डॉ. भीमराव अम्बेडकर, राहुल सांकृत्यायन और बौद्धधम्म - अशोक प्रकाश 14 अप्रैल देश की जनता और बुद्धिजीवियों के लिए एक खास तारीख है। देश के दो प्रखर बुद्धिजीवियों के स्मरण का यह एक विशेष दिन है!...इस दिन जहाँ 'संविधान_निर्माता' माने जाने वाले डॉ. भीमराव आंबेडकर की जयंती पड़ती है, वहीं देश के अप्रतिम साहित्यकार राहुल सांकृत्यायन की निधन-तिथि!... राजनीतिक गलियारों ने डॉ. भीमराव अम्बेडकर के नाम को आत्मसात कर लिया है!..देश भर में #अम्बेडकर_जयंती के अवसर पर आज उनकी वन्दना, पूजा की जाती है... इसके लिए रैलियां निकाली जाती हैं। वर्णवादी उत्पीड़न-अत्याचार को जातिवादी स्वरूप देकर डॉ. अम्बेडकर को भुनाने का काम उनके समर्थक और अनुयायी ही नहीं, उनके वैचारिक-राजनीतिक विरोधी भी कर रहे हैं! दोनों के निष्कर्षों में आज कोई विशेष अंतर भी नहीं रह गया है। डॉ. अम्बेडकर ने जिस तबके के शोषण-उत्पीड़न को समाप्त करने के लिए आजीवन संघर्ष किया, आज वह वोटबैंक बनकर चकरघिन्नी बना हुआ है!... आज भी डॉ. #अम्बेडकर
CONSCIOUSNESS!..NOT JUST DEGREE OR CERTIFICATE! शिक्षा का असली मतलब है -सीखना! सबसे सीखना!!.. शिक्षा भी सामाजिक-चेतना का एक हिस्सा है. बिना सामाजिक-चेतना के विकास के शैक्षिक-चेतना का विकास संभव नहीं!...इसलिए समाज में एक सही शैक्षिक-चेतना का विकास हो। सबको शिक्षा मिले, रोटी-रोज़गार मिले, इसके लिए जरूरी है कि ज्ञान और तर्क आधारित सामाजिक-चेतना का विकास हो. समाज के सभी वर्ग- छात्र-नौजवान, मजदूर-किसान इससे लाभान्वित हों, शैक्षिक-चेतना ब्लॉग इसका प्रयास करेगा.