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चुनाव परिणामों से किसानों को क्या मिला?

किसान आंदोलन

                              चुनाव परिणाम:

                     किसान-आंदोलन की नैतिक जीत

 


सिंघु बॉर्डर पर चुनाव परिणाम पर खुशी मनाते किसान

भले ही किसान आंदोलन हाल में हुए विधान सभा चुनावों में भाजपा की हार को अपनी नैतिक जीत मान रहा है; किन्तु सच यह है कि इन चुनावों से भाजपा को नुकसान की जगह फायदा हुआ है। उसका सबसे बड़ा फ़ायदा उसकी सीटों में बढ़ोत्तरी के अलावा ईवीएम-चुनाव के पक्ष में बना माहौल है। अब उत्तरप्रदेश के चुनाव ही असल में यह स्पष्ट करेंगे कि भाजपा का चुनावी जनाधार वाकई घटा है या नहीं! पढ़ें संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा जारी पूरी प्रेस-विज्ञप्ति:

संयुक्त किसान मोर्चा ने राज्य विधानसभा चुनावों में भाजपा के खिलाफ जनादेश का स्वागत किया, जिसके आज परिणाम सामने आए। पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु और केरल में, यह स्पष्ट है कि जनता ने भाजपा की विभाजनकारी सांप्रदायिक राजनीति को खारिज कर दिया है। ऐसे गंभीर संकट के समय में जब देश अपने स्वास्थ्य सेवा संबंधी बुनियादी ढाँचे के मामले में आपदा का सामना कर रहा है, अनेक योजनाओ के अभाव के कारण बहुत से निर्दोष नागरिक इस सरकार की घोर उपेक्षा के शिकार हो रहे हैं, और ऐसे समय में जब लोगों को आजीविका के बड़े संकट का सामना करना पड़ रहा है, बीजेपी ने अपने सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के एजेंडे को फैलाने की कोशिश की। चुनाव आयोग पर संस्थागत हमले व मिलीभगत कर भाजपा ने चुनाव जीतना चाहा। चुनाव आयोग से अनैतिक व गैरकानूनी सहायता और चुनाव अभियानों में भारी संसाधनों को खर्च करने के बावजूद इन राज्यों में भाजपा की हार होना यह दर्शाता है कि नागरिकों ने भाजपा और उसके सहयोगी दलों के इस एजेंडे को खारिज कर दिया है।

"प्रदर्शनकारी किसान पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि भाजपा का सांप्रदायिक ध्रुवीकरण एजेंडा अस्वीकार्य है; यह नागरिकों का एक सांझा संघर्ष है, जो अपनी आजीविका की रक्षा करने के साथ साथ देश के धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने को बचाने के लिए भी है। विभिन्न राज्यों के मतदाताओं ने भाजपा को दंडित करने के सयुंक्त किसान मोर्चा के अभियान को सफल बनाया है। भाजपा का यह एजेंडा बिल्कुल फेल रहा है जिसमें उन्होंने नागरिकों की आजीविका के मुद्दों - किसान विरोधी केंद्रीय कृषि कानूनों और मज़दूर-विरोधी श्रम कोड को चुनावी मुद्दा ना बनाने में प्रयास किये। हम बंगाल और अन्य राज्यों के नागरिकों को किसानों को समर्थन देने के लिए बधाई देते हैं।  हम अब पूरे भारत के किसानों से अपील करते हैं कि वे अपने प्रतिरोध को मजबूत करें, और अधिक से अधिक संख्या में आंदोलन में शामिल हों। यह आंदोलन उन लोकतांत्रिक मूल्यों को प्रसारित करना जारी रखेगा, जो हमारे संविधान की सुरक्षा करते है व उद्देश्यों को पूरा करते हैं। किसान अपनी मांगें पूरी होने तक खुद को और मजबूत करेंगे".

अब भाजपा की नैतिक जिम्मेदारी है कि आज के परिणामो को स्वीकार करें व किसानों से बातचीत कर तीन कृषि कानून रद्द करें व MSP की कानूनी गांरटी दे। हम एक बार पुनः स्पष्ट कर रहे है कि किसानों का यह आंदोलन तब तक खत्म नहीं होगा जब तक मांगे नहीं मानी जाती। साथ ही भाजपा व सहयोगी दलों का बॉयकॉट भी जारी रहेगा। सरकार किसानों मजदूरो को अपना दुश्मन बनाने की बजाय कोरोना महामारी व अन्य आर्थिक संकट से लड़े।

सयुंक्त किसान मोर्चा की 9 सदस्यीय कोर कमेटी ने युवा आन्दोलनकारी मोमिता बासु के आकस्मिक निधन पर शोक व्यक्त किया है। पश्चिम बंगाल से किसानों के धरने में पहुंची मोमिता लगातार किसान मोर्चो पर डटी हुई थी। उनका यह बलिदान किसानी संघर्ष में याद रखा जाएगा।

संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं ने कोरोना के नाम पर पंजाब सरकार द्वारा लगाए जा रहे प्रतिबंध और किसानों पर दर्ज पुलिस केसों की कड़ी निंदा की है। नेताओं ने कहा नूरपुर-बेदी (रोपड़) में हुई किसान कांफ़्रेस में पंजाब स्टूडेंट्स यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष रणवीर सिंह रंधावा, राज्य वरिष्ठ उपाध्यक्ष हरदीप कौर कोटला, कीर्ति किसान मोर्चा के नेताओं बीर सिंह, जगमनदीप सिंह पढ़ी, रूपिंदर संदोया, मिस्त्री मजदूर यूनियन के नेता तरसेम सिंह जटपुर और गायक पम्मा डुमेवाल पर पंजाब पुलिस नूरपुरबेदी (रोपड़) द्वारा मामला दर्ज किया गया है। कुछ दिन पहले मोगा पुलिस ने युवा किसान नेता सुखजिंदर महेश्री और विक्की महेश्री के खिलाफ भी मामला दर्ज किया था। पंजाब सरकार को लोगों के संघर्षों पर रोक लगाना तुरंत बंद करें और युवा किसान नेताओं के खिलाफ दर्ज पर्चे को तुरंत रद्द करें अन्यथा इन कार्यों के खिलाफ संघर्ष किया जाएगा।

जारीकर्ता - 

बलवीर सिंह राजेवाल, हनन मौला, जोगिंदर सिंह उग्राहां, जगजीत सिंह डल्लेवाल, गुरनाम सिंह चढूनी, योगेंद्र यादव, युद्धवीर सिंह, डॉ दर्शन पाल, अभिमन्यु कोहाड़।

samyuktkisanmorcha@gmail.com

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