वो जा रहे हैं... - अशोक प्रकाश वो जा रहे हैं तुम संभालो अपनी दिल्ली तुम्हारे दिमाग में घुसा वायरस न जाने फिर कब फट पड़े!.. उन्होंने जब-जब तुम पे भरोसा किया धोखा खाया... समझते हो कि सच सिर्फ़ तुम समझते हो सच कोई फ़िल्मी हीरो नहीं है ज़नाब वह हारता भी है तुम कितना भी लिख लो कहीं भी - सत्यमेव जयते! माना कि तुम्हारा राज है सड़कें भी तुम्हारी हैं रेल भी खाना-पीना सोना-जागना सब तुम्हारे अधीन है मगर सपने- मत छेड़ो उन्हें वे जग गए तो कहीं के न रहोगे जनाबे-आली! तुम्हारा जीतना ही तुम्हारी हार है तुम नहीं मानोगे इतिहास को भी नहीं स्वीकारोगे... लेकिन हो सके तो आंखें खोलकर देख लो वे जा रहे हैं तुम्हारे सारे प्रतिबंधों तुम्हारे आकाओं के सारे उपबन्धों क...
CONSCIOUSNESS!..NOT JUST DEGREE OR CERTIFICATE! शिक्षा का असली मतलब है -सीखना! सबसे सीखना!!.. शिक्षा भी सामाजिक-चेतना का एक हिस्सा है. बिना सामाजिक-चेतना के विकास के शैक्षिक-चेतना का विकास संभव नहीं!...इसलिए समाज में एक सही शैक्षिक-चेतना का विकास हो। सबको शिक्षा मिले, रोटी-रोज़गार मिले, इसके लिए जरूरी है कि ज्ञान और तर्क आधारित सामाजिक-चेतना का विकास हो. समाज के सभी वर्ग- छात्र-नौजवान, मजदूर-किसान इससे लाभान्वित हों, शैक्षिक-चेतना ब्लॉग इसका प्रयास करेगा.