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Showing posts from April, 2021

प्रवासी मजदूर और किसान आंदोलन:

किसान आंदोलन             क्या प्रवासी मजदूरों के साथ आने से        और तेज होगा  किसान आंदोलन?           हालांकि पिछले साल की अभूतपूर्व और निर्मम प्रवासी मजदूर पलायन की घटना की पुनरावृत्ति शायद ही इस साल हो!...क्योंकि शासकवर्ग भी यह जानता है और प्रवासी मजदूर भी कि ऐसा होना किसी भी प्रकार की अनहोनी घटना को आमंत्रण दे सकता है। यद्यपि पूंजीवाद अपने मुनाफे के लिए किसी भी हद तक क्रूर हो सकता है, पिछली सदी के दो विश्वयुद्ध इसीलिए लड़े गए थे, किन्तु इनके संचालक यह भी समझते हैं कि कोई जरूरी नहीं कि सिक्के का पहलू हमेशा उनकी तरफ ही बना रहे। दो विश्वयुद्धों का परिणाम भी उन्हें अच्छी तरह पता होगा। इन युध्दों के बाद एक समय ऐसा लगने लगा था कि जैसे दुनिया से पूंजीवाद का हमेशा के लिए खात्मा हो जाएगा। इन युध्दों के खिलाफ उठ खड़ी हुई जनता की वैश्विक गोलबंदी का ही परिणाम था लंबे समय से बनाए रखे गए उपनिवेश आज़ाद होने लगे। भले ही औपनिवेशिक शासकों ने स्थानीय शासकों से मिलकर मुनाफे को बनाए रखने के समझौते किए और इसी का परिणाम है कि वैश्विक पूँजीवाद या साम्राज्यवाद आज भी जिंदा है। दुनिया भर की जनता को इन समझौतों

क्या शुरू होने वाला है तीसरा स्वतंत्रता संग्राम?..

काले कानून किसान आंदोलन                          किसान-मजदूर संगठनों के लिए                                     आह्वान यद्यपि संयुक्त किसान मोर्चा के नेता डॉ. दर्शन पल ने सीधे तौर पर किसी स्वतंत्रता संग्राम की शुरुआत की घोषणा नहीं की है, किन्तु सरकार ने जिस तरह का रवैया अपनाया है और  किसान   संगठन जिस तरह अपने आंदोलन के नित नए तरीके अपना रहे हैं; उससे ऐसा ही लगता है कि भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की शुरुआत के दिन (10 मई, 1857) को एक महत्वपूर्ण दिन बनाया जाएगा। संयुक्त किसान मोर्चा की तरफ से आह्वान किया गया है कि उस दिन देश के सभी किसान-मजदूर संगठनों के प्रतिनिधि सिंघु बॉर्डर पहुँचे। संयुक्त किसान मोर्चा के प्रवक्ता के अनुसार लाखों  किसान   तीन किसान विरोधी व कॉरपोरेट पक्षीय कानूनों का विरोध शुरू से स्थानीय स्तर पर कर रहे है और पिछले साल नवंबर के अंत से दिल्ली की सीमाओं पर डटे हुए है।  संयुक्त किसान मोर्चा के नेतृत्व में, वे सभी किसानों के लिए पारिश्रमिक एमएसपी की कानूनी गारंटी की भी मांग कर रहे हैं। 143 दिनों के विरोध के बावजूद, भीषण ठंड, बारिश और गर्मी के मौसमो में, किसानों की जा

Call to 'Reach Delhi Again'

     काले कानून                   Operation Power (शक्ति) against                         'Opration Clean'                          On the 144th day of 'Joint Farmers' Front' (Sanyukt Kisan Morcha- SKM), (farmers agitating against the new anti-farm laws,), responded with 'Operation Shakti with Operation Clean in SKM's announcement. Its spokesperson and peasants' leader Dr.Darshan Pal announced: * SKM has evolved its strategy to counter the conspiracy to clean out the farmers' protest sites in the name of addressing corona pandemic * From 20th to 26th April, in a week being called as "Resistance Week", all protest sites will make strong arrangements to protect from corona * Farmers being invited to come back to protest sites with a slogan of "Phir Dilli Chalo" * A National Convention of farmer leaders and representatives on 10th May                     Dr.Darshan Pal, SKM leader The ongoing farmers' movement under the leadersh

किसान आंदोलन: अब होगा डटकर मुकाबला

  काले कानून                     ' ऑपरेशन क्लीन' का जवाब:                                   'ऑपरेशन शक्ति' संयुक्त किसान मोर्चा के आंदोलन के 144वें ने दिन महत्त्वपूर्ण 'विशेष प्रेस वक्तव्य' जारी कर न केवल सरकार को चेताया बल्कि कोरोना के खिलाफ़ भी किसानों की जंग का ऐलान किया। किसान नेता और एसकेएम के प्रवक्ता डॉ. दर्शन पाल द्वारा जारी प्रेसविज्ञप्ति के अनुसार सरकार कोरोना का बहाना लेकर किसान आदोंलन की तैयारी कर रही है। इसके लिए सरकार ने तथाकथित 'ऑपरेशन क्लीन' की योजना भी तैयार कर ली है। संयुक्त किसान मोर्चा ने सरकार के ऑपरेशन क्लीन का जवाब ऑपरेशन शक्ति से देंने का भी ऐलान किया है। इसके तहत उसने कोरोना की सफाई के नाम पर  किसान  आंदोलन का सफाया करने के षड्यंत्र का मुकाबला करने की भी रणनीति बनाई है। संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा घोषित मुख्य कार्यक्रम निम्नवत हैं:   ★ 20 से 26 अप्रैल के बीच सभी मोर्चों पर "प्रतिरोध सप्ताह" के तहत कोरोना से बचाव के पुख्ता इंतजाम किए जाएंगे  ★ 24 अप्रैल से सभी किसानों को "फिर दिल्ली चलो" के नारे के साथ मोर्चा

Corona: STATISTICS TO AMAZE YOU

WhatsApp Gyan:                          Be Careful,                 Don't be Panic                    STATISTICS TO AMAZE YOU ... The number of deaths in the world in the last 3 months of 2020:       3,14,687 : Corona virus       3,40,584 : Malaria      3,53,696 : suicide      3,93,479 : road accidents      2,40,950 : HIV       5,58,471 : alcohol      8,16,498 : smoking   11,67,714: Cancer  Then do you think Corona is dangerous?   Or is the purpose of the media campaign to settle the trade war between China and America  Or to reduce financial markets to prepare the stage of financial markets for mergers and acquisitions  Or  to sell US Treasury bonds to cover the fiscal deficit in them Or Is it a Panic created by Pharma companies to sell their products like sanitizer, masks, medicine etc. Do not Panic & don't kill yourself with unecessary fear. This posting is to balance your newsfeed from posts that caused fear and panic.   33,38,724 People are sick with Coronavirus at the

चुनाव लोकतंत्र की पूजा है?..कोरोना क्या है??

    तो  पूजाओं से किसी को कोई खतरा नहीं! क्यों परेशान हो रहे हैं?.. उन्हें सब पता है! दुनिया एक रंगमंच है और वे उसके नट। हम सब इस नाटक के पात्र-महापात्र हैं। फिर काहे का डर?... महादेव की नगरी काशी हो या हर की पैड़ी हरिद्वार- सब उस नटराज की लीलाओं के रंगमंच हैं। कब क्या कहाँ होना चाहिए- सब निर्धारित करने का अधिकार उसी को है या फिर थोड़ा-बहुत उसके मठ-महंतों को। इसलिए क्यों परेशान हैं?.. बूटी छानिए और जब तक जमराज का बुलावा न आए, जमे रहिए। कोरोना भी प्रभु की लीला है। उसी के निर्देश-आदेश पर उसके संत-महंत दिन-रात आपकी सेवा में लगे हैं। पूजा-अर्चना कर रहे हैं। उसी की इच्छा थी कि कहा जाय- 'जब तक दवाई नहीं, तब तक ढिलाई नहीं!' अमिताभ बच्चन का डायलॉग याद कीजिए! अब नवरात्रि के साथ 'नया साल आशा की नई किरण लेकर आया है!' साथ में आया है हरिद्वार, हरद्वार या हरीद्वार का महाकुम्भ का महा त्योहार!...जाइए, आप भी डुबकी लगा आइए। स्वर्गद्वार के पासपोर्ट की तरह आरटीपीसीआर की निगेटिव रिपोर्ट भी लेते जाइए! घबराइए नहीं, प्रभु की इच्छा होगी तो जैसे बाकी लाखों को मिली है, आपको भी मिल ही जाएगी। फिर श्

क्या डॉ.अम्बेडकर सचमुच आपके आदर्श हैं?

                      बोलो, कौन-कौन मानता है                   डॉ. आंबेडकर को? राजनीतिक तौर पर यह #रामराज या #रामराज्य को पुनर्स्थापित करने की घोषणाओं का दौर है। कुछ राज्य सरकारों के मंत्रीगण घोषित करते हैं कि रामराज आने वाला है तो कुछ तो अपनी सरकार को रामराज की सरकार ही कहते हैं। विडम्बना यह है कि उच्च स्तर से लेकर निम्न स्तर तक शासन-प्रशासन में बैठे लोग डॉ. अम्बेडकर को आदर्श बताते हुए उनकी महानता की दुहाई भी देते हैं। क्या सचमुच ये लोग उन्हें आदर्श मानते हैं या कुछ मजबूरियों के चलते उन्हें ऐसा कहना पड़ता है, दिखावा करना पड़ता है!  ऐसे में संविधान निर्माता कहे जाने वाले डॉ. भीमराव अंबेडकर की उन 22 प्रतिज्ञाओं को याद करना भी चौंकाता है। यद्यपि भिन्न धर्म-मत वाले सक्रिय संगठनों द्वारा इसकी धज्जियाँ भी उड़ाई जाती हैं और डॉ. अम्बेडकर से सहमत या उनकी विचारधारा से जुड़े हुए बुद्धिजीवी इसके समर्थन में लिखते और दहाड़ते भी हैं; किंतु आम जनता, यहाँ तक कि #बहुजन जनता भी इस तरह के किसी मसले से दूर रहने में ही अपना सुकून महसूस करती है। क्यों?... इस पर विचार करने से पूर्व डॉ. #भीमराव_आंबेडकर द्वारा बौद

दांडी से दिल्ली: एक नया प्रयोग

काले कानून मिट्टी सत्याग्रह        किसान आंदोलन का एक अभिनव प्रयोग:                         मिट्टी सत्याग्रह                  https://youtu.be/Ml2fxGNdLv8 सत्ता के मद में चूर बड़बोले घमंडोले देश के शासकों को आज लगता है कि किसानों के आंदोलन से उनका कुछ नहीं बिगड़ने वाला! कम से कम किसानों के आंदोलन और अंग्रेज़ी कानूनों से भी खतरनाक लाए गए किसानी सम्बन्धी कानूनों पर अडिग रहने की उनकी हठधर्मिता से यही प्रतीत होता है। पर देश की मिट्टी से जुड़ें करोड़ों सचेत किसानों, मजदूरों, नौजवानों,  बुद्धिजीवियों को पता है कि देश की मिट्टी के असली वारिस किसानों को नज़रंदाज़ करने से बड़े से बड़े राजाओं-महाराजाओं, नवाबों-बादशाहों की स्मृतियाँ भी मिट्टी में मिल गई हैं। आज उन्हें नफ़रत और हिक़ारत की नज़र से ही देखा जाता है। देश-दुनिया के किसानों-मजदूरों द्वारा निर्मित की जाने वाली मानव सभ्यता के विकास के वे रोड़े और खलनायक ही माने जाते हैं। कुछ ऐसी ही सोच आज के किसान आंदोलन और दांडी से दिल्ली की मिट्टी सत्याग्रह यात्रा की पड़ताल करने से भी बनती है। तीन किसान विरोधी कानूनों के खिलाफ़ चार महीने से अधिक समय से दिल्ली की सीमा

किसान आंदोलन के नए प्रतिमान

                  दिल्ली की सीमाओं से आगे... संयुक्त किसान मोर्चा के नेतृत्व में जारी किसान आंदोलन अब देशव्यापी होने साथ-साथ सघन भी होता जा रहा है। देश के दक्षिणी राज्यों- केरल, तमिलनाडु, गोवा आदि में अन्य किसानों के साथ-साथ मछुआरों का भी आंदोलन को भारी समर्थन मिल रहा है। होली के अवसर पर किसानों ने जगह-जगह किसान-विरोधी कानूनों की प्रतियां जलाईं। इसी क्रम में किसान आंदोलन के 125वें दिन जारी की गई प्रेस विज्ञप्ति से पता चलता है कि यह आंदोलन अब विकेन्द्रित आंदोलन के रूप में कहीं ज़्यादा गति से विकसित हो रहा है।     कानूनों की जली होली 125वें दिन डॉ. दर्शनपाल द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा निम्नलिखित निर्णय लिए गए:- 1. 5 अप्रैल को FCI बचाओ दिवस मनाया जाएगा जिस दिन देशभर में FCI के दफ्तरों का घेराव किया जाएगा। 2. 10 अप्रैल को 24 घण्टो के लिए केएमपी ब्लॉक किया जाएगा। 3. 13 अप्रैल को वैशाखी का त्यौहार दिल्ली की सीमाओं पर मनाया जाएगा। 4. 14 अप्रैल को डॉ भीम राव अम्बेडकर की जयंती पर सविंधान बचाओ दिवस मनाया जाएगा। 5. 1 मई मजदूर दिवस दिल्ली के बोर्डर्स पर मनाया ज