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कोरोना_टाइम्स: कोरोना का आतंक और उठते सवाल

                                  #कोरोना_का_आतंक                                    और उठते सवाल कोरोना_वायरस ने पूरी दुनिया की जनता में तहलका मचा रखा है! लगभग पूरी दुनिया के शासक इस वायरस के संक्रमण को लेकर जितने गम्भीर और प्रचार-प्रसार में लीन हैं; उतना तो शायद ड्रॉप्सी, hiv, सॉर्स, इबोला, स्वाइन फ्लू आदि के समय भी नहीं थे!...ठीक भी है, अगर इसकी बीमारी का कोई इलाज ही नहीं है तो चिंता तो करना ही चाहिए! लेकिन डॉ बिस्वरूप रॉय चौधरी जैसे कुछ मनीषी ऐसे हैं जो इसके कई दूसरे पक्ष बता रहे हैं। इसके टेस्ट किट्स, वैक्सीन आदि के बिक्री अधिकार आदि को लेकर अमरीका-चीन की दोस्ती और समझौते की भी चर्चा है। दुनिया के शासकों और विश्व स्वास्थ्य संगठन जैसे जिम्मेदार संगठनों को ऐसे उठते सवालों का जवाब जरूर देना चाहिए! हमारे देश में लॉकडाउन के बाद प्रवासी कामगारों की परेशानी का जो  मंज़र सामने आया, लॉकडाउन की घोषणाओं और कोरोना के आतंक को उन्होंने अपनी भूख और परेशानियों के सामने जिस तरह अर्थहीन समझा, उससे समस्या और भी विकराल हो गई है। स्वास्थ्य की चिंता से सम्बंधित एक अन्य पहलू भी लोगों

लॉकडाउन: वो जा रहे हैं...

                                   वो जा रहे हैं...                                                    - अशोक प्रकाश वो जा रहे हैं तुम संभालो अपनी दिल्ली तुम्हारे दिमाग में घुसा वायरस न जाने फिर कब फट पड़े!.. उन्होंने जब-जब तुम पे भरोसा किया धोखा खाया... समझते हो कि सच सिर्फ़ तुम समझते हो सच कोई फ़िल्मी हीरो नहीं है ज़नाब वह हारता भी है तुम कितना भी लिख लो कहीं भी - सत्यमेव जयते! माना कि तुम्हारा राज है सड़कें भी तुम्हारी हैं रेल भी खाना-पीना सोना-जागना सब तुम्हारे अधीन है मगर सपने- मत छेड़ो उन्हें वे जग गए तो कहीं के न रहोगे जनाबे-आली! तुम्हारा जीतना ही तुम्हारी हार है तुम नहीं मानोगे इतिहास को भी नहीं स्वीकारोगे... लेकिन हो सके तो आंखें खोलकर देख लो वे जा रहे हैं तुम्हारे सारे प्रतिबंधों तुम्हारे आकाओं के सारे उपबन्धों को तोड़कर... डरो तुम और तुम्हारे मालिकान सदियों उन्होंने डर को हराया है डराने वालों को धूल चटाया है अजेय समझे जाने वाले राजाओं-महाराजाओं को ही नहीं- एक से एक क्रूर और खूंखार जानवरों को मार गिराया है.. सावधा

फिर कोरोना की मार: आम आदमी लाचार

                                कोरोना की मार : चौपट_बाज़ार                       https://youtu.be/38silJo8LNo                     एक बार फिर कोरोना की काली छाया दिलोदिमाग पर  छा गया है। बेरोजगारी की मार झेल रहे मजदूरों की दशा सबसे बुरी है। लेकिन बाजार पर भी यह मार कम नहीं है। एक तरफ़ कालाबाजारी करने वाले सक्रिय हैं जिससे उपभोक्ताओं का हाल बुरा है तो दूसरी तरफ ईमानदार दुकानदारों की दशा खराब है। लगातार दुकानें बंद रहने के आदेशों के चलते चोरी-छुपे दुकान खोलने वाले एकतरफ कोरोना से आतंकित हैं, दूसरी तरफ दुकान खुली होने पर पकड़े जाने का डर!...सबसे मुश्किल में छोटे दुकानदार और रेहड़ी-पटरी वाले हैं। थोड़ी देर के लिए खुलने वाले लॉकडाउन में किसी को ग्राहक मिले, किसी को नहीं!..आ म आदमी की ज़िंदगी में वैसे भी कहाँ कम मुश्किलें हैं!...उस पर यदि कोई अनहोनी मुसीबत आ जाए और उसकी रोज़ी-रोटी चलना मुश्किल हो जाए तो सिर पर पहाड़ ही आ टूटता है!... #कोरोना कहर बनकर रोज कमाने-खाने वाले दिहाड़ी मज़दूरों पर ही नहीं टूट पड़ा है, छोटा-मोटा रोजगार-धंधा करके अपना परिवार पालने वाले ठेली-रेहड़ी वालों, सब्ज़ी