Skip to main content

दांडी से दिल्ली: एक नया प्रयोग

काले कानून

मिट्टी सत्याग्रह 

     किसान आंदोलन का एक अभिनव प्रयोग:

                        मिट्टी सत्याग्रह 


                https://youtu.be/Ml2fxGNdLv8

सत्ता के मद में चूर बड़बोले घमंडोले देश के शासकों को आज लगता है कि किसानों के आंदोलन से उनका कुछ नहीं बिगड़ने वाला! कम से कम किसानों के आंदोलन और अंग्रेज़ी कानूनों से भी खतरनाक लाए गए किसानी सम्बन्धी कानूनों पर अडिग रहने की उनकी हठधर्मिता से यही प्रतीत होता है। पर देश की मिट्टी से जुड़ें करोड़ों सचेत किसानों, मजदूरों, नौजवानों,  बुद्धिजीवियों को पता है कि देश की मिट्टी के असली वारिस किसानों को नज़रंदाज़ करने से बड़े से बड़े राजाओं-महाराजाओं, नवाबों-बादशाहों की स्मृतियाँ भी मिट्टी में मिल गई हैं। आज उन्हें नफ़रत और हिक़ारत की नज़र से ही देखा जाता है। देश-दुनिया के किसानों-मजदूरों द्वारा निर्मित की जाने वाली मानव सभ्यता के विकास के वे रोड़े और खलनायक ही माने जाते हैं। कुछ ऐसी ही सोच आज के किसान आंदोलन और दांडी से दिल्ली की मिट्टी सत्याग्रह यात्रा की पड़ताल करने से भी बनती है।



तीन किसान विरोधी कानूनों के खिलाफ़ चार महीने से अधिक समय से दिल्ली की सीमाओं पर विरोध-प्रदर्शन कर रहे किसानों के समर्थन में गाँधीजी के नमक-सत्याग्रह से मशहूर दांडी से दिल्ली के लिए किसानों का एक जत्था 30 मार्च, 2021 को रवाना हुआ। इसे 'मिट्टी सत्याग्रह यात्रा' नाम दिया गया। इसी दिन एक दूसरा जत्था मध्यप्रदेश के बड़वानी के राजघाट से दिल्ली के लिए चला। यात्रा के एक मुख्य संयोजक डॉ. सुनीलम के अनुसार देश भर में चल रहे किसान आंदोलन के समर्थन में गांधी जी द्वारा 91 वर्ष पहले आजादी के आंदोलन के दौरान की गई दांडी यात्रा की स्मृति में 12 मार्च से  विभिन्न राज्यों में मिट्टी सत्याग्रह यात्रा निकालकर गांव गांव जागरण अभियान चलाया गया है। 


यात्रा के विभिन्न स्थानीय संयोजकों ने इस अभियान की जानकारी समय-समय पर प्रेस और मीडिया को दी। इसके अनुसार मिट्टी सत्याग्रह की मुख्य यात्रा दांडी के उसी स्थान से शुरू हुई जहां गांधी जी ने नमक सत्याग्रह किया था। यात्रा में खेरुत समाज के रमेश पटेल ,जन आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय के कृष्णाकांत और प्रसाद बागवे, अखिल भारतीय किसान सभा के डाया भाई गजेरा, लोक शक्ति अभियान के प्रफुल सामंतरा, हम भारत के लोग के फिरोज़ मिठीबोरवाला, तुषार भोतमांगे, निश्चय म्हात्रे, मंगल निकम, लोकायत से, आमिर काज़ी, आल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन से, लता प्रमिला मधुकर, बहुजन संवाद से सलीम साबूवाला, सर्वेश जी दिल्ली से और गुड्डी युवा बिरादरी से शामिल हुए।

यात्रियों को दांडी में किसानों द्वारा 100 गांव की मिट्टी तथा बारदोली में 50 गाँव से लाई गई मिट्टी सौंपी गई। उमराची में यात्रा का स्वागत किया गया। यात्रियों ने  बताया कि मोदी सरकार किसानों की मिट्टी (जमीन) छीनकर अडानी अंबानी को सौंपना चाहती है।  इसके खिलाफ यह यात्रा निकाली जा रही है। किसान आंदोलन के दौरान देश केके जो किसान शहीद हुए हैं, स्मारक बनाकर उन्हें याद करने के लिए यह यात्रा गांधी जी की प्रेरणा से निकाली जा रही है।



यात्रा को उमराची में गुजरात पुलिस ने रोक दिया। यात्रियों का कहना था कि गुजरात को पुलिस स्टेट में तब्दील कर दिया गया है। देश का  किसान लोकतंत्र बचाने की लड़ाई को लड़ रहा है। भरूच पहुंचने पर खेरूत हित रक्षक दल और माछि मार संगठन द्वारा यात्रियों का स्वागत किया गया और मिट्टी भेंट की गई। यात्रियों ने छोटू भाई पुराणी, डॉ. चंदूलाल देसाई और दिनकर राव देसाई सहित गाँधीजी की मूर्ति पर माल्यार्पण किया।यात्रियों ने जिला आनंद के बोरसद कस्बे  में विश्राम किया।

संयुक्त किसान मोर्चा के नेतृत्व में चलाये जा रहे किसान आंदोलन के 127 वे दिन, मिट्टी सत्याग्र अजमेर जिला, किशनगढ़ तहसील के मुंडोती गांव में पहुंचा। यह मिट्टी सत्याग्रह यात्रा मुंडोती गांव में इसलिए रुका क्योंकि इस गांव में ही चरागाह को बचाने के लिए एक सफल संघर्ष चला था। मुंडोती गांव में 10,000 से ज्यादा पशु हैं और यहां लगभग 30 बीगा चरागाह जमीन कि अधिग्रहण किया जा रहा था। खनन के लिए इस जमीन की नीलामी की जा रही थी। यह जैसे ही गांववासियों को पता चला इन्होंने संघर्ष चलाया और अपनी जमीन को नीलाम होने से बचाने में सफल हुए।

यात्रा के स्वागत और समर्थन मुंडोती चरागाह बचाओ संघर्ष समिति और राजस्थान मजदूर किसान मोर्चा ने किया। इस कार्यक्रम में मजदूर किसान शक्ति संगठन के संस्थापक सदस्य अरुणा रॉय ने संविधान कि उद्देशिका कि शपत दिलाई। अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के वर्किंग ग्रुप के सदस्य, पूर्व विधायक डा सुनीलम ने दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन के बारे में बताया। जन आंदोलनों के राष्ट्रीय समन्वय से प्रफुल महंत्रा, सूचना एवं रोजगार अधिकार अभियान के निखिल डे, पीपल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज के कविता श्रीवास्तव, राजस्थान मजदूर किसान मोर्चा के नौरती देवी, नलू पंचायत (जिसमे मुंडोती गांव पड़ता है) के सरपंच, और मुंडोती के संघर्ष से जुड़े भागू जी, भागचंद जी, बंसी जी, लालाराम जी, रतन जी, चितर जी और गांव के अन्य लोग इस  कार्यक्रम में शामिल हुए।



यहां मुंडोती और आसपास के 18 गांव के सफलतापूर्व संघर्ष की मिट्टी के अलावा, शंकर सिंह और लाल सिंह द्वारा 150 किलोमीटर दूर से देवडूंगरी गांव (जहां से सूचना के अधिकार कानून कि संघर्ष शुरू हुआ), सोहनगढ़ गांव (जहां पर भी एक सफल जमीन कि संघर्ष हुआ था) और करला गांव (जहां से नारेगा बचाने के लिए पूरा काम करके पूरा दाम लेने के लिए राजस्थान असंगठित मजदूर यूनियन कि शुरुवात हुई) से भी मिट्टी लाकर दिल्ली में बन रहे शहीद स्मारक के लिए समर्पित किया।

दूसरी यात्रा नर्मदा बचाओ आंदोलन और जन आंदोलन के राष्ट्रीय समन्वय की नेत्री मेधा पाटकर के नेतृत्व में मध्य प्रदेश के बड़वानी जिले में राजघाट से शुरू की गई। सत्यागृह मार्च में नर्मदा बचाओ की प्रमुख मेघा जी पाटेकर द्वारा यात्रा निकली गई। इस सत्यागृह मे मंदसौर जिले के गाँव रिछालालमुहा मुहा से परमानंद पाटीदार जनपद पंचायत सदस्य मंदसौर एवं किसान संघर्ष समन्वय समिति उज्जैन संभाग प्रमुख ने भी अपने गाँव की मिट्टी भेंट की। दलौदा के ऐसार पेट्रोल पंप के पास पाटीदार ज्यूस सेंटर पर पुष्प माला से यात्रा का स्वागत किया गया। इस मौके पर लखमाखेड़ी दलौदा सगरा रिछालालमुहा आक्या कचनारा सरसोद से किसानों ने भी मिट्टी भेंट की गई।    

मिट्टी सत्याग्रह यात्रा सुबह रतलाम शहर में पहुँची वहाँ रेस्ट हाउस में प्रेसवार्ता हुई। वहाँ पर राजेश बैरागी जी के द्वारा मिट्टी सत्याग्रह यात्रा के साथियों को शहीद चंद्रशेखर आजाद की जन्मभूमि भाबरा जिला अलीराजपुर  और स्वतंत्रता सेनानी पूज्य मामा बालेश्वरदयाल की कर्मभूमी की मिट्टी बामनिया जिला झाबुआ की संघर्ष की भूमि की मिट्टी  दी गई । 
मिट्टी सत्याग्रह यात्रा में शामिल नर्मदा घाटी के किसान, मजदूर, मछुआरों के प्रतिनिधि गांधी समाधि, राजघाट (कुकरा) बड़वानी से रतलाम, मंदसौर होकर राजस्थान के डूंगरपुर गए। उदयपुर में सामाजिक कार्यकर्ता मेघा पाटकर, डॉक्टर सुनीलम एवम अन्य साथियों का स्वागत किया गया।

3 अप्रैल को सुबह 3 बजे सिरसा में दांडी से चलकर मिट्टी सत्याग्रह यात्रा सिरसा पहुँची थी जिसकी अगुवाई मेधा पाटेकर जी कर रही है। यहां सिरसा में शहीद किसानों की याद में किसान चौक बनाया गया। उसके बाद मिट्टी सत्याग्रह यात्रा मानसा पंजाब की तरफ़ रवाना हो गयी। रात को सिरसा प्रशासन व पार्टियों ने साथ मिल कर इस किसान चौक को उखाड़ दिया है। पूरे देश से शहीदों की भूमि से आई से बने मटके को भी नुकसान पहुंचाया व अपमान किया गया है। सयुंक्त किसान मोर्चा इस घटना की कड़ी निंदा करता है। यह एक और मौका है जहां से भाजपा ने यह सिद्ध किया है कि वे किसानों से असहमत ही नहीं बल्कि घोर विरोधी भी है।


इसी तरह आंध्रप्रदेश व तेलंगाना के किसानों ने लगभग 150 गावों से मिट्टी सत्याग्रह यात्रा में भागीदारी निभाते हुए अपने क्षेत्र की मिट्टी दिल्ली बोर्डर्स पर भेजी। छत्तीसगढ़ में 03 अप्रैल को सोनाखान से मिट्टी यात्रा की शुरूआत की गई और राज्य के अलग अलग कोने से मिट्टी एकत्रित की गई। 

      इस तरह 131 दिन से दिल्ली में चल रहे अनिश्चितकालीन किसान आंदोलन के समर्थन में देश भर में मिट्टी सत्याग्रह यात्रा निकाली गई, यात्रा के माध्यम से 3 किसान विरोधी कानूनों को रद्द करने, सभी कृषि उत्पादों की एमएसपी पर खरीद की कानूनी गारंटी, बिजली संशोधन बिल और  और केंद्र सरकार की किसान - मजदूर विरोधी नीतियों के खिलाफ जागरूकता पैदा की गई।



    मिट्टी सत्याग्रह यात्रा 30 मार्च को दांडी (गुजरात) से शुरू होकर राजस्थान, हरियाणा, पंजाब होते हुए शाहजहांपुर बॉर्डर पहुंची थी। यात्रा के दौरान तथा देश भर से 23 राज्यों की 1500 गांव की मिट्टी लेकर किसान संगठनों के साथी दिल्ली पहुंच चुके हैं। शहीद भगत सिंह के गांव खटखट कलां, शहीद सुखदेव के गांव नौघरा जिला लुधियाना, उधमसिंह के गांव सुनाम जिला संगरूर, शहीद चंद्रशेखर आजाद की जन्म स्थली भाभरा, झाबुआ, मामा बालेश्वर दयाल की समाधि बामनिया,  साबरमती आश्रम, सरदार पटेल के निवास, बारदोली किसान आंदोलन स्थल, असम में शिवसागर, पश्चिम बंगाल में सिंगूर और नंदीग्राम, उत्तर दीनाजपुर, कर्नाटक के वसव कल्याण एवम  बेलारी, गुजरात के 33 जिलों की मंडियों, 800 गांव, महाराष्ट्र के 150 गांव, राजस्थान के 200 गांव जिसमें शहीद भगत सिंह की कर्मस्थली रहे अलीगढ़ के शादीपुर की मिट्टी, आंध्र प्रदेश तथा तेलंगाना के 150 गांव,उत्तर प्रदेश के 75 गांव ,बिहार के 30 गांव, हरियाणा के 60 गांव, पंजाब के 78 गांव, उड़ीसा के नवरंगपुर जिले के ग्राम पापडाहांडी की मिट्टी जहां 1942 में अंग्रेजों ने 19 सत्याग्रहियों की हत्या की थी।


 संबलपुर के शहीद वीर सुरेंद्र साय, लोअर सुकटेल बांध विरोधी आंदोलन के गांव एवम ओडिसा के अन्य 20 जिलों के 20 गांव की मिट्टी , छत्तीसगढ़ के बस्तर के भूमकाल आंदोलन के नेता शहीद गुंडाधुर ग्राम नेतानार ,दल्ली राजहरा के शहीद शंकर गुहा नियोगी सहित 12 शहीदों के स्मारक स्थल और धमतरी जिला के नहर सत्याग्रह की धरती कंडेल से मिट्टी, मुलताई जहां 24 किसानों की गोलीचालन में  शहादत हुई, मंदसौर में 6 किसानों की शहादत स्थल की मिट्टी , ग्वालियर में वीरांगना लक्ष्मीबाई के शहादत स्थल, छतरपुर के चरणपादुका जहां गांधी जी के असहयोग आंदोलन के समय 21आंदोलनकारी शहीद हुए उन शहीदों की भूमि की मिट्टी सहित  मध्यप्रदेश के 25 जिलों के 50 ग्रामों की  मिट्टी लेकर मिट्टी  सत्याग्रह यात्रा शाहजहांपुर बॉर्डर पहुंची।

दिल्ली के नागरिक  20 स्थानों की मिट्टी के साथ बॉर्डर पर पहुंचे। कई राज्यों से मिट्टी सत्याग्रह यात्राएं भी बोर्डरों पर पहुंची और हर बॉर्डर पर शहीद किसान स्मारक बनाये गए हैं। इस तरह मिट्टी सत्याग्रह के माध्यम से एक संदेश गाँवों और शहरों की आबादी को देने की कोशिश की गई कि देश की मिट्टी को आज़ाद रखना, अपनी जमीन को आज़ाद रखना कितना जरूरी है। किसान आंदोलन का लक्ष्य भी अपने व्यापक रूप में यही प्रेरणा देता है।

                                 ★◆★◆★◆★◆★





Comments

Popular posts from this blog

नागपुर जंक्शन-दो दुनिया के लोग

          नागपुर जंक्शन!..  आरएसएस यानी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की राजधानी या कहिए हेड क्वार्टर!..डॉ भीमराव आंबेडकर की दीक्षाभूमि! अम्बेडकरवादियों की प्रेरणा-भूमि!  दो विचारधाराओं, दो तरह के संघर्षों की प्रयोग-दीक्षा का चर्चित स्थान!.. यहाँ दो व्यक्तियों को एक स्थान पर एक जैसा बन जाने का दृश्य है। दोनों बहुत कुछ अलग।  इन दोनों को आज़ादी के बाद से किसने कितना अलग बनाया, आपके विचारने के लिए है।  अमीर वर्ग, एक पूँजीवादी विचारधारा दूसरे गरीबवर्ग, शोषित की मेहनत को अपने मुनाफ़े के लिए इस्तेमाल करती है तो भी उसे क्या मिल जाता है?..  आख़िर, प्रकृति तो एक दिन दोनों को एक ही जगह पहुँचा देती है!... आप क्या सोचते हैं? ..  

मुझसे जीत के दिखाओ!..

कविता:                     मैं भी चुनाव लड़ूँगा..                                  - अशोक प्रकाश      आज मैंने तय किया है दिमाग खोलकर आँख मूँदकर फैसला लिया है 5 लाख खर्चकर अगली बार मैं भी चुनाव लड़ूँगा, आप लोग 5 करोड़ वाले को वोट देकर मुझे हरा दीजिएगा! मैं खुश हो जाऊँगा, किंतु-परन्तु भूल जाऊँगा आपका मौनमन्त्र स्वीकार 5 लाख की जगह 5 करोड़ के इंतजाम में जुट जाऊँगा आप बेईमान-वेईमान कहते रहिएगा बाद में वोट मुझे ही दीजिएगा वोट के बदले टॉफी लीजिएगा उसे मेरे द्वारा दी गई ट्रॉफी समझिएगा! क्या?..आप मूर्ख नहीं हैं? 5 करोड़ वाले के स्थान पर 50 करोड़ वाले को जिताएँगे? समझदार बन दिखाएँगे?... धन्यवाद... धन्यवाद! आपने मेरी औक़ात याद दिला दी 5 करोड़ की जगह 50 करोड़ की सुध दिला दी!... एवमस्तु, आप मुझे हरा ही तो सकते हैं 5 लाख को 50 करोड़ बनाने पर बंदिश तो नहीं लगा सकते हैं!... शपथ ऊपर वाले की लेता हूँ, आप सबको 5 साल में 5 लाख को 50 करोड़ बनाने का भरोसा देता हूँ!.. ताली बजाइए, हो सके तो आप भी मेरी तरह बनकर दिखाइए! ☺️☺️

आपके पास विकल्प ही क्या है?..

                          अगर चुनाव              बेमतलब सिद्ध हो जाएं तो? सवाल पहले भी उठते रहते थे!... सवाल आज भी उठ रहे हैं!... क्या अंतर है?...या चुनाव पर पहले से उठते सवाल आज सही सिद्ध हो रहै हैं? शासकवर्ग ही अगर चुनाव को महज़  सर्टिफिकेट बनाने में अपनी भलाई समझे तो?... ईवीएम चुनाव पर पढ़िए यह विचार~ चुनाव ईवीएम से ही क्यों? बैलट पेपर से क्यों नहीं? अभी सम्पन्न विधानसभा चुनाव में अनेक अभ्यर्थियों, नुमाइंदों, मतदाताओं ने ईवीएम में धांधली गड़बड़ी की शिकायत की है, वक्तव्य दिए हैं। शिकायत एवं वक्तव्य के अनुसार जनहित में वैधानिक कारवाई किया जाना नितांत आवश्यक है।।अतः चुनाव आयोग एवं जनता के हितार्थ नियुक्त उच्च संस्थाओं ने सभी शिकायतों को संज्ञान में लेकर बारीकी से जांच कर,निराकरण करना चाहिए। कई अभ्यर्थियों ने बैटरी की चार्जिंग का तकनीकी मुद्दा उठाया हैं जो एकदम सही प्रतीत होता है। स्पष्ट है चुनाव के बाद या मतगणना की लंबी अवधि तक बैटरी का 99% चार्जिंग  यथावत रहना असंभव~ नामुमकिन है।  हमारी जानकारी के अनुसार विश्व के प्रायः सभी विकसित देशों में ईवीम से चुनाव प्रतिबंधित है,बैलेट पेपर से चुनाव