बोलो, कौन-कौन मानता है
डॉ. आंबेडकर को?
राजनीतिक तौर पर यह #रामराज या #रामराज्य को पुनर्स्थापित करने की घोषणाओं का दौर है। कुछ राज्य सरकारों के मंत्रीगण घोषित करते हैं कि रामराज आने वाला है तो कुछ तो अपनी सरकार को रामराज की सरकार ही कहते हैं। विडम्बना यह है कि उच्च स्तर से लेकर निम्न स्तर तक शासन-प्रशासन में बैठे लोग डॉ. अम्बेडकर को आदर्श बताते हुए उनकी महानता की दुहाई भी देते हैं। क्या सचमुच ये लोग उन्हें आदर्श मानते हैं या कुछ मजबूरियों के चलते उन्हें ऐसा कहना पड़ता है, दिखावा करना पड़ता है! ऐसे में संविधान निर्माता कहे जाने वाले डॉ. भीमराव अंबेडकर की उन 22 प्रतिज्ञाओं को याद करना भी चौंकाता है। यद्यपि भिन्न धर्म-मत वाले सक्रिय संगठनों द्वारा इसकी धज्जियाँ भी उड़ाई जाती हैं और डॉ. अम्बेडकर से सहमत या उनकी विचारधारा से जुड़े हुए बुद्धिजीवी इसके समर्थन में लिखते और दहाड़ते भी हैं; किंतु आम जनता, यहाँ तक कि #बहुजन जनता भी इस तरह के किसी मसले से दूर रहने में ही अपना सुकून महसूस करती है। क्यों?... इस पर विचार करने से पूर्व डॉ. #भीमराव_आंबेडकर द्वारा बौद्ध धर्म ग्रहण करने के अवसर पर उपस्थित जनों को दिलाई गई उन 22 प्रतिज्ञाओं को जान लेना चाहिए:
1. मैं ब्रह्मा, विष्णु और महेश में कोई विश्वास नहीं करूँगा और न ही मैं उनकी पूजा करूँगा
2. मैं राम और कृष्ण, जो भगवान के अवतार माने जाते हैं, में कोई आस्था नहीं रखूँगा और न ही मैं उनकी पूजा करूँगा
3. मैं गौरी, गणपति और हिन्दुओं के अन्य देवी-देवताओं में आस्था नहीं रखूँगा और न ही मैं उनकी पूजा करूँगा.
4. मैं भगवान के अवतार में विश्वास नहीं करता हूँ
5. मैं यह नहीं मानता और न कभी मानूंगा कि भगवान बुद्ध विष्णु के अवतार थे. मैं इसे पागलपन और झूठा प्रचार-प्रसार मानता हूँ
6. मैं श्रद्धा (श्राद्ध) में भाग नहीं लूँगा और न ही पिंड-दान दूँगा.
7. मैं बुद्ध के सिद्धांतों और उपदेशों का उल्लंघन करने वाले तरीके से कार्य नहीं करूँगा
8. मैं ब्राह्मणों द्वारा निष्पादित होने वाले किसी भी समारोह को स्वीकार नहीं करूँगा
9. मैं मनुष्य की समानता में विश्वास करता हूँ
10. मैं समानता स्थापित करने का प्रयास करूँगा
11. मैं बुद्ध के आष्टांगिक मार्ग का अनुशरण करूँगा
12. मैं बुद्ध द्वारा निर्धारित परमितों का पालन करूँगा.
13. मैं सभी जीवित प्राणियों के प्रति दया और प्यार भरी दयालुता रखूँगा तथा उनकी रक्षा करूँगा.
14. मैं चोरी नहीं करूँगा.
15. मैं झूठ नहीं बोलूँगा
16. मैं कामुक पापों को नहीं करूँगा.
17. मैं शराब, ड्रग्स जैसे मादक पदार्थों का सेवन नहीं करूँगा.
18. मैं महान आष्टांगिक मार्ग के पालन का प्रयास करूँगा एवं सहानुभूति और प्यार भरी दयालुता का दैनिक जीवन में अभ्यास करूँगा.
19. मैं हिंदू धर्म का त्याग करता हूँ जो मानवता के लिए हानिकारक है और उन्नति और मानवता के विकास में बाधक है क्योंकि यह असमानता पर आधारित है, और स्व-धर्मं के रूप में बौद्ध धर्म को अपनाता हूँ
20. मैं दृढ़ता के साथ यह विश्वास करता हूँ की बुद्ध का धम्म ही सच्चा धर्म है.
21. मुझे विश्वास है कि मैं फिर से जन्म ले रहा हूँ (इस धर्म परिवर्तन के द्वारा).
22. मैं गंभीरता एवं दृढ़ता के साथ घोषित करता हूँ कि मैं इसके (धर्म परिवर्तन के) बाद अपने जीवन का बुद्ध के सिद्धांतों व शिक्षाओं एवं उनके धम्म के अनुसार मार्गदर्शन करूँगा।
यद्यपि इन्हें धार्मिक आस्था या विश्वास कहकर भिन्न मतावलंबी डॉ. अम्बेडकर को अपना राजनीतिक आदर्श कहकर इनसे पल्ला झाड़ सकते हैं; पर क्या ये धार्मिक विश्वास मात्र हैं?... तब आप क्या रामराज की स्थापना का ढिंढोरा भी पीटते रह सकते हैं और डॉ. अम्बेडकर को अपना आदर्श भी कहते रह सकते हैं? यह सवाल धर्म की राजनीति करने वालों से ज़्यादा उस समाज से है जो डॉ. अम्बेडकर के आदर्शों को अपना मार्गदर्शक मानता है।
★★★★★★★
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