लोक संस्कृति और लोक नृत्य: मुखौटा लोकनृत्य https://youtu.be/wXfDHjR00mM देश के #लोकगीत और लोकनृत्य जनता की धरोहर हैं। इन्हें बचाए रखना, इन्हें प्रचारित-प्रसारित करना हम सबकी ज़िम्मेदारी है। दरअसल, हमारे लोकजीवन और #लोक_संस्कृति को विकृत करने ध्वस्त करने या फिर remix के नाम पर नष्ट कर देने की प्रक्रिया उदारीकरण-वैश्वीकरण की शुरुआत के साथ ही पिछली शताब्दी में ही तेज हो गई थी... ताकि विकसित होती उपभोक्ता-संस्कृति को आसानी से लोग स्वीकार कर लें। हम देखते हैं कि यह कोशिश काफी हद तक सफल भी हो गई/रही हैं।... कैसे बचेगा हमारा #लोकजीवन, हमारी लोक-संस्कृति? यह सवाल हम सबके सामने है। ... हमारी कोशिश होनी चाहिए कि जिस तरह भी हो, इसे बचाया जाए, लोगों तक पहुँचाया जाए!... ★★★★★
CONSCIOUSNESS!..NOT JUST DEGREE OR CERTIFICATE! शिक्षा का असली मतलब है -सीखना! सबसे सीखना!!.. शिक्षा भी सामाजिक-चेतना का एक हिस्सा है. बिना सामाजिक-चेतना के विकास के शैक्षिक-चेतना का विकास संभव नहीं!...इसलिए समाज में एक सही शैक्षिक-चेतना का विकास हो। सबको शिक्षा मिले, रोटी-रोज़गार मिले, इसके लिए जरूरी है कि ज्ञान और तर्क आधारित सामाजिक-चेतना का विकास हो. समाज के सभी वर्ग- छात्र-नौजवान, मजदूर-किसान इससे लाभान्वित हों, शैक्षिक-चेतना ब्लॉग इसका प्रयास करेगा.