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क्या है छायावाद और उसकी कविता?

                छायावाद, प्रमुख कवि           और काव्य-रचनाएँ ★ 'छायावाद' शब्द का पहली बार प्रयोग सन 1920 में मुकुटधर पांडेय द्वारा जबलपुर से प्रकाशित होने वाली पत्रिका 'श्री शारदा' में प्रकाशित उनके लेख 'हिन्दी में छायावाद' में किया गया। ★ रामचन्द्र शुक्ल छायावाद का प्रवर्तक कवि मुकुटधर पांडेय और मैथिलीशरण गुप्त को मानते हैं। ★ आचार्य नन्द दुलारे वाजपेयी ने  छायावाद का प्रवर्तन सुमित्रानंदन पंत की कृति 'उच्छ्वास' (1920) से माना है। ★ इलाचंद्र जोशी ने जयशंकर प्रसाद को छायावाद का प्रवर्तक माना है। ★ प्रभाकर माचवे व विनय मोहन शर्मा माखनलाल चतुर्वेदी को छायावाद का प्रवर्तक मानते हैं। ★ रामचन्द्र शुक्ल: " छायावाद का चलन द्विवेदी-काल की रूखी इतिवृत्तात्मकता की प्रतिक्रिया के रूप में हुआ था।.." ★ सुमित्रानंदन पंत ने छायावाद को 'अलंकृत संगीत' कहा है। ★ महादेवी वर्मा छायावाद को 'केवल सूक्ष्मगत सौंदर्य सत्ता का राग' कहा है। ★ डॉ. राम कुमार वर्मा के अनुसार- 'परमात्मा की छाया आत्मा में पड़ने लगती है और आत्मा की परमात्मा म