूनों को वापस लेना पड़ा! तथाकथित छप्पन-इंची कुछ सिकुड़ी! क्या धरनारत महिला पहलवानों को समर्थन दे रहे देश भर के किसानों को कोई महत्त्व नहीं देती यह भाजपा और उसकी सरकार? क्या साम्प्रदायिक राजनीति पर भाजपा को इतना विश्वास ...