किसान आंदोलन का एक अभिनव प्रयोग:
मिट्टी सत्याग्रह
https://youtu.be/Ml2fxGNdLv8
तीन किसान विरोधी कानूनों के खिलाफ़ चार महीने से अधिक समय से दिल्ली की सीमाओं पर विरोध-प्रदर्शन कर रहे किसानों के समर्थन में गाँधीजी के नमक-सत्याग्रह से मशहूर दांडी से दिल्ली के लिए किसानों का एक जत्था 30 मार्च, 2021 को रवाना हुआ। इसे 'मिट्टी सत्याग्रह यात्रा' नाम दिया गया। इसी दिन एक दूसरा जत्था मध्यप्रदेश के बड़वानी के राजघाट से दिल्ली के लिए चला। यात्रा के एक मुख्य संयोजक डॉ. सुनीलम के अनुसार देश भर में चल रहे किसान आंदोलन के समर्थन में गांधी जी द्वारा 91 वर्ष पहले आजादी के आंदोलन के दौरान की गई दांडी यात्रा की स्मृति में 12 मार्च से विभिन्न राज्यों में मिट्टी सत्याग्रह यात्रा निकालकर गांव गांव जागरण अभियान चलाया गया है।
यात्रा के विभिन्न स्थानीय संयोजकों ने इस अभियान की जानकारी समय-समय पर प्रेस और मीडिया को दी। इसके अनुसार मिट्टी सत्याग्रह की मुख्य यात्रा दांडी के उसी स्थान से शुरू हुई जहां गांधी जी ने नमक सत्याग्रह किया था। यात्रा में खेरुत समाज के रमेश पटेल ,जन आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय के कृष्णाकांत और प्रसाद बागवे, अखिल भारतीय किसान सभा के डाया भाई गजेरा, लोक शक्ति अभियान के प्रफुल सामंतरा, हम भारत के लोग के फिरोज़ मिठीबोरवाला, तुषार भोतमांगे, निश्चय म्हात्रे, मंगल निकम, लोकायत से, आमिर काज़ी, आल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन से, लता प्रमिला मधुकर, बहुजन संवाद से सलीम साबूवाला, सर्वेश जी दिल्ली से और गुड्डी युवा बिरादरी से शामिल हुए।
यात्रियों को दांडी में किसानों द्वारा 100 गांव की मिट्टी तथा बारदोली में 50 गाँव से लाई गई मिट्टी सौंपी गई। उमराची में यात्रा का स्वागत किया गया। यात्रियों ने बताया कि मोदी सरकार किसानों की मिट्टी (जमीन) छीनकर अडानी अंबानी को सौंपना चाहती है। इसके खिलाफ यह यात्रा निकाली जा रही है। किसान आंदोलन के दौरान देश केके जो किसान शहीद हुए हैं, स्मारक बनाकर उन्हें याद करने के लिए यह यात्रा गांधी जी की प्रेरणा से निकाली जा रही है।यात्रा को उमराची में गुजरात पुलिस ने रोक दिया। यात्रियों का कहना था कि गुजरात को पुलिस स्टेट में तब्दील कर दिया गया है। देश का किसान लोकतंत्र बचाने की लड़ाई को लड़ रहा है। भरूच पहुंचने पर खेरूत हित रक्षक दल और माछि मार संगठन द्वारा यात्रियों का स्वागत किया गया और मिट्टी भेंट की गई। यात्रियों ने छोटू भाई पुराणी, डॉ. चंदूलाल देसाई और दिनकर राव देसाई सहित गाँधीजी की मूर्ति पर माल्यार्पण किया।यात्रियों ने जिला आनंद के बोरसद कस्बे में विश्राम किया।
यात्रा के स्वागत और समर्थन मुंडोती चरागाह बचाओ संघर्ष समिति और राजस्थान मजदूर किसान मोर्चा ने किया। इस कार्यक्रम में मजदूर किसान शक्ति संगठन के संस्थापक सदस्य अरुणा रॉय ने संविधान कि उद्देशिका कि शपत दिलाई। अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के वर्किंग ग्रुप के सदस्य, पूर्व विधायक डा सुनीलम ने दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन के बारे में बताया। जन आंदोलनों के राष्ट्रीय समन्वय से प्रफुल महंत्रा, सूचना एवं रोजगार अधिकार अभियान के निखिल डे, पीपल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज के कविता श्रीवास्तव, राजस्थान मजदूर किसान मोर्चा के नौरती देवी, नलू पंचायत (जिसमे मुंडोती गांव पड़ता है) के सरपंच, और मुंडोती के संघर्ष से जुड़े भागू जी, भागचंद जी, बंसी जी, लालाराम जी, रतन जी, चितर जी और गांव के अन्य लोग इस कार्यक्रम में शामिल हुए।
यहां मुंडोती और आसपास के 18 गांव के सफलतापूर्व संघर्ष की मिट्टी के अलावा, शंकर सिंह और लाल सिंह द्वारा 150 किलोमीटर दूर से देवडूंगरी गांव (जहां से सूचना के अधिकार कानून कि संघर्ष शुरू हुआ), सोहनगढ़ गांव (जहां पर भी एक सफल जमीन कि संघर्ष हुआ था) और करला गांव (जहां से नारेगा बचाने के लिए पूरा काम करके पूरा दाम लेने के लिए राजस्थान असंगठित मजदूर यूनियन कि शुरुवात हुई) से भी मिट्टी लाकर दिल्ली में बन रहे शहीद स्मारक के लिए समर्पित किया।
मिट्टी सत्याग्रह यात्रा सुबह रतलाम शहर में पहुँची वहाँ रेस्ट हाउस में प्रेसवार्ता हुई। वहाँ पर राजेश बैरागी जी के द्वारा मिट्टी सत्याग्रह यात्रा के साथियों को शहीद चंद्रशेखर आजाद की जन्मभूमि भाबरा जिला अलीराजपुर और स्वतंत्रता सेनानी पूज्य मामा बालेश्वरदयाल की कर्मभूमी की मिट्टी बामनिया जिला झाबुआ की संघर्ष की भूमि की मिट्टी दी गई । मिट्टी सत्याग्रह यात्रा में शामिल नर्मदा घाटी के किसान, मजदूर, मछुआरों के प्रतिनिधि गांधी समाधि, राजघाट (कुकरा) बड़वानी से रतलाम, मंदसौर होकर राजस्थान के डूंगरपुर गए। उदयपुर में सामाजिक कार्यकर्ता मेघा पाटकर, डॉक्टर सुनीलम एवम अन्य साथियों का स्वागत किया गया।
मिट्टी सत्याग्रह यात्रा 30 मार्च को दांडी (गुजरात) से शुरू होकर राजस्थान, हरियाणा, पंजाब होते हुए शाहजहांपुर बॉर्डर पहुंची थी। यात्रा के दौरान तथा देश भर से 23 राज्यों की 1500 गांव की मिट्टी लेकर किसान संगठनों के साथी दिल्ली पहुंच चुके हैं। शहीद भगत सिंह के गांव खटखट कलां, शहीद सुखदेव के गांव नौघरा जिला लुधियाना, उधमसिंह के गांव सुनाम जिला संगरूर, शहीद चंद्रशेखर आजाद की जन्म स्थली भाभरा, झाबुआ, मामा बालेश्वर दयाल की समाधि बामनिया, साबरमती आश्रम, सरदार पटेल के निवास, बारदोली किसान आंदोलन स्थल, असम में शिवसागर, पश्चिम बंगाल में सिंगूर और नंदीग्राम, उत्तर दीनाजपुर, कर्नाटक के वसव कल्याण एवम बेलारी, गुजरात के 33 जिलों की मंडियों, 800 गांव, महाराष्ट्र के 150 गांव, राजस्थान के 200 गांव जिसमें शहीद भगत सिंह की कर्मस्थली रहे अलीगढ़ के शादीपुर की मिट्टी, आंध्र प्रदेश तथा तेलंगाना के 150 गांव,उत्तर प्रदेश के 75 गांव ,बिहार के 30 गांव, हरियाणा के 60 गांव, पंजाब के 78 गांव, उड़ीसा के नवरंगपुर जिले के ग्राम पापडाहांडी की मिट्टी जहां 1942 में अंग्रेजों ने 19 सत्याग्रहियों की हत्या की थी।
दिल्ली के नागरिक 20 स्थानों की मिट्टी के साथ बॉर्डर पर पहुंचे। कई राज्यों से मिट्टी सत्याग्रह यात्राएं भी बोर्डरों पर पहुंची और हर बॉर्डर पर शहीद किसान स्मारक बनाये गए हैं। इस तरह मिट्टी सत्याग्रह के माध्यम से एक संदेश गाँवों और शहरों की आबादी को देने की कोशिश की गई कि देश की मिट्टी को आज़ाद रखना, अपनी जमीन को आज़ाद रखना कितना जरूरी है। किसान आंदोलन का लक्ष्य भी अपने व्यापक रूप में यही प्रेरणा देता है।
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