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नरक की कहानियाँ: 3~ महात्मा के कारनामें!

नरक की  कहानियाँ :  दो:                      महात्मा नहीं परमात्मा!. .                     (कॉमा अपने आप लगा लीजिए) 【 पिछले अंश में  आपने महात्माजी का संक्षिप्त परिचय पाया था। आपने जाना था कि महात्माजी कोई साधारण आदमी नहीं हैं। उनके बारे में तरह-तरह की धारणाएँ हैं~ कि वे पहुँचे हुए आदमी हैं, धूर्त हैं, सीआईए के एजेंट हैं...आदि-आदि। लेकिन तब सब चौकन्ने हो गए जब महात्माजी ने कहा कि  "सावधान कर रहा हूँ, बैंक में रखा अपना सारा पैसा निकाल लो! बैंक में रखा पैसा अब सुरक्षित नहीं रह गया है!. ." अब आगे.. 】 ~~~          "क्यों?..क्यों महात्माजी? हम तो बैंक में पैसा सुरक्षित रखने के लिए ही डालते हैं और आप कह रहे हैं कि वहाँ पैसा रखना सुरक्षित नहीं रह गया है!"..                                                                         मुझे दो दिन पहले रग्घूचचा की बात ध्यान हो आई। उन्होंने कहा था कि महात्मा पर कभी विश्वास न करना, पूरा रँगा सियार है। चोरों से मिला हुआ है और इसका असली काम ठगी है। महात्मई भेस धारन किए घूमता है लेकिन लोगों को लुटवाता हैं। लुटेरे इसे कमीसन देते हैं!.

कहीं आपमें कोई पालतू तो नहीं है?..

नौकर                          एक सामयिक बोध-कथा ● बाजार में एक चिड़ीमार तीतर बेच रहा था... उसके पास एक बडी जालीदार टोकरी में बहुत सारे तीतर थे!.. लेकिन एक छोटी जालीदार टोकरी में सिर्फ एक ही तीतर था!.. एक ग्राहक ने पूछा-  "एक तीतर कितने का है?.." "40 रुपये का!.." ग्राहक ने छोटी टोकरी के तीतर की कीमत पूछी  तो वह बोला,  "मैं इसे बेचना ही नहीं चाहता!.."  "लेकिन आप इसे ही लेने की जिद करोगे,  तो इसकी कीमत 500 रूपये होगी!.." ग्राहक ने आश्चर्य से पूछा,  "इसकी कीमत इतनी ज़्यादा क्यों है?.." चिड़ीमार ने जवाब दिया- "दरअसल यह मेरा अपना पालतू तीतर है और  यह दूसरे तीतरों को जाल में फंसाने का काम करता है!.. जब ये चीख पुकार कर दूसरे तीतरों को बुलाता है  और दूसरे तीतर बिना सोचे समझे ही एक जगह जमा हो जाते हैं... तो मैं आसानी से सभी का शिकार कर लेता हूँ!   बाद में,  मैं इस तीतर को उसकी मनपसंद की 'खुराक" दे देता हूँ जिससे ये खुश हो जाता है!..   बस, इसीलिए इसकी कीमत भी ज्यादा है !.." उस समझदार आदमी ने तीतर वाले को 500 रूपये देकर उस तीतर की स

क्या राजा नंगा है?..

                            देखो, राजा नंगा है!.. एक देश में एक राजा हुआ करता था। उसको नये-नये प्रयोग करने का शौक था। सारे प्रयोग वह अपनी प्रजा और अपने कर्मचारियों पर करता था। एक दिन उसने एक खाई खुदवाई और उसमें आग के अंगारे दहकाये। इसके बाद उसने अपने कर्मचारियों को आदेश दिया कि सभी को इन अंगारो पर से गुजरना है इन अंगारों जो गुजर जाएगा, उसकी नौकरी बची रहेगी। अगर कोई अंगारो से गुजरते हुऐ मर जायेगा तो उसको पचास लाख का मुआवजा मिलेगा।  लेकिन जो अंगारो से गुजरने से मना कर देगा उसको नौकरी से निकाल दिया जाएगा।  कर्मचारियों ने मजबूर होकर राजा के आदेश को माना और दहकते हुये अंगारो से गुजरना शुरू किया। बड़ी मुश्किल से कुछ लोग पार कर पाये। मगर पर करते समय कुछ लोगों के पैर जल गये, कुछ फिसल गये तो उनके हाथ-मुँह सब जल गये। कुछ उसी आग में गिर गये जिनको घसीट कर निकाला गया।  किन्तु इनमें से तीन लोग उसी आग में भस्म हो गये जिनको आग से बचाने में लोग नाकाम रहे। इस प्रयोग के दो-चार दिन बाद जो लोग उस आग से झुलस गये थे उनकी जिन्दगी नरक बन गयी । एक-एक कर लोग दम तोड़ने लगे और दम तोड़ने का सिलसिला इतना बढ़ा की मरने वा