Skip to main content

Posts

Showing posts with the label भाई-बहन

भाई/बहन के घर जाओ, अकाल-मृत्य भय से अभय हो जाओ!

                             भैया-दूज:         अकाल-मृत्य भय से अ भय होने का दिन                              ~ आचार्य कृष्णानंद स्वामी हमारे देश के सभी त्यौहार सामाजिक संबंधों को प्रगाढ़ बनाने के त्यौहार है। पारिवारिक नातों-रिश्तों के साथ सामाजिक एकजुटता और भाईचारे के भी ये त्यौहार प्रतीक हैं। सभी त्यौहारों के पीछे कोई न कोई एक मिथकीय पारम्परिक कथा जुड़ी है जिसके सहारे शिक्षित-अशिक्षित जन-सामान्य इन त्यौहारों से भावनात्मक रूप से जुड़ जाता है। इन कथाओं में सामाजिक प्रेरणाएँ निहित हैं जो जीवन में खुशियां लाने का संदेश देती हैं। भैया-दूज, भाई-दूज या भ्रातृ-द्वितीया भी इसी तरह का एक ऐसा त्यौहार है जिसमें भाई-बहन के रिश्ते को और प्रगाढ़ करने का संदेश है। भैया-दूज की पारम्परिक कथा: मान्यता है कि भैया-दूज का यह त्यौहार यमराज और उनकी बहन यमुना के बीच अटूट प्रेम-सम्बन्ध का प्रतीक है। यमराज जैसे मनुष्यों के अंतकाल (मृत्यु) के 'देवता' के भय को, विशेषकर अकाल मृत्यु भी को मनुष्यों के मन से निकालने के लिए यह त्यौहार महत्त्वपूर्ण है। मान्यता के अनुसार कार्तिक मास की शुक्लपक्ष द्वितीया के दिन यमर