किसानों की तकलीफों से निकला है किसान आंदोलन संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं ने सिंघु बॉर्डर पर एक सभा में कहा कि किसानों के दर्द से निकला है यह किसान आंदोलन और जब तक किसानों की किसानों की माँगें पूरी नहीं हो जातीं, तब तक चलेगा! सिंघु बॉर्डर पर किसानों को संबोधित करते हुए नेताओ ने कहा कि इस आंदोलन में किसानों को किसान न कहकर उन्हें अन्य पहचान से जोड़ा गया व उनकी शिक्षा पर भी सवाल किया गया। किसान नेताओं ने इसे स्पष्ट करते हुए कहा कि यहां आंदोलन कर रहे किसान को किसान की ही पहचान से जाना जाए और किसानों को यह कानून पूरी तरह समझ आ गए है, इसीलिए यह आंदोलन इतना मजबूत है। मोर्चा ने बताया कि 10 मई को सिंघु व टिकरी बॉर्डर पर किसानों के बड़े काफिले आये। कई जगह पर किसानों का स्वागत किया गया। ट्रेक्टर, कारों व अन्य वाहनों में आये इन किसानों ने मोर्चे को बड़ा करते हुए पहले की तरह टेंट और ट्रॉली में रहने का इंतज़ाम कर लिया है। किसानों का धरना लंबा होता जा रहा है। दिल्ली मोर्चो पर लंबी कतारों में किसानों के टेंट, ट्रॉली व अन्य वाहन पिछले 5 महीने से खड़े है। किसानों के क
CONSCIOUSNESS!..NOT JUST DEGREE OR CERTIFICATE! शिक्षा का असली मतलब है -सीखना! सबसे सीखना!!.. शिक्षा भी सामाजिक-चेतना का एक हिस्सा है. बिना सामाजिक-चेतना के विकास के शैक्षिक-चेतना का विकास संभव नहीं!...इसलिए समाज में एक सही शैक्षिक-चेतना का विकास हो। सबको शिक्षा मिले, रोटी-रोज़गार मिले, इसके लिए जरूरी है कि ज्ञान और तर्क आधारित सामाजिक-चेतना का विकास हो. समाज के सभी वर्ग- छात्र-नौजवान, मजदूर-किसान इससे लाभान्वित हों, शैक्षिक-चेतना ब्लॉग इसका प्रयास करेगा.