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26 मई का 'काला दिवस' क्या सीख देगा जनता को?..

                    किसान-मजदूर विरोधी निरंकुश                        शासकों के खिलाफ़ 'काला-दिवस'        


बहुत से लोगों के मन में सवाल उठता है कि किसान आंदोलन से कोरोना बढ़ रहा है? यह भी कि अगर किसान आंदोलन से कोरोना बाधा है तो चुनावों की भीड़ों से क्या हुआ है?...आखिर ग्रामीणों के स्वास्थ्य की स्थिति क्या है इन हालातों में?...किसान संगठन के फेसबुक लाइव कार्यक्रम में किसान नेताओं ने सवालों के माक़ूल जवाब दिए!..पढ़ें, यह विशेष प्रेस विज्ञप्ति:

★ देश भर के सभी जिलों में 26 मई को काला दिवस मनाया जाएगा!

★ किसान आंदोलन से नहीं,  चुनाव और कुंभ मेला से देश में कोरोना बढ़ा है!

★ग्रामीण आबादी को स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने में सरकार पूरी तरह विफल!

     26 मई को किसान आंदोलन के 6 महीने पूरे होने और किसान विरोधी मोदी सरकार के निरंकुश कुशासन के 7 साल पूरे होने पर संयुक्त किसान मोर्चा और अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति  के फेस बुक पेज से किसान की बात का फेसबुक लाईव प्रसारित करते हुए 'काला दिवस' मनाने पर विचार प्रस्तुत किए गए।

           उल्लेखनीय है कि तीन किसान विरोधी कानून रद्द करने, बिजली संशोधन बिल 2020 वापस लेने, सभी कृषि उत्पादों की लागत से डेढ़ गुना दाम पर खरीद की कानूनी गारंटी की मांग को लेकर 550 किसान संगठनों के संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा दिल्ली की बॉर्डरों पर चल रहे किसान आंदोलन को 26 मई को छह माह पूरे होंगे।

          सरकार किसानों की मांगों पर बिल्कुल ध्यान नहीं दे रही है इस कारण संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा 26 मई को देशव्यापी काला दिवस मनाने का निर्णय लिया है। फेसबुक लाइव को संबोधित करते हुए पश्चिम बंगाल से अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के वर्किंग ग्रुप के सदस्य अविक शाह ने कहा कि- मोदी सरकार ने  2014 के  कार्यकाल में सबसे पहले किसानों से जमीन छीनने का कानून बनाया था ताकि इंडस्ट्री को सुविधा हो। इसके लिए सरकार अध्यादेश लाई। जमीन छीनने के कानून का सभी ने  पुरजोर विरोध किया। आखिरकार उसे कानूनी रूप नहीं दिया जा सका। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार सिर्फ किसान मजदूर विरोधी ही नहीं, जनविरोधी भी है। खेती किसानी के बजट से किसानों के लिए कोई काम नहीं हुए है। सरकार सोईल हेल्थ कार्ड योजना भी हर किसान तक नही पंहुचा सकी है।

उन्होंने कहा कि 26 मई को देश भर के सभी जिलों में काला दिवस मनाया जाएगा।

     ऑल इंडिया किसान सभा के संयुक्त सचिव केरल के बीजू कृष्णन ने कहा कि लाखों किसान कृषि संकट के कारण आत्महत्या कर रहे है। केरल में धान की खेती के लिए पंचायत द्वारा 17 हजार रूपये प्रति हेक्टेयर सब्सिडी दी जाती है। मोदी सरकार किसानों को छह हजार रूपये सालाना देकर ढिंढोरा पीट रही है।

       रैयत कृषि कर्मकार संगठन, कर्नाटक के एच वी दिवाकर ने कहा कि मोदी सरकार कृषि कानूनों को रद्द कराने को लेकर आपराधिक चुप्पी साधे हुए है। पांच राज्यों के चुनाव प्रचार और कुंभ मेला से देश में कोरोना बढ़ा है। जिसको लेकर देश भर के लोगों में आक्रोश है। मौतों का तांडव जारी है।

       अखिल भारतीय किसान महासभा के राष्ट्रीय सचिव पुरुषोत्तम शर्मा ने कहा कि चार लाख से अधिक गांव में कोरोना संक्रमण फैल चुका है। गांवों के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में डॉक्टर, दवाई, ऑक्सीजन एवं संसाधन का अभाव है जिससे गांव में रहने वाली अधिकांश आबादी प्रभावित हुई है। सरकार कोरोना से मरने वाले मरीजों का आंकड़ा छुपा रही है। बीमारी आपदा प्रबंधन के तहत गांव स्तर पर कोरोना संक्रमण से मौत की सूची जारी कर चार लाख रूपये मुआवजा राशि देने की मांग की जानी चाहिए।

       टिकरी बॉर्डर से पंजाब की महिला किसान नेत्री सुश्री जसवीर कौर ने कहा कि मोदी सरकार सार्वजनिक उपक्रम समाप्त करने पर तुली हुई है । किसान एक तरफ कोरोना महामारी से तथा दूसरी तरफ किसान विरोधी कानून वापस कराने के लिए सरकार से निपट रहे है।  उन्होंने कहा कि किसान आंदोलन में किसान महिलाएं  बड़े पैमाने पर  शिरकत कर रही हैं तथा हरियाणा की महिलाओं ने हाल ही में हिसार में आंदोलन की अगुवाई कर आंदोलन को नई ऊर्जा प्रदान की है ।

       अखिल भारतीय किसान सभा (अजय भवन) के टी.लेनिन ने कहा कि केनिया से लेकर अमरीका तक  कृषि में खुले बाजार की नीति फेल हो चुकी है । जैसे अंग्रेजों ने देश को उपनिवेश बनाया था उसी तरह किसानों को सरकार अम्बानी - अडानी का गुलाम बना रही है। यह कारपोरेट के लिए, कारपोरेट द्वारा चलाई जा रही, कारपोरेट की सरकार है ।

       ऑल इंडिया किसान मजदूर सभा के ओडिसा से राष्ट्रीय सचिव भालचंद्र सडंगी ने कहा कि लोग ऑक्सीजन नहीं मिलने से जान गवां रहे है । सरकार इलाज का इंतजाम करने की बजाय भय का माहौल पैदा कर रही है। उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में किसान, महिला, युवा,आदिवासी सभी पुरजोर विरोध प्रदर्शन करेंगे।

        ग्रामीण किसान मजदूर समिति के अध्यक्ष राजस्थान से रंजीत सिंह राजू ने कहा कि  भाजपा सरकार ने 7 साल के कार्यकाल में एक भी संस्थान नहीं बनाया है, जो संस्थान थे उन्हें बेचा है। संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले आज देश भर में सभी किसान संगठन एक मंच पर आकर एमएसपी की मांग कर रहे हैं। कोरोना काल में सरकार पर भरोसा न करते हुए,आपस में भाईचारा बढ़ाते हुए हम किसान आंदोलन की ताकत बढ़ाऐंगे।

     तेलंगाना राष्ट्र रैयत संघ की राज्य सचिव  सुश्री पदमा ने कहा कि केंद्र सरकार जनविरोधी सरकार है।  गांव में 15% तथा शहर में 20% तक गरीबी बढ़ी है। बुजुर्गों, महिलाओं, दलितों में यह 50% से अधिक पहुंच चुकी है।

    झारखंड से अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के संयोजक महेंद्र पाठक ने कहा कि केंद्र सरकार सीएए-एनआरसी विरोधी आंदोलन की तरह किसान आंदोलन के प्रति  हठधर्मिता अपना रही है। झारखंड में संसाधन होने के बावजूद लोग आर्थिक तंगी, भुखमरी से मर रहे हैं। इसकी जिम्मेदार भाजपा सरकार ही है। उन्होंने कहा कि कारपोरेट की नजर झारखंड के प्राकृतिक संसाधनों पर है।

      अखिल भारतीय क्रांतिकारी किसान सभा के राष्ट्रीय सचिव छत्तीसगढ़ के तेजराम विद्रोही ने कहा कि किसान आंदोलन  कारपोरेट राज के खिलाफ है। जब कोई सामाजिक कार्यकर्ता, नेता पत्रकार,लेखक, कवि सरकार की नीतियों का विरोध करते हैं तब उन्हें यूएपीए के तहत जेल में डाल दिया जाता है। लॉकडॉन की वजह से जब कंपनियां बंद हो गई थी तब कृषि क्षेत्र ने ही जीडीपी को संभाले रखा था। 

       फेस बुक लाइव कार्यक्रम का संचालन अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के वर्किंग ग्रुप के सदस्य मध्य प्रदेश  के डॉ सुनीलम ने किया। उन्होंने बताया कि पहले दिन फेसबुक लाइव 50,000 से अधिक किसानों ने देखा। यह फेसबुक लाइव अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति एवं संयुक्त किसान मोर्चा के पेज से फेस बुक लाइव किया जा रहा है।                                   

                                  ★★★★★★

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