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इनसे इतना प्यार क्यूँ है?

                   भाजपा के नाक के बाल

       क्यों बने हुए हैं ब्रजभूषण सिंह?

क्यों?...क्यों?...क्यों?...

क्यों नही  किए जा रहे पॉस्को के तहत एफआईआर दर्ज़ होने के बावजूद ब्रजभूषण शरण सिंह गिरफ़्तार? भाजपाइयों के अलावा और कितने ऐसे लोग हैं जो इतने गम्भीर आरोपों के बावज़ूद, सुप्रीम कोर्ट की तल्ख़ टिप्पणियों के बावजूद ऐसे खुल्ला घूम रहे हैं। ओलम्पिक पदक विजेता धरने पर हैं ऐसे गम्भीर धाराओं के आरोपी के खिलाफ, क्या यह सरकार दुनिया में देश की प्रतिष्ठा की कोई परवाह करती है? क्या अपने कॉरपोरेट बन्धुओं, देशी-विदेशी कम्पनियों के हितों के अलावा भी कुछ और सोचा करती है यह भाजपा सरकार? किसानों के खिलाफ़ इसने काले कानून बनाए जिसके खिलाफ एक साल से ज़्यादा समय तक दिल्ली की सीमाओं पर धरना देने के बाद मजबूरन उन कानूनों को वापस लेना पड़ा! तथाकथित छप्पन-इंची कुछ सिकुड़ी! क्या धरनारत महिला पहलवानों को समर्थन दे रहे देश भर के किसानों को कोई महत्त्व नहीं देती यह भाजपा और उसकी सरकार? क्या साम्प्रदायिक राजनीति पर भाजपा को इतना विश्वास है? 

क्या ब्रजभूषण जैसे बाहुबलियों पर इस सरकार को इतना अटूट भरोसा है जैसा कि नारी चेतना मंच ने सवाल उठाया था? यूपी की कैसरगंज लोकसभा सीट से भाजपा के टिकट पर जीते बृजभूषण शरण सिंह कुल 6 बार के सांसद हैं। बृजभूषण के बेटे प्रतीक भूषण भी पिछले दो बार से गोंडा सदर से विधायक चुने जा रहे हैं। उनकी पत्नी केतकी देवी सिंह भी वर्तमान में गोंडा जिला पंचायत की अध्यक्ष हैं। एक तरफ देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा दूसरी पार्टियों के नेताओं पर राजनीति में परिवारवाद का आरोप लगाया जाता है, वहीं देखने को मिलता है कि खुद भाजपा नेताओं पर ऐसे आरोप सबसे ज़्यादा सटीक बैठते हैं। भाजपा सांसद की पत्नी और बेटे ही महत्वपूर्ण पदों पर नहीं बने हुए हैं बल्कि अपने रिश्तेदारों-नातेदारों को भी वे अनेक पदों पर बिठाते रहे हैं। 

ब्रजभूषण शरण सिंह पूरी तरह से एक बाहुबली छवि वाले नेता माने जाते हैं और सम्भवतः यही सबसे बड़ा कारण है कि भाजपा सरकार उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर रही है। 2019 में लोकसभा चुनाव के लिए भरे गए हलफनामे के मुताबिक ब्रजभूषण सिंह के खिलाफ डकैती, हत्या के प्रयास और दंगा समेत कुछ अन्य बड़े आरोप भी हैं। सवाल है कि ऐसी सोच वाली राजनीतिक पार्टी लोकतंत्र की मर्यादा की रत्ती भर भी परवाह करती है क्या?

सवाल हम सबके सामने भी है कि हम लोकतंत्र को ऐसे राजनीतिक दल और उसके ऐसे बाहुबलियों के हवाले होते देखते रहेंगे क्या?..

                           ★★★★★★★

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