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An unforgettable Martyr of Peasants' Movement

          A great soldier of Country!


Ongoing peasants' struggle in India has been proven not only a historic struggle of Indian people against authoritarian approach of government on repeal of anti-farmer three recent Acts, but also a struggle of heroic personalities sacrificing their life for the Nation they loved. One of these personalities was Major Khan who served peasants' movement in the same way as he served Indian Army before retirement.

Many of people going to Singh border of kisan dharna must have seen him with Dr Darshan Pal or at Singhu. Major Khan was active in farmers protest since August, 2020. He was at Singhu from last more than 5 months. He did not go to his home even once. He had informed his family that he will come home only after winning this sangharsh. He was doing hundreds of works behind the camera. From taking care of food to the logistics work of morcha. He used to sleep hardly 5 hours a day. He never shied from any kind of work. Whatever important work he found he used to do immediately. He had no land. He was from a Muslim family. He had served in the Indian Army for 24 years. His passion for this movement was unbreakable.He took his last breath in Columbia Hospital, Patiala. 

After sad demise of Major Khan people lost a real hero. A hero who didn't wait for any appreciation or even acknowledgement. A hero who taught love and empathy. A hero who was a strong voice against Three Farm Laws.

"With my experience of staying at the protest from day one"- Dr Darshan Pal, one of leaders of Sanyukta Kisan Morcha- SKM added, "I must say people like him are the backbone of this movement. This is not a loss of only movement, Krantikari Kisan Union, his family or his friends, this is the loss for humanity. Deep condolences and tribute to Major Khan".

                              ★💐💐😔😔😔😔💐💐★

Comments

  1. पटियाला के झण्डी गावं के मेजर खान का आज निधन हो गया। मेजर खान, जो 24 साल भारतीय सेना में सेवा कर अब किसानों के लिए संघर्ष कर रहे थे, किसान आंदोलन के लिए एक अमूल्य थे। वे 26 नंवबर, 2020 के बाद एक बार भी वे अपने घर नहीं गए थे लगातार सिंघु बॉर्डर पर थे। मेजर खान का जाना दुःखद है! 8 मार्च, 2020 को जब मैं सिन्धु बॉर्डर पर दर्शनपाल जी का इंटरव्यू लेने गया था, तब मेरी मुलाकात उनसे हुयी थी। इंटरव्यू के बाद जब संयुक्त किसान मोर्चा के टेंट में बैठा रहा क्योंकि उस दिन मुझे यूनिवर्सिटी की क्लास लेनी थी। कुछ देर पहले ही दर्शनपाल जी ने अपना इन्टरनेट कनेक्शन मुझसे शेयर किया और चले गए थे। मैं अकेला क्लास ले रहा था, तभी मेजर खान आये, उन्होंने एक व्यक्ति से कहा भी इनको चाय दो, तब एक व्यक्ति चाय लेकर आया था। चाय बहुत शानदार थी, उन्होंने मेरा नाम पूछा, क्या करते हो आदि। तभी दर्शनपाल जी आये और उन्हें बुलाया। उंनसे कुछ बात हुयी थी शानदार व्यक्तित्व था उनका। इनके पास एक स्प्लेंडर मोटर साइकिल थे जिसपर इंडियन आर्मी लिखा था. मोटरसाईकिल के अगले टायर के शोकर पर झंडा लगाने के लिए दो आयताकार पाईप बेल्डिंग की हुयी दिखी थी, जिसमें उन्होंने दो झंडे लगाये थे। एक तरह भारतीय झंडा (इंडियन फ्लैग) दूसरी तरह संयुक्त किसान मोर्चा का झंडा। जब मैं सिन्धु बॉर्डर पहुंचा तो दर्शनपालजी मुख्य मंच से 7 या 8 किलो मीटर पीछे किसी टेंट में थे। क्योंकि उस दिन महिला दिवस भी था। पंजाब और हरियाण से बहुत सी महिलाएं आयीं थीं। पूछते पूछते मैं वहां पहुंचा था, आन्दोलन से जुड़े एक व्यक्ति ने मेजर खान का नंबर मुझे व्हाट्सएप किया था। जब मैंने मेजर खान को फ़ोन किया, ‘उन्होंने कहा सड़क पर एक टेंट है वहीं आओ।’ क्योंकि वो पंजाबी बोल रहे थे, मैं बड़ा उदास था इतना कि मैं वापिस जा रहा था। तभी एक सरदारजी दिखे सोचा आखिरी बार उनसे पूंछू तो उन्होंने एक टेंट दिखाया। वहीँ पर मेजर खान से मेरी मुलाकत हुयी थी। दर्शनपाल जी ने कहा कुछ साधन हैं आपके पास मैंने कहा नहीं! इसके बाद मेजर खान की मोटरसाईकिल लेकर आये। वो बड़ी शानदार मोटरसाइकिल चलाते दिखे। बीच में दर्शनपाल जी बैठे और उनके पीछे मैं। मैं दंग था उनके जोश और फुर्ती को देखकर। जब दर्शनपाल जी का इंटरव्यू प्रकाशित हुआ, जिसका लिंक मैंने उनको भी भेजा था तब उन्होंने धन्यवाद लिखकर भेजा। अल्लाह उन्हें जन्नत अता करे। सोचता ही रहा कभी उनसे ढेर साड़ी बात करूँगा। जो संभव न हो सका। विनम्र श्रद्धांजलि!

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    1. शुक्रिया भाई, यह जीवंत जानकारी साझा करने के लिए। हमारा देश ऐसे ही व्यक्तित्वों के बलबूते आज भी, लाख बाधाओं के बावजूद जनपक्षधर संघर्षों को आगे बढ़ा रहा है। शहीद साथी को भावभीनी श्रद्धांजलि!...

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