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इस संसद में सिर्फ़ महिलाएँ ही क्यों रहेंगी?

                            सिर्फ़ महिलाओं की                किसान संसद   लगातार चल रहे शांतिपूर्ण किसान आंदोलन के अब आठ  महीने पूरे हो रहे हैं। इस  ऐतिहासिक आंदोलन में लाखों किसान शामिल हुए हैं और इस किसान आंदोलन ने देश में ही नहीं बल्कि पूरी  दुनिया में किसानों की प्रतिष्ठा को बढ़ाया है। यही नहीं  किसानों के संघर्ष ने भारतीय लोकतंत्र को भी मजबूत किया है। इसी लोकतांत्रिक दृष्टि की प्रतीक बनने वाली है केेेवल महिला किसानों द्वारा संचालित होने  महिला किसान संसद!       इन आठ महीनों में भारत के लगभग सभी राज्यों के लाखों किसान विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए। विरोध शांतिपूर्ण रहा है और हमारे अन्नदाताओं ने सदियों पुराने लोकाचार को दर्शाया है। कठिनाइयों का सामना करने के लिए किसानों की दृढ़ता और अटलता, भविष्य प्रति उनकी आशा, उनके संकल्प को दर्शाता है। इस अवधि के दौरान किसानों ने खराब मौसम और दमनकारी सरकार का बहादुरी से सामना किया। एक चुनी हुई सरकार ने - जो मुख्य रूप से किसानों के वोटों पर सत्ता में आई थी - उनके साथ विश्वासघात किया, और किसानों को अपनी आवाज और मांगों को सच्चे, धैर्यपूर्वक और शांतिपूर