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Showing posts with the label farmers' movement

An Open Letter to 'Dear Prime Minister'

       An Open Letter to PM Mr Narendra Modi,                       from Samyukt Kisan Morcha 21 November 2021: Mr. Narendra Modi, Prime minister, Government of India, New Delhi. Subject: Your message to the nation and farmers' message to you Dear Prime Minister, Crores of farmers of the country heard your address to the nation on the morning of 19th November 2021. We noted that after 11 rounds of talks, you chose the path of unilateral declaration rather than a bilateral solution; nonetheless, we are glad that you have announced the decision to withdraw all three farm laws. We welcome this announcement and hope that your government will fulfill this promise at the earliest and in full. Prime Minister, you are well aware that repeal of the three black laws is not the only demand of this movement. From the very beginning of the talks with the government, the Samyukt Kisan Morcha had raised three additional demands: 1. Minimum Support Price based on the comprehensive cost of produc

बचने की कोशिश में वे और बेनकाब हो रहे हैं!..

                          जन गोलबन्दी              और बढ़ रही है! ठीक है, तुम्हारा राज है! तुम शेरअली बन रहे हो। पर तुम ऐसा सोचने वाले पहले लोग नहीं हो। तुमसे पहले जिन्होंने भी हिटलरी ख़्वाब पाले, मिट्टी में मिल गए ! सुधर जाओ, नहीं तो जनता सुधार देगी। कानून और संविधान से ऊपर मत समझो अपने गिरोह को!...       जी, राजसत्ता के मद में चूर हुक्मरानों के लिए जनता की यही चेतावनी उनके, बढ़ते किसान आंदोलन के इरादों से प्रकट हो रही है।   पढ़ें, संयुक्त किसान मोर्चा की प्रेस-विज्ञप्ति! ★ पूरे भारत में शहीद किसान दिवस मनाया जाएगा - लखीमपुर खीरी के शहीदों की अंतिम अरदास कल (12 अक्टूबर) तिकोनिया में होगी - एसकेएम ने पूरे देश में  प्रार्थना और श्रद्धांजलि सभाएं आयोजित करने की अपील की - दिन को यादगार बनाने के  लिए कल शाम मोमबत्ती मार्च निकाला जाएगा ★ एसकेएम ने अजय मिश्रा टेनी के केंद्रीय मंत्रिपरिषद में बने रहने और उनकी गिरफ्तारी न होने पर निराशा व्यक्त की - एसकेएम ने कहा। लखीमपुर खीरी किसान नरसंहार में उनकी भूमिका स्पष्ट है और पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा अब तक की कार्रवाई नहीं किया जाना शर्मनाक है - यह तथ्य क

क्या घिर गई है सरकार?..

  तुम नहीं,    जनता ही अपराजेय है!                   इलाहाबाद संयुक्त किसान मोर्चा पंचायत जी हाँ, किसान आंदोलन के प्रति दिनो-दिन बढ़ता समर्थन यही कह रहा।कोई भी सत्ता कभी अपराजेय नहीं रही, चाहे खुद को जितना भी ताकतवर समझती रही हो। मंत्रीपुत्र ने तो यही सोचा रहा होगा कि सब कुछ दुर्घटना बनाकर साफ बच निकलेगा। मंत्रीजी तो अभी भी यही जुगत भिड़ा रहे होंगे। लेकिन आज नहीं तो कल 'सत्यमेव जयते!' होगा ही। पढ़ें, संयुक्त किसान मोर्चा का नया बयान-  ★ एसकेएम ने भारत सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार को चेतावनी दी कि 11 अक्टूबर की समय सीमा समाप्त हो रही है - लखीमपुर खीरी किसान हत्याकांड में सभी दोषियों की गिरफ्तारी के अलावा अजय मिश्रा टेनी की गिरफ्तारी और बर्खास्तगी अभी भी लंबित है - अजय मिश्रा टेनी के केंद्र सरकार में मंत्री पद पर बने रहने के कारण न्याय के साथ स्पष्ट रूप से समझौता हो रहा है: एसकेएम ★ हरियाणा और चंडीगढ़ पुलिस किसानों के खिलाफ मामले दर्ज करने के लिए तत्पर है - हालांकि, जहां किसान न्याय मांग रहे हैं, विभिन्न राज्यों में पुलिस विभाग धीमी गति से चल रही है - ऐसे दोहरे मानदंड स्वीकार्य नहीं

तीखे होते जा रहे हैं किसान आंदोलन और शासकों के अंतर्विरोध

                    सत्ता और किसान:             समय बलवान!                 जैसे-जैसे किसान आंदोलन लम्बा खिंचता जा रहा है, शासकों और किसान आंदोलन के बीच अंतर्विरोध भी तीखे होते जा रहे हैं। सत्ता समर्थक शक्तियाँ पहले से कहीं ज़्यादा सक्रिय होकर किसानों की न केवल बदनाम करने की कोशिश कर रही हैं बल्कि उनके नेताओं पर हमले करने की कोशिशें भी कर रही हैं। संयुक्त किसान मोर्चा की प्रेस विज्ञप्ति से यह बात स्पष्ट होती है कि किसान आंदोलन को कुचलने की कोशिशें अब हिंसक रूप अख्तियार कर रही हैं। टिकरी बॉर्डर में किसानों के शिविर पर कुछ बदमाशों द्वारा किए गए हमले, जिसमें एक युवक गुरविंदर सिंह गंभीर रूप से घायल हो गया, इसका एक उदाहरण है। इसकी निंदा करते हुए एसकेएम ने कहा है कि हमलावरों का संभावित निशाना किसान नेता रुलदू सिंह मनसा थे जो उस कैंप में रहते थे। मोर्चा ने मांग की है कि पुलिस हत्या की मंशा व प्रयास का मामला दर्ज कर हमलावरों को तत्काल गिरफ्तार करे। दूसरी तरफ पंजाब के विभिन्न स्थानों पर दर्जनों स्थायी मोर्चों के लगातार विरोध प्रदर्शन के 300 दिन पूरे होने पर पंजाब के होशियारपुर के मुकेरियां में बड

किसान संसद ने पारित किए ये प्रस्ताव

                              22 और 23 जुलाई को                             किसान संसद द्वारा              पारित संकल्प एवं प्रस्ताव हिन्दी: 1. यह स्पष्ट करने के बाद कि एपीएमसी बाईपास अधिनियम के प्रावधानों को किसानों के हितों की कीमत पर कृषि व्यवसाय कंपनियों और व्यापारियों के पक्ष में तैयार किया गया है, मौजूदा विनियमन (रेगुलेशन) और निगरानी तंत्र को खत्म करके, और बड़े कॉर्पोरेट द्वारा कृषि बाजारों के प्रभुत्व को बढ़ावा देगा; 2. जून 2020 से जनवरी 2021 तक एपीएमसी बाईपास अधिनियम के संचालन के प्रतिकूल अनुभव को संज्ञान में लेने के बाद, जहां अपंजीकृत व्यापारियों द्वारा भुगतान न करने और धोखाधड़ी के कारण किसानों को करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ, जहां अधिकांश एपीएमसी मंडियों में व्यापारियों और कंपनियों द्वारा खरीद में आधी हो गई है, और जहां बड़ी संख्या में एपीएमसी मंडियों को भारी नुकसान हुआ है जिससे वे बंद होने के कगार पर पहुंच गई हैं; 3. यह निष्कर्ष पर आने के बाद कि एपीएमसी बाईपास अधिनियम के कारण, अधिकांश मंडियां धीरे धीरे समाप्त हो जाएंगी, क्योंकि कॉरपोरेट और व्यापारी अधिनियम द्वारा बनाए गए अनियम

तेजी से बढ़ रहा उत्तरप्रदेश में किसान आंदोलन

किसान आंदोलन के नए आयाम                    और तेज हो रहा किसान आंदोलन                    भाजपा के मंत्रियों, सांसदों, विधायकों और           प्रशासन के कार्यालयों के सामने 3 कृषि अध्यादेशों की                  प्रतियां जलाकर जताया किसानों का रोष संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर जहाँ दिल्ली की सीमाओं सहित पूरे देश के अलग-अलग हिस्सों में किसानों ने सांसदों, विधायकों और सरकारी दफ्तरों के सामने किसान क़ानूनों की प्रतियाँ जलाकर विरोध प्रदर्शन किया गया; वहीं उत्तर प्रदेश के कई नए इलाकों में भी किसान आंदोलन विकसित होने के उत्साहबर्द्धक संकेत मिले। उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जनपद के गाँव सुखरावली में 26 मई के किसानों के काला दिवस मनाने पर किसानों के खिलाफ झूठे पुलिस मामलों को वापस लेने की मांग करते हुए किसान गांव में ही धरने पर बैठ गए। साथ ही सांसद आवास के समक्ष कानूनों की प्रतियां जलाकर सांसद को ज्ञापन देकर काले कानूनो को वापस लेने की मांग की। किसानों ने जिलाधिकारी से भी मिलकर अपना प्रकट किया। भाकियू-टिकैत, बेरोजगार मजदूर किसान यूनियन, अखिल भारतीय किसान सभा, भाकियू-अम्बावता, भाकियू-स्वराज, भाकियू-म

क्या है किसान आंदोलन को मजबूत करने की नई योजना?..

              क्या और व्यापक, और मजबूत होगा                                         किसान आंदोलन  संयुक्त किसान मोर्चा के नेतृत्व में जारी किसान आंदोलन अब आम लोगों की जिंदगी का हिस्सा बनने कोशिश कर रहा है। दिख रहा है कि अगर सरकार ऐसे ही आंदोलन की उपेक्षा करती रही तो किसान आंदोलन को जारी रखने के लिए न केवल उसे आम देशवासियों से जोड़ा जाएगा, बल्कि संघर्ष को भी और शक्तिशाली बनाया जाएगा। हरियाणा के किसानों पर हुए लाठीचार्ज के बाद इसकी जरूरत और ज़्यादा बढ़ गई है। किसान आंदोलन इसके लिए खुद को न केवल और व्यापक बनाने की कोशिश कर रहा है बल्कि इसे समाज के वंचित वर्गों तक भी इसे ले जाने के लिए भी प्रयासरत है। शायद बुद्ध पूर्णिमा को मनाने का आह्वान भी इसकी एक क़वायद है!... देखें, संयुक्त किसान मोर्चा की नई प्रेस विज्ञप्ति: हरियाणा के हिसार में मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर का विरोध कर रहे किसानों पर पुलिस ने हिंसक कार्रवाई की थी। इसमें अनेक किसानों को गहरी चोटें भी आई थी व कई किसानों को गिरफ्तार कर लिया गया था। उसी दिन किसानों के भारी विरोध के बाद पुलिस ने किसानों पर कोई केस न दर्ज करने का फैसला लिया था

पुण्यतिथि पर: महेंद्र सिंह टिकैत और हरे रंग की टोपी

                          बाबा महेन्द्र सिंह टिकैत:                     पुण्यतिथि पर एक श्रद्धांजलि ⭕ हरे रंग की टोपी पहने हर किसान में जिंदा हैं टिकैत ⭕    संयुक्त किसान मोर्चा के मंचों पर लगे बैनरों पर आन्दोलन के प्रेरणा स्रोतों में एक चेहरा ऐसा रहता है जो देहत्याग के बाद भी आज जिन्दा है। वह चेहरा है बाबा महेन्द्र सिंह टिकैत। इन महापंचायतों में हजारों की संख्या में जुटे किसानों में हरे रंग की टोपी पहने हर किसान में जिंदा हैं टिकैत! आज वे अपने हर संघर्ष के साथी में प्रतिबिम्बित हो गए।सत्तर - अस्सी साल के उनके किसी भी किसान साथी से मिलिए, बात करिए, आपको बाबा महेन्द्र सिंह टिकैत के दर्शन हो जाएंगे। आज ही के दिन यानी 15 मई 2011 को किसानों का मसीहा उन्हें छोड़ कर चला गया। लेकिन आज इस आन्दोलन में महेन्द्र सिंह टिकैत वापस लौट आए, उन हजारों चेहरों में, जो उनके सखा हैं, अनुयायी हैं, उनके अपने सगे हैं।     जनवरी 1987 में बिजली समस्याओं को लेकर करमूखेड़ी पावर हाउस के घेराव से किसान आन्दोलन में कदम रखा। वैसे तो आठ साल की छोटी सी उम्र में ही बाल्यान खाप के मुखिया की बड़ी जिम्मेदार उनके कंधों पर

कौन हैं किसान नेता करणीराम-रामदेव?

 पुरखों को जानिए:                        संघर्ष की प्रेरणा देती            शहीदों की   एक अमर जोड़ी            बढ़ते बिजली बिलों के खिलाफ सन 1986 का किसान आन्दोलन हो, भूमि अधिग्रहण के खिलाफ नवलगढ़ का जीवंत किसान आन्दोलन या आज किसान विरोधी तीनों काले कानूनों की वापसी का संघर्ष हो, शेखावाटी (राजस्थान) के किसानों के लिए सदैव एक महान प्रेरणा का स्रोत रही है अमर शहीदों की जोड़ी - करणीराम - रामदेव!         1952 के चुनाव के बाद आदेश आया कि जागीरदार किसानों से लगान के रूप में फसल के छठें भाग से ज्यादा नहीं ले सकते। जबकि इससे पहले जागीरदार फसल का आधा हिस्सा लगान के रूप में वसूलते थे। बचे हुए आधे हिस्से में से भी बोहरे की तुलाई, धुँआबाज, खूंटा बंधी आदि के नाम पर लूट होती थी। जमीनों का कोई रिकार्ड नहीं था। कौन सी जमीन का कौन काश्तकार रहेगा, यह भी उस जमाने में निश्चित नहीं था। पूरे इलाके में किसानों के घर कच्चे छप्परों के ही थे। जागीरदार का आदेश ही उनके लिए सब कुछ होता था। आदेश की अवहेलना करने पर जमीन और प्राणों तक से हाथ धोना पड़ता था। खिरोड़, देवगांव, हुकुमपुरा, चनाना के हत्याकांड इस बर्बरता के

Call to 'Reach Delhi Again'

     काले कानून                   Operation Power (शक्ति) against                         'Opration Clean'                          On the 144th day of 'Joint Farmers' Front' (Sanyukt Kisan Morcha- SKM), (farmers agitating against the new anti-farm laws,), responded with 'Operation Shakti with Operation Clean in SKM's announcement. Its spokesperson and peasants' leader Dr.Darshan Pal announced: * SKM has evolved its strategy to counter the conspiracy to clean out the farmers' protest sites in the name of addressing corona pandemic * From 20th to 26th April, in a week being called as "Resistance Week", all protest sites will make strong arrangements to protect from corona * Farmers being invited to come back to protest sites with a slogan of "Phir Dilli Chalo" * A National Convention of farmer leaders and representatives on 10th May                     Dr.Darshan Pal, SKM leader The ongoing farmers' movement under the leadersh