किसानों की तकलीफों से निकला है किसान आंदोलन
संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं ने सिंघु बॉर्डर पर एक सभा में कहा कि किसानों के दर्द से निकला है यह किसान आंदोलन और जब तक किसानों की किसानों की माँगें पूरी नहीं हो जातीं, तब तक चलेगा!
सिंघु बॉर्डर पर किसानों को संबोधित करते हुए नेताओ ने कहा कि इस आंदोलन में किसानों को किसान न कहकर उन्हें अन्य पहचान से जोड़ा गया व उनकी शिक्षा पर भी सवाल किया गया। किसान नेताओं ने इसे स्पष्ट करते हुए कहा कि यहां आंदोलन कर रहे किसान को किसान की ही पहचान से जाना जाए और किसानों को यह कानून पूरी तरह समझ आ गए है, इसीलिए यह आंदोलन इतना मजबूत है।
मोर्चा ने बताया कि 10 मई को सिंघु व टिकरी बॉर्डर पर किसानों के बड़े काफिले आये। कई जगह पर किसानों का स्वागत किया गया। ट्रेक्टर, कारों व अन्य वाहनों में आये इन किसानों ने मोर्चे को बड़ा करते हुए पहले की तरह टेंट और ट्रॉली में रहने का इंतज़ाम कर लिया है।
किसानों का धरना लंबा होता जा रहा है। दिल्ली मोर्चो पर लंबी कतारों में किसानों के टेंट, ट्रॉली व अन्य वाहन पिछले 5 महीने से खड़े है। किसानों के कटाई के सीजन के बाद वापस आने का सिलसिला अब जारी रहेगा।
कोरोना महामारी के कारण देशवासियों को बहुत भयानक दौर से गुजरना पड़ रहा है। सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यवस्था के कुप्रबंधन के कारण आज हज़ारो लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है। महामारी के इस दौर में भी सरकार निजीकरण को बढ़ावा दे रही है। यह स्पष्ट रूप से गरीब लोगों सहित देश के बड़ी जनसंख्या पर हमला है। शिक्षा, स्वास्थ्य व कृषि सेक्टर में सरकार को निवेश बढ़ाना चाहिए। सरकार किसान की फसल के उचित दाम व खरीद की गारन्टी लेते हुए MSP पर कानून बनाये व किसान विरोधी तीनों कानूनो को रद्द करे।
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