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Showing posts from January, 2018

वसंत पर एक कविता:

        साभार: राजकमल प्रकाशन                                                               किसका वसंत है!                                      -  अज्ञात                                        'भ दोही ' से साभार जो खींच रहे माल उन्हीं का वसंत है मोटी है जिनकी खाल उन्हीं का वसंत है। सारी व्यवस्था जिनके आगे पूंछ हिलाए, किसकी मजाल उसको कोई आंख दिखाए, टेढ़ी है जिनकी चाल उन्हीं का वसंत है। जो उल्टे-सीधे तल्ख सवालों से दोस्तो, हां, आयकर की टीम के जालों से दोस्तो, बच जाएं बाल-बाल उन्हीं का वसंत है। न सींक भी कभी यहां सरकाई जिन्होंने, कोई बहादुरी भी नहीं दिखलाई जिन्होंने, लेकिन बजाएं गाल उन्हीं का वसंत है। जब काम हो तो गदहे को भी बाप बनाएं, मतलब के लिए उल्लुओं को शीश झुकाएं, पर दें बड़ी मिसाल उन्हीं का वसंत है। अब किससे कहें हाल अजी चुप रहें मियां, लाचार किसी ताल की वोटर हैं मछलियां, फैला रहे जो जाल उन्हीं का वसंत है! जो खींच रहे माल उन्हीं का वसंत है मोटी है जिनकी खाल उन्हीं का वसंत है। ■                                              ★★★★★

उच्च-शिक्षा:

                        उत्तर प्रदेश में उच्च-शिक्षा का खेल                                                                               प्रस्तुति: -  डॉ. राजेश चन्द्र मिश्र             विश्वविद्यालयों, अखबार और संचार माध्यमों की विभिन्न सूचनाओं के अनुसार उत्तर प्रदेश में लगभग 6000 स्ववित्तपोषित महाविद्यालय है, किन्तु उच्च शिक्षा विभाग उत्तर प्रदेश शासन की अपुष्ट सूचनाओं के अनुसार 3016 स्ववित्तपोषित महाविद्यालय हैं! महाविद्यालयों की सुनिश्चित सूचना के अभाव में इनकी संख्या को लेकर कई संदेह और शंकाएँ पैदा होती हैं!...             कुछ उदाहरणों से इसे समझ जा सकता है: ● इसे उच्च शिक्षा विभाग और विश्वविद्यालयों तथा स्ववित्तपोषित महाविद्यालयों की पारदर्शिता समझा जाय, या कुछ और  कि प्रत्येक विश्वविद्यालय और जनपद में स्थित राजकीय और अनुदानित महाविद्यालयों की संख्या में उच्च शिक्षा विभाग उत्तर प्रदेश और सम्बन्धित विश्वविद्यालय व जनपद की संख्या में कोई अन्तर नहीं है, जबकि स्ववित्त-पोषित महाविद्यालयों की संख्या में उच्च-शिक्षा विभाग और विभिन्न विश्वविद्यालयों व जनपदवार अंतर मिलता है। ऐसा

अपने प्रिय शिक्षक को श्रद्धांजलि:

                          श्रद्धांजलि: प्रो.दूधनाथ सिंह   वे एक अलग अध्यापक थे! उनकी कक्षा में कोई विद्यार्थी बोर नहीं महसूस करता था। अपनी स्पष्ट समझ और धारदार शैली से वे हम सबके प्रिय अध्यापकों में से थे!...हम सब इंतज़ार करते कि प्रेमचंद पढ़ते हुए हमें अपने गाँव-गिरांव की सैर करने के अलावा और बहुत कुछ मिलेगा! गोदान- किसी होरी की कथा-व्यथा नहीं है, यह सामंती व्यवस्था की प्रतिकार-कथा है! मेहता-मालती कोई श्रेष्ठ बुद्धिजीवी पात्र नहीं हैं, वे समाज के उस मध्यवर्ग के प्रतिनिधि हैं जिसे मार्क्स ने समाज का थूक कहा है!...उनके ये शब्द मुझे आज भी नहीं भूलते!          उनकी कक्षा हमेशा उत्तेजना पैदा करने वाली होती। निराला के प्रति विद्यार्थियों के पूज्य-भाव को तोड़कर उनकी कविताओं के संघर्ष से वे उन्हें रूबरू कराते! विश्वविद्यालय से बेहतर उनके घर पर हम जैसों की क्लास होती!...            'निराला:आत्महन्ता आस्था', 'धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे', 'प्रेमकथा का अंत न कोई', 'नमो अंधकारम', 'आखिरी क़लाम' आदि कृतियों के रचनाकार प्रोफेसर दूधनाथ सिंह को आख़िरी सलाम!

Higher Education:

                                      Press Release        ACADEMICS FOR ACTION & DEVELOPMENT                                              (AAD)               The approval of UGC (Categorization of Universities for Grant of Graded Autonomy) Regulations 2018 by the commission on 9th January 2018 represents the government's push for privatisation of existing public-funded institutions and encouragement of de-novo private institutions. In the garb of graded autonomy and freedom to open new departments/courses in self-financing mode, the present courses run by the colleges and universities are going to be decimated. The freedom is infact a trap for self-destruction. The draft regulations provide for: 1. All universities and colleges would be graded in categories I/II/III. 2. The institutions with NAAC score of more than 3.5 or NIRF ranking upto first 50 will be parked in  Category I. 3. The institutions with NAAC score between 3.25 and 3.5 or NIRF ranking between 51

एक शिक्षक की चिट्ठी:

                                       सुदामा-शिक्षक की                                          एक ठो विनती                                                               -डॉ. राजेश चंद्र मिश्र सेवा में, कुलपति जी सिद्धार्थ विश्विद्यालय, कपिलवस्तु,सिद्धार्थनगर                   सिद्धार्थ विश्विद्यालय से सम्बद्ध लगभग 265 महाविद्यालयों में सबसे ज्यादा लगभग 65 महाविद्यालय संतकबीरनगर में है।कई वर्षों से जनपद के सभी महाविद्यालयों की बीएड  परीक्षाएं हमारे कॉलेज ही. रा. पी.जी कॉलेज,संतकबीरनगर में नकलविहीन और शुचितापूर्वक हो रही है।  इधर 19 दिसम्बर 2017 से  आज दिनाँक 9 जनवरी 2018 तक पूरे जनपद की  एल.एल.बी और एम एससी की सेमस्टर परीक्षाओं का का परीक्षा केंद्र भी हमारा कॉलेज में ही सम्पन्न हुई।इन दोनों परीक्षाओं में लगभग 50% परीक्षार्थियों ने परीक्षाएं छोड़ दी है।  जनपद संतकबीर नगर के लगभग 65 महाविद्यालयों में  सिर्फ 2 महाविद्यालय ही वित्तपोषित है जिनमे एक हमारा और दूसरा राजकीय महाविद्यालय ,तथा शेष स्ववितपोषित महाविद्यालय है।इन स्ववितपोषित महाविद्यालय में 7 महाविद्यालय हमारे माननीय वि

शिक्षा-समाचार:

🛑रिपोर्ट:🛑                                          संगोष्ठी                देश के हालात और नौजवानों का रास्ता             7 जनवरी 2018 नरवाना हरियाणा। आज नौजवान भारत सभा द्वारा हरियाणा के नरवाना जिले में जाट धर्मशाला में एक दिवसीय सेमिनार का आयोजन किया गया। सेमि‍नार का विषय था- ‘देश के हालात और नौजवानों का रास्ता।‘ इस सेमिनार में हरियाणा के अलग-अलग जिलों से कई नौजवानों ने भाग लिया। अध्यक्ष मण्डल के तौर पर मौजूद रामधारी खटकड़ जो हरियाणा के एक जाने-माने संस्कृतिकर्मी है और साथ ही नौजवान भारत सभा के सुनील मौजूद रहे थे। कार्यक्रम की शुरुआत क्रांतिकारी गीतों और रामधारी खटकड़ की रागनियों के साथ हुई।                                 कार्यक्रम के मुख्य वक्ता के तौर पर नौभास के राष्ट्रीोय अध्यक्ष इंद्रजीत ने अपनी बात रख कर इस विषय पर चर्चा की शुरुआत की। उन्होंकने ने बताया कि आज के मौजूदा हालात में जब एक तरफ जनता बढ़ती बेरोजगारी, बेलगाम महंगाई, शिक्षा के निजीकरण, जातिवाद, सांप्रदायिक-कट्टरता आदि जैसे समस्याओं से जूझ रही है तब उस समय में तब उस दौर में आम जनता को असल मुद्दों से ध्यान भ

सावित्रीबाई फुले:

सावित्रीबाई फुले ने उस दौर में स्त्री-शिक्षा पर जोर दिया जब बाल-विवाह ही नही सती-प्रथा भी देश मे कोई अजूबी घटना नहीं मानी जाती थी! -

सावित्रीबाई फुले जन्म-दिवस:

एक महान शिक्षक:   सावित्रीबाई फुले:   जन्म-दिवस            समाज सुधारक और शिक्षिका सावित्रीबाई फुले का  जन्म 3 जनवरी, 1831 को हुआ था।  सावित्रीबाई फुले ने उस दौर में स्त्री-शिक्षा पर जोर दिया जब बाल-विवाह ही नही सती-प्रथा भी देश मे कोई अजूबी घटना नहीं मानी जाती थी!  सन 1848 में दकियानूसी, रूढ़िवादी और पुरोगामी ब्राह्मणवादी ताकतों से वैर मोल लेकर पुणे के भिडेवाडा में 'सावित्रीबाई और ज्योतिबा फुले ने लड़कियों के लिए देश का पहला स्कूल खोला था। भारत में लम्बे समय तक दलितों व स्त्रियों को शिक्षा से वंचित रखा गया था।' ज्योतिबा व सावित्रीबाई ने इसी कारण वंचितों की शिक्षा के लिए गम्भीर प्रयास शुरू किये। मनुस्मृति के अघोषित शिक्षाबन्दी कानून के विरूद्ध ये जोरदार विद्रोह था। इस संघर्ष के दौरान उन पर पत्थर, गोबर, मिट्टी तक फेंके गये पर सावित्रीबाई ने शिक्षा का महत्वपूर्ण कार्य बिना रुके निरन्तर जारी रखा। फ़ातिमा शेख़ और उनके परिवार ने इस काम में फुले दम्पत्ति का पूरा साथ और सक्रिय सहयोग दिया।  शिक्षा के क्षेत्र में इतना क्रान्तिकारी काम करने वाली सावित्रीबाई का जन्मदिवस ही 'असली श

नया साल-2018:

                           नव-वर्ष की  शुभकामनाएं! कुछ भावनाएं: सोहन लाल द्विवेदी- स्वागत! जीवन के नवल वर्ष आओ, नूतन-निर्माण लिए इस महाजागरण के युग में जाग्रत जीवन-अभिमान लिए; दीनों-दुखियों का त्राण लिए मानवता का कल्याण लिए, स्वागत! नवयुग के नवल वर्ष! तुम आओ स्वर्ण-विहान लिए। संसार क्षितिज पर महाक्रांति की ज्वालाओं के गान लिए, मेरे भारत के लिए नई प्रेरणा नया उत्थान लिए; मुर्दा शरीर में नए प्राण प्राणों में नव अरमान लिए, स्वागत! स्वागत! मेरे आगत! तुम आओ स्वर्ण-विहान लिए! युग-युग तक पिसते आए कृषकों को जीवन-दान लिए, कंकाल-मात्र रह गए शेष मजदूरों का नव त्राण लिए! श्रमिकों का नव संगठन लिए, पददलितों का उत्थान लिए; स्वागत!स्वागत! मेरे आगत! तुम आओ स्वर्ण-विहान लिए! सत्ताधारी साम्राज्यवाद के मद का चिर-अवसान लिए, दुर्बल को अभयदान, भूखे को रोटी का सामान लिए! जीवन में नूतन क्रांति क्रांति में नए-नए बलिदान लिए, स्वागत! जीवन के नवल वर्ष आओ, तुम स्वर्ण-विहान लिए! ■