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संयुक्त किसान मोर्चा: नये संघर्षों का ऐलान

                किसान आंदोलन का नया ऐलान 14 मई को हुई संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक में जहाँ भारतीय किसान यूनियन के महान नेता महेंद्र सिंह टिकैत को याद कर उन्हें श्रद्धांजलि दी गई, वहीं अमर शहीद सुखदेव के जन्मदिन पर उन्हें याद करते हुए उनके सपनों को मंजिल तक पहुँचाने का संकल्प लिया गया। इसके साथ शहीद भगतसिंह के भतीजे और किसान आंदोलन के समर्थक सामाजिक कार्यकर्ता अभय संधू   की मृत्यु पर दुःख प्रकट करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दी गई।  इस बैठक की अध्यक्षता किसान नेता श्री राकेश टिकैत ने की। बैठक में निम्नलिखित निर्णय सर्वसम्मति से लिए गए:   1. 26 मई को हम दिल्ली की सीमाओं पर अपने विरोध के 6 महीने पूरे कर रहे हैं।  यह केंद्र में आरएसएस-भाजपा के नेतृत्व वाली मोदी सरकार के 7 साल पूरे होने का भी प्रतीक है।  इस दिन को देशवासियों द्वारा "काला दिवस" के रूप में मनाया जाएगा। पूरे भारत में गांव और मोहल्ला स्तर पर बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन होंगे जहां दोपहर 12 बजे तक किसान मोदी सरकार के पुतले जलाएंगे।  किसान उस दिन अपने घरों और वाहनों पर काले झंडे भी फहराएंगे।  इस मौके पर एसकेएम ने सभी जन

पुण्यतिथि पर: महेंद्र सिंह टिकैत और हरे रंग की टोपी

                          बाबा महेन्द्र सिंह टिकैत:                     पुण्यतिथि पर एक श्रद्धांजलि ⭕ हरे रंग की टोपी पहने हर किसान में जिंदा हैं टिकैत ⭕    संयुक्त किसान मोर्चा के मंचों पर लगे बैनरों पर आन्दोलन के प्रेरणा स्रोतों में एक चेहरा ऐसा रहता है जो देहत्याग के बाद भी आज जिन्दा है। वह चेहरा है बाबा महेन्द्र सिंह टिकैत। इन महापंचायतों में हजारों की संख्या में जुटे किसानों में हरे रंग की टोपी पहने हर किसान में जिंदा हैं टिकैत! आज वे अपने हर संघर्ष के साथी में प्रतिबिम्बित हो गए।सत्तर - अस्सी साल के उनके किसी भी किसान साथी से मिलिए, बात करिए, आपको बाबा महेन्द्र सिंह टिकैत के दर्शन हो जाएंगे। आज ही के दिन यानी 15 मई 2011 को किसानों का मसीहा उन्हें छोड़ कर चला गया। लेकिन आज इस आन्दोलन में महेन्द्र सिंह टिकैत वापस लौट आए, उन हजारों चेहरों में, जो उनके सखा हैं, अनुयायी हैं, उनके अपने सगे हैं।     जनवरी 1987 में बिजली समस्याओं को लेकर करमूखेड़ी पावर हाउस के घेराव से किसान आन्दोलन में कदम रखा। वैसे तो आठ साल की छोटी सी उम्र में ही बाल्यान खाप के मुखिया की बड़ी जिम्मेदार उनके कंधों पर