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मंदसौर की शहादतों ने कैसे लगाई किसानों के दिल में आग?

मंदसौर की शहादत      मंदसौर की शहादत के मायने   कर्ज में डूबे मध्यप्रदेश के किसान लंबे समय से किसानों की आत्म हत्याओं और  कर्जमाफी के लिए आन्दोलित थे। इस पर  किसानों का मजाक उड़ाते हुए मुख्यमंत्री द्वारा यह कहना कि आत्महत्याओं का कारण कर्ज नहीं, कुछ और है; जले पर नमक छिड़कने जैसा था। नोटबन्दी के कारण किसानों की हालत पहले से ही खराब थी।  चुनाव में भाजपा द्वारा स्वामीनाथन आयोग के आधार पर न्यूनतम समर्थन मूल्य पर फसल खरीद से यह कहकर पीछे हट गई कि यह संभव नहीं है। सरकार की ही प्रचारित-प्रसारित प्रेरणाओं पर विश्वास कर किसानों  द्वारा किए गए प्याज के भारी उत्पादन के बाद किसानों को लागत से भी काफी कम मूल्य पर ( चार रुपये किलो) प्याज बेचने के लिए विवश कर दिया गया। फलतः सड़क पर ही किसानों द्वारा प्याज फेंकने के लिए मजबूर होना पड़ा।  इन्हीं परिस्थितियों में आंदोलनरत किसानों पर 6 जून 2017 को गोलियाँ चलाकर छह किसानों की हत्या कर दी गई। ये ऐसे जख्म हैं जिन्हें मंदसौर, मालवा या मध्यप्रदेश के किसान ही नहीं, पूरे देश के किसान कभी न भूल पाएंगे। समाचारों के अनुसार गुस्साए किसानों ने कुछ स्थानों पर रेल पटरियो