हिन्दी काव्य कोरोना-काल के चलते विश्वविद्यालयों/महाविद्यालयों में भौतिक रूप से कम कक्षाएं चल पाने के चलते विद्यार्थियों के सामने पाठ्यक्रम पूरा करने की चुनौती तो है ही। साथ ही परीक्षा-उत्तीर्ण करने से ज़्यादा बड़ी चुनौती पूरे पाठ्यक्रम को आत्मसात करने की है। क्योंकि पता नहीं कि परीक्षाएँ ओएमआर सीट पर वस्तुनिष्ठ हों या विस्तृत-उत्तरीय? विद्यार्थी इस चुनौती का सामना कैसे करें, इसके लिए यहाँ कुछ तरीके बताए जा रहे हैं। इसके पहले के लेख में विद्यार्थियों को समय-सारिणी बनाकर अध्ययन करने की आवश्यकता बताई गई थी। जो विद्यार्थी ऐसा कर रहे होंगे उन्हें इसके लाभ का अनुभव जरूर मिल रहा होगा। यहाँ आदिकालीन हिन्दी के तीन कवियों- विद्यापति, गोरखनाथ एवं अमीर खुसरो तथा निर्गुण भक्ति काव्य के दो कवियों- कबीर एवं मलिक मोहम्मद जायसी के महत्त्वपूर्ण एवं स्मरणीय बिंदुओं को रेखांकित करने का प्रयास किया जा रहा है। वस्तुतः ये ही हिन्दी विशाल हिन्दी काव्यधारा के आधार कवि हैं जिनकी भावभूमियों पर आगे की कविता का महल खड़ा हुआ है। उम्मीद है कि विद्यार्थी इसका लाभ भी अवश्य उठाएंगे! (1) व
CONSCIOUSNESS!..NOT JUST DEGREE OR CERTIFICATE! शिक्षा का असली मतलब है -सीखना! सबसे सीखना!!.. शिक्षा भी सामाजिक-चेतना का एक हिस्सा है. बिना सामाजिक-चेतना के विकास के शैक्षिक-चेतना का विकास संभव नहीं!...इसलिए समाज में एक सही शैक्षिक-चेतना का विकास हो। सबको शिक्षा मिले, रोटी-रोज़गार मिले, इसके लिए जरूरी है कि ज्ञान और तर्क आधारित सामाजिक-चेतना का विकास हो. समाज के सभी वर्ग- छात्र-नौजवान, मजदूर-किसान इससे लाभान्वित हों, शैक्षिक-चेतना ब्लॉग इसका प्रयास करेगा.