देखो, राजा नंगा है!..
एक देश में एक राजा हुआ करता था।
उसको नये-नये प्रयोग करने का शौक था।
सारे प्रयोग वह अपनी प्रजा और अपने कर्मचारियों पर करता था।
एक दिन उसने एक खाई खुदवाई और उसमें आग के अंगारे दहकाये।
इसके बाद उसने अपने कर्मचारियों को आदेश दिया कि सभी को इन अंगारो पर से गुजरना है
इन अंगारों जो गुजर जाएगा, उसकी नौकरी बची रहेगी।
अगर कोई अंगारो से गुजरते हुऐ मर जायेगा तो उसको पचास लाख का मुआवजा मिलेगा।
लेकिन जो अंगारो से गुजरने से मना कर देगा उसको नौकरी से निकाल दिया जाएगा।
कर्मचारियों ने मजबूर होकर राजा के आदेश को माना और दहकते हुये अंगारो से गुजरना शुरू किया।
बड़ी मुश्किल से कुछ लोग पार कर पाये।
मगर पर करते समय कुछ लोगों के पैर जल गये, कुछ फिसल गये तो उनके हाथ-मुँह सब जल गये।
कुछ उसी आग में गिर गये जिनको घसीट कर निकाला गया।
किन्तु इनमें से तीन लोग उसी आग में भस्म हो गये जिनको आग से बचाने में लोग नाकाम रहे।
इस प्रयोग के दो-चार दिन बाद जो लोग उस आग से झुलस गये थे उनकी जिन्दगी नरक बन गयी ।
एक-एक कर लोग दम तोड़ने लगे और दम तोड़ने का सिलसिला इतना बढ़ा की मरने वालों की तादात हज़ारों में पहुंच गयी।
प्रजा में हाहाकार मच गया। त्राहि माम, त्राहि माम करते लोग जब लोगों ने धर्मराज के दरबार में अर्जी लगाई तो धर्मराज भी कर्मचारियों की दशा से अत्यंत द्रवित हुए।
धर्मराज ने आदेश दिया कि मरे हुए सभी कर्मचारियों के परिजनों को पचास लाख नहीं, कम से कम एक करोड़ मुआवजा दिया जाए।
राजा तो राजा ठहरा, न उसे शर्म न उसे लाज!
राजा धर्मराज के आदेश से खुन्नस मान इसकी काट ढूँढ़ने लगा। उसने जांचकर मुआवज़ा देने का बहाना बनाया।
पहले मृत कर्मचारियों के विभाग के अधिकारियों को इस संकेत के साथ जाँच रिपोर्ट बनाने के लिए कहा गया कि उन्हें भी अभी नौकरी करनी है।
विभागीय अधिकारी कर्मचारियों के नज़दीक थे, लाख कोशिशों के बावज़ूद वे जीते-जी मक्खी न निगल पाए और सैकड़ों लोगों की मृत्यु की रिपोर्ट राजा तक पहुँचा दी।
राजा तो राजा! उसे लगा कि प्रजा की चमड़ी निचोड़ वह पैसे कर्मचारियों के लिए नहीं अपनी शान-बान और दरबारियों को खुश रखने के लिए वसूलता है।
इसलिए जब लोगों ने आग से झुलसकर मरे हुए कर्मचारियों के लिए राजा से मुआवजे की माँग की तो राजा ने कहा, 'हमने जो आग जलायी थी उससे तो सिर्फ तीन ही लोग मरे हैं। मैं तीन लोगों का ही मुआवजा दूँगा, बाकी लोग तो हमारी इमेज खराब करने के लिये मर रहे हैं!...मुआवज़ा कैसा?..
लोग हतप्रभ हैं। वे राजा को नाक़ाबिल और बेग़ैरत तो मानते थे लेकिन इतना नंगा न जानते थे। इसलिए पूरी पृथ्वी पर गली-गली में आज तक एक शोर सुनाई देता है-
'राजा करता पंगा है, देखो राजा नंगा है!...'
(एक वायरल प्रतीक-कथा पर आधारित)
★★★★★★★
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