हिन्दी काव्य
(1) विद्यापति (जन्म1380- निधन 1448 ई.):
मुख्य रचनाएं- 1. विद्यापति 'पदावली' - मैथिली भाषा में (2) 'कीर्तिलता' -राजा कीर्ति सिंह की प्रेमगाथा पर आधारित अवहट्ठ (पुरानी हिन्दी) की रचना (3) 'कीर्ति पताका' अवहट्ठ (पुरानी हिन्दी) की रचना। विद्यापति की भाषा को 'देसिल बयना' नाम से ख्याति प्राप्त है। विद्यापति को 'मैथिल कोकिल' नाम से अलंकृत किया गया है। विद्यापति की अधिकांश रचनाएँ श्रृंगार से ओतप्रोत हैं। आचार्य रामचंद्र शुक्ल के अनुसार- "विद्यापति के अधिकांश पद श्रृंगार के ही हैं, जिनमें नायिका और नायक राधा-कृष्ण हैं।" कुछ विद्वान विद्यापति के पदों में भक्ति का भी अनुभव करते हैं। किंतु 'विद्यापति श्रृंगारी कवि हैं या भक्त कवि?...' के प्रश्न का उत्तर देने में अधिकांश उन्हें श्रृंगारी कवि ही सिद्ध करते हैं। लेकिन आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी के अनुसार विद्यापति के " पदों ने बंगाल, आसाम और उड़ीसा के वैष्णव भक्तों को खूब प्रभावित किया..."
(2) गोरखनाथ (जन्म- 1050 विक्रमी संवत के लगभग- डॉ पीताम्बर दत्त बड़थ्वाल, निधन- बारहवीं शताब्दी के प्राम्भ में, जन्म-मृत्यु काल अनिश्चित एवं विवादित):
पुरानी हिंदी या अवहट्ट इन उनकी लगभग 40 कृतियों की चर्चा होती है। यद्यपि इन सभी कृतियों के बारे में सुनिश्चित रूप से नहीं कहा जाता कि ये गोरखनाथ की रचनाएं ही हैं। डॉ. पीताम्बर दत्त बड़थ्वाल ने जिन 14 रचनाओं को प्रामाणिक माना है, वे निम्नवत हैं:
1. सबदी
2. पद
3. सिष्या दरसन,
4. प्राण संकली
5. नरवै बोध
6. आत्मबोध
7. अभै मात्रा जोग
8. पन्द्रह तिथि
9. सप्तवार
10. मछीन्द्र गोरखबोध
11. रोमावली
12. ग्यान तिलक
13. पंच मात्रा
14. ग्यान चौंतीसा
इन ग्रंथों में सबदी, पद, प्राण संकली, नरवै बोध, आत्मबोध, मछीन्द्र गोरखबोध, ग्यान तिलक और ग्यान चौंतीसा ग्रंथों से गोरखनाथ के विचारों की विविधता का पता चलता है। और देखें: नाथ सम्प्रदाय गोरखनाथ ।
(3) अमीर खुसरो मूल नाम अबुल हसन (जन्म- 1198ई. निधन- 1267 ई.), पटियाली, कासगंज। जलालुद्दीन खिल्ज़ी द्वारा अमीर की उपाधि देने के बाद अमीर खुसरो नाम से मशहूर हुए। मूलतः फारसी के कवि। 'हिंदवी' में लिखी गई रचनाएँ । अरबी एवं फारसी भाषाओं के अलावा 'हिंदवी' भाषा पर भी उनका अधिकार था। उनका कहना था: ' मैं हिंदुस्तान की तूती हूँ। अगर तुम वास्तव में मुझसे जानना चाहते हो तो हिन्दवी में पूछो।' - हिन्दी साहित्य कोश, भाग 2।
मुख्य रचनाएँ: (1) मल्लोल अनवर (2) शिरीन खुसरो (3) मजनू लैला (4) आईने-ए-सिकन्दरी (5) हश्त विहिश्त । अमीर खुसरो के नाम से हिन्दी भाषा में पहेलियां, मुकरियाँ, दो सूखने और कुछ ग़ज़लें प्रसिद्ध हैं। इसके अलावा उनके कसीदे, तरजीआत आदि भी उनकी रचनाएँ हैं।
(4) संत कबीर ( जन्म 1398 ई., निधन-1494 या 1498 ई.। 'हिन्दी साहित्य कोश ( भाग-2) में उल्लिखित है:
प्रमुख रचनाएँ- (1) पद्मावत (2) अखरावट (3) आखिरी क़लाम
हिंदी के उपरोक्त पाँच कवि हिन्दी काव्यधारा के आधार स्तम्भ हैं। इनके आधार पर ही आगे की विविध काव्यधाराएँ विकसित होती हैं। इन कवियों से सम्बंधित जिन पाँच प्रमुख प्रश्नों पर बहुधा चर्चा की जाती है, वे हैं:
(1) क्या गोरखनाथ को प्रारम्भिक (आदिकालीन) हिन्दी का प्रथम कवि माना जा सकता है? यदि हाँ तो इसका आधार क्या है?
(2) क्या विद्यापति आदिकालीन कवि कहे जा सकते हैं? यदि हाँ तो विद्यापति की किन मुख्य काव्यगत विशेषताओं के आधार पर?
(3) क्या अमीर खुसरो खड़ी बोली हिन्दी के प्रथम कवि हैं? यदि हाँ तो हिन्दी की मुख्य काव्यधारा में उनका महत्त्व कैसे रेखांकित किया जा सकता है?
(4) हिन्दी का सन्त-काव्य (निर्गुण काव्य) सगुण काव्य का आधार कहा जा सकता है? कबीर की किन विशेषताओं के आधार पर उन्हें अन्य भक्तिकालीन कवियों से अधिक प्रगतिशील माना जाता है?
(5) मसनवी शैली से क्या तात्पर्य है? क्या पद्मावत मसनवी शैली की रचना है? मलिक मोहम्मद जायसी का भक्तिकाव्य में प्रमुख योगदान क्या है?
हिन्दी की विशाल काव्यधारा को समझने के लिए उपरोक्त प्रश्नों पर विचार आवश्यक है। इन प्रश्नों के उत्तर हमें हिन्दी काव्य की विकसित हुई विविध प्रवृत्तियों के संकेत देते हैं।
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