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Showing posts from 2024

तब, जब तुम नहीं थे!

                  अंधेरा ही रोशनी है! लगभग पाँच हजार साल पहले की बात है!...शायद उससे भी पहले की! तब, सब जगह जंगल ही जंगल हुआ करता था! घना जंगल, वैसा ही जैसा अबूझमाड़!..या उससे भी घना, उससे भी ज़्यादा अबूझ! शायद अमेज़न के अभेद्य जंगलों की तरह..! या शायद उससे भी ज़्यादा अभेद्य! जंगल के बीच से नदियाँ बहते हुए निकलती थीं~ कल-कल निनादिनी नदियाँ!..भयावह नदियाँ!..तरह-तरह के विस्मयकारी प्राणियों वाली नदियाँ! पूरा जंगल संगीतमय होता था। पक्षी ही नहीं, तरह-तरह की वनस्पतियाँ, पेड़-पौधे, कीट-पतंगे तरह की ध्वनियां निकालते, सब कुछ मिलकर संगीत बन जाता! जीवन का संगीत! पक्षी, पशु इस प्राकृतिक अभयारण्य में निर्भय विचरण किया करते थे। चारागाह की कमी होने का सवाल ही नहीं था। पक्षियों, पशुओं और मनुष्यों के लिए जंगल न जाने कितने प्रकार के खाद्य, चूस्य, पेय रस प्रदान करता था। एक से बढ़कर एक स्वाद!   संसार के सर्वोत्तम चरागाह में, जंगल में मंगल ही मंगल था! सब कुछ धीरे-धीरे प्राकृतिक रूप से चलता था, यही संसार था। मनुष्यों का भी, पशु-पक्षियों, जीव-जन्तुओं, चित्र-विचित्र वनस्पतियों- पौधों, फूलों, फलों का भी!...हरा-भरा थ

केवल संख्या बल नहीं!

               केवल संख्या बल नहीं!.. केवल संख्या से कुछ नहीं होगा हिंदुस्तानियों.. अंग्रेज़ तुमसे बहुत कम थे अन्य देशों से आकर राज क़ायम करने वाले दूसरे शत्रु भी! कबूतर हमेशा नहीं उड़ जाया करते बहेलिए का जाल लेकर!.. इन दिनों ही देखो, कितने कम हैं तुम पर  राज करने वाले उनसे भी बहुत कम हैं राज का ताज पहनाने वाले! अगर तुम नहीं समझ सकते ताज़ का राज़ और अपनी गुलामी का कारण तो समझने की कोशिश करो... मत लड़ो उनके इशारों पर और सोचो कि लोकतंत्र कैसे बना है  और कितना बचा है! इतना तो समझ सकते ही हो पुष्पक विमान की कल्पना बहुत आगे बढ़ चुकी है चन्द्रमा और मंगल सिद्ध हो चुके हैं अपूर्ण पृथ्वी! पृथ्वी पर रहने वालों मनुष्यों खुद को बचाओ अपने ही बीच के शत्रुओं से जो जानवर बन खा जाना चाहते हैं तुम्हें निगल जाना चाहते हैं यह  पृथ्वी स्वर्गादपि गरीयसी भस्मासुर बनकर!... लेकिन वह पौराणिक कथा है सच में तो कहानियों का इस्तेमाल से राज और ताज दोनों सुरक्षित हैं!                   ★★★★★★

आपके पास विकल्प ही क्या है?..

                          अगर चुनाव              बेमतलब सिद्ध हो जाएं तो? सवाल पहले भी उठते रहते थे!... सवाल आज भी उठ रहे हैं!... क्या अंतर है?...या चुनाव पर पहले से उठते सवाल आज सही सिद्ध हो रहै हैं? शासकवर्ग ही अगर चुनाव को महज़  सर्टिफिकेट बनाने में अपनी भलाई समझे तो?... ईवीएम चुनाव पर पढ़िए यह विचार~ चुनाव ईवीएम से ही क्यों? बैलट पेपर से क्यों नहीं? अभी सम्पन्न विधानसभा चुनाव में अनेक अभ्यर्थियों, नुमाइंदों, मतदाताओं ने ईवीएम में धांधली गड़बड़ी की शिकायत की है, वक्तव्य दिए हैं। शिकायत एवं वक्तव्य के अनुसार जनहित में वैधानिक कारवाई किया जाना नितांत आवश्यक है।।अतः चुनाव आयोग एवं जनता के हितार्थ नियुक्त उच्च संस्थाओं ने सभी शिकायतों को संज्ञान में लेकर बारीकी से जांच कर,निराकरण करना चाहिए। कई अभ्यर्थियों ने बैटरी की चार्जिंग का तकनीकी मुद्दा उठाया हैं जो एकदम सही प्रतीत होता है। स्पष्ट है चुनाव के बाद या मतगणना की लंबी अवधि तक बैटरी का 99% चार्जिंग  यथावत रहना असंभव~ नामुमकिन है।  हमारी जानकारी के अनुसार विश्व के प्रायः सभी विकसित देशों में ईवीम से चुनाव प्रतिबंधित है,बैलेट पेपर से चुनाव