Skip to main content

Posts

Showing posts with the label अशफ़ाक़ उल्ला

19 दिसंबर: काकोरी कांड के शहीद क्या इसीलिए शहीद हुए?..

                          काकोरी की व्यथा:             क्या कहते हैं #काकोरी के बाशिन्दे? 19 दिसंबर, 1927 को जब अंग्रेज जालिमों ने अमर शहीद राम प्रसाद बिस्मिल, अशफ़ाक़ उल्ला खाँ तथा रोशन सिंह को फाँसी पर लटका दिया तो सोचा नहीं होगा कि एक दिन उनके राज का अंत हो जाएगा और ये शहीद जनता के प्रति समर्पण और त्याग के प्रतीक बन जाएंगे। इसके पहले 17 दिसंबर को वे अमर शहीद राजेन्द्र लाहिड़ी की जिंदगी भी फांसी के फन्दे पर लटकाकर ले चुके थे। आज इन शहीदों की शहादत को नमन करने का दिन है।  लेकिन साथ ही आज के शासकों को भी याद दिलाने का दिन है ये अमर शहीद इस बात की कल्पना भी नहीं किए होंगे जो आज ये कर रहे हैं। देश के जल, जंगल, जमीन सब ये शासक ईस्ट इंडिया कम्पनी से भी खतरनाक कम्पनियों को सौंपते जा रहे हैं। क्या यह इन शहीदों की शहादत का अपमान नहीं है?    आज शासक आम जनता से अधिक ककोरी कांड का महोत्सव मनाते हैं। वे ऐसा दिखाने का प्रयास करते हैं जैसे वे भी इस 'कांड' का समर्थन करते हैं। लेकिन उनके यह सब करने-धरने का एक ही मतलब-मक़सद है- जनता यह माने कि इन शासकों को गद्दी पर पहुँचाने के लिए ही आज़ादी के शहीद