Skip to main content

एक शिक्षक की चिट्ठी:


                                      सुदामा-शिक्षक की

                                        एक ठो विनती

                                                              -डॉ. राजेश चंद्र मिश्र

सेवा में,

कुलपति जी
सिद्धार्थ विश्विद्यालय,
कपिलवस्तु,सिद्धार्थनगर

                  सिद्धार्थ विश्विद्यालय से सम्बद्ध लगभग 265 महाविद्यालयों में सबसे ज्यादा लगभग 65 महाविद्यालय संतकबीरनगर में है।कई वर्षों से जनपद के सभी महाविद्यालयों की बीएड  परीक्षाएं हमारे कॉलेज ही. रा. पी.जी कॉलेज,संतकबीरनगर में नकलविहीन और शुचितापूर्वक हो रही है।
 इधर 19 दिसम्बर 2017 से  आज दिनाँक 9 जनवरी 2018 तक पूरे जनपद की  एल.एल.बी और एम एससी की सेमस्टर परीक्षाओं का का परीक्षा केंद्र भी हमारा कॉलेज में ही सम्पन्न हुई।इन दोनों परीक्षाओं में लगभग 50% परीक्षार्थियों ने परीक्षाएं छोड़ दी है।
 जनपद संतकबीर नगर के लगभग 65 महाविद्यालयों में  सिर्फ 2 महाविद्यालय ही वित्तपोषित है जिनमे एक हमारा और दूसरा राजकीय महाविद्यालय ,तथा शेष स्ववितपोषित महाविद्यालय है।इन स्ववितपोषित महाविद्यालय में 7 महाविद्यालय हमारे माननीय विधायक संतकबीर नगर के है (उनके पास कुल 12 महाविद्यालय है जिनमे 7 संतकबीर नगर और 5 बस्ती जनपद में।)
 हम नकलविहीन परीक्षाये इसलिये करा लेते है क्योकि हमारे कॉलेज के शिक्षक लात-घुसा खाकर भी सुधरते नही हैं।
                 आप को तो पता ही होंगा कि हमारे कॉलेज के शिक्षक नकल रोकने के कारण बाहर भी लात -गाली खा चुके है(जब हमारा कॉलेज गोरखपुर विश्विद्यालय से सम्बद्ध था)यह वह दौर था जब हम लात-गाली खाकर नकल रोकने का काम कर रहे थे और तत्कालीन विश्विद्यालय प्रशासन उन लात-गाली देने वालो को सम्मानित कर रहा था।

 खैर,
ईश्वर ने उनको दण्ड दिया वे वर्षो बर्खास्त रहे फिर बहाल हुए और उन्ही में से एक को पुनः गोरखपुर विश्विद्यालय के कुलपति जी ने गोरखपुर विश्विद्यालय की शुचिता पूर्ण और नकलविहीन परीक्षा कराने की महती जिम्मेदारी भी दे दी है।देखे आगे ईश्वर क्या करता है!इन महोदय की कमेटी ने गोरखपुर विश्विद्यालय के सभी वित्तपोषित कॉलेजो के भी  परीक्षा केंद्रों को बदल दिया है और इनके परीक्षाएं स्ववितपोषित महाविद्यालयों में कराने का निर्णय लिया है।इनका यह अभिनय प्रयोग कितना सफल होंगा यह तो भविष्य के गर्भ में है!
                  इस समय हमारे कॉलेज में 25 वित्तपोषित और 35 स्ववितपोषित शिक्षक कार्यरत है और विश्विद्यालय परीक्षा नियमावली के अनुसार 20 छात्रों पर 1 परिप्रेक्षक का प्रावधान है।
हम इस गुत्थी को नही सुलझा पा रहे है कि जब आजतक न गोरखपुर विश्विद्यालय और न ही सिद्धार्थ विश्विद्यालय के पास इन स्ववितपोषित महाविद्यालयों के असली आधार वाले, पैन वाले,बैंक खाते से वेतन पाने वाले  कितने स्ववितपोषित शिक्षक कार्यरत है ये आंकड़ा नही है तो यह परीक्षा कैसे कराएंगे!इस परीक्षा में कोई मनरेगा का मजदूर भी तैयार नही होंगा क्योकि इसमें परिप्रेक्षक को मात्र 90 रुपये प्रति पाली पारिश्रमिक मिलता है!(अगर वह दिन पर मजदूरी करेगा तो अधिकतम 180 रुपये ही मजूरी पायेगा)!
                आप से निवेदन है कि यदि आप भी गोरखपुर विश्विद्यालय की भांति ही परीक्षा कराने को संकल्पित हैं तो कृपया हमारे कॉलेज में कम से कम एक बटालियन पीएससी और एक 108 नम्बर की मेडिकल एम्बुलेंस की व्यवस्था जरूर करा दीजिएगा।

                                      निवेदक:

                        हम सभी लात -गाली खाये 
                                 सुदामा शिक्षक

Comments

Popular posts from this blog

मुर्गों ने जब बाँग देना छोड़ दिया..

                मत बनिए मुर्गा-मुर्गी! एक आदमी एक मुर्गा खरीद कर लाया।.. एक दिन वह मुर्गे को मारना चाहता था, इसलिए उस ने मुर्गे को मारने का बहाना सोचा और मुर्गे से कहा, "तुम कल से बाँग नहीं दोगे, नहीं तो मै तुम्हें मार डालूँगा।"  मुर्गे ने कहा, "ठीक है, सर, जो भी आप चाहते हैं, वैसा ही होगा !" सुबह , जैसे ही मुर्गे के बाँग का समय हुआ, मालिक ने देखा कि मुर्गा बाँग नहीं दे रहा है, लेकिन हमेशा की तरह, अपने पंख फड़फड़ा रहा है।  मालिक ने अगला आदेश जारी किया कि कल से तुम अपने पंख भी नहीं फड़फड़ाओगे, नहीं तो मैं वध कर दूँगा।  अगली सुबह, बाँग के समय, मुर्गे ने आज्ञा का पालन करते हुए अपने पंख नहीं फड़फड़ाए, लेकिन आदत से, मजबूर था, अपनी गर्दन को लंबा किया और उसे उठाया।  मालिक ने परेशान होकर अगला आदेश जारी कर दिया कि कल से गर्दन भी नहीं हिलनी चाहिए। अगले दिन मुर्गा चुपचाप मुर्गी बनकर सहमा रहा और कुछ नहीं किया।  मालिक ने सोचा ये तो बात नहीं बनी, इस बार मालिक ने भी कुछ ऐसा सोचा जो वास्तव में मुर्गे के लिए नामुमकिन था। मालिक ने कहा कि कल...

ये अमीर, वो गरीब!

          नागपुर जंक्शन!..  यह दृश्य नागपुर जंक्शन के बाहरी क्षेत्र का है! दो व्यक्ति खुले आसमान के नीचे सो रहे हैं। दोनों की स्थिति यहाँ एक जैसी दिख रही है- मनुष्य की आदिम स्थिति! यह स्थान यानी नागपुर आरएसएस- राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की राजधानी या कहिए हेड क्वार्टर है!..यह डॉ भीमराव आंबेडकर की दीक्षाभूमि भी है। अम्बेडकरवादियों की प्रेरणा-भूमि!  दो विचारधाराओं, दो तरह के संघर्षों की प्रयोग-दीक्षा का चर्चित स्थान!..एक विचारधारा पूँजीपतियों का पक्षपोषण करती है तो दूसरी समतामूलक समाज का पक्षपोषण करती है। यहाँ दो व्यक्तियों को एक स्थान पर एक जैसा बन जाने का दृश्य कुछ विचित्र लगता है। दोनों का शरीर बहुत कुछ अलग लगता है। कपड़े-लत्ते अलग, रहन-सहन का ढंग अलग। इन दोनों को आज़ादी के बाद से किसने कितना अलग बनाया, आपके विचारने के लिए है। कैसे एक अमीर बना और कैसे दूसरा गरीब, यह सोचना भी चाहिए आपको। यहाँ यह भी सोचने की बात है कि अमीर वर्ग, एक पूँजीवादी विचारधारा दूसरे गरीबवर्ग, शोषित की मेहनत को अपने मुनाफ़े के लिए इस्तेमाल करती है तो भी अन्ततः उसे क्या हासिल होता है?.....

जमीन ज़िंदगी है हमारी!..

                अलीगढ़ (उत्तर प्रदेश) में              भूमि-अधिग्रहण                         ~ अशोक प्रकाश, अलीगढ़ शुरुआत: पत्रांक: 7313/भू-अर्जन/2023-24, दिनांक 19/05/2023 के आधार पर कार्यालय अलीगढ़ विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष अतुल वत्स के नाम से 'आवासीय/व्यावसायिक टाउनशिप विकसित' किए जाने के लिए एक 'सार्वजनिक सूचना' अलीगढ़ के स्थानीय अखबारों में प्रकाशित हुई। इसमें सम्बंधित भू-धारकों से शासनादेश संख्या- 385/8-3-16-309 विविध/ 15 आवास एवं शहरी नियोजन अनुभाग-3 दिनांक 21-03-2016 के अनुसार 'आपसी सहमति' के आधार पर रुस्तमपुर अखन, अहमदाबाद, जतनपुर चिकावटी, अटलपुर, मुसेपुर करीब जिरोली, जिरोली डोर, ल्हौसरा विसावन आदि 7 गाँवों की सम्बंधित काश्तकारों की निजी भूमि/गाटा संख्याओं की भूमि का क्रय/अर्जन किया जाना 'प्रस्तावित' किया गया।  सब्ज़बाग़: इस सार्वजनिक सूचना के पश्चात प्रभावित ...