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Showing posts from February, 2020

केंद्रीय बज़ट में शिक्षा

                                केंद्रीय_बज़ट में शिक्षा                                              -  डॉ.रमेश बैरवा                                               प्रांतीय संयुक्तसचिव                                               (RUCTA), राजस्थान         *केंद्रीय बजट 2020-21 में शिक्षा की भी की गई है घोर उपेक्षा *शिक्षा के व्यावसायीकरण को बढ़ावा देना जनविरोधी कदम  *इस बजट का विरोध करने की शिक्षक साथियों से है पुरजोर अपील मोदी सरकार का  बजट 2020-21 घोर जन विरोधी है। इस बजट में शिक्षा की भी घोर उपेक्षा की गई है,जिस पर शिक्षक समुदाय भी कड़ा विरोध प्रकट करता है। आज तक के सबसे लंबे बजट भाषण में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा वित्त वर्ष 2020-21 के लिए 3042230 लाख करोड़ रुपये का केंद्रीय बजट पेश किया है। इसमें स्कूली शिक्षा के लिए 59845 करोड़ रुपये एवं उच्च शिक्षा हेतु 39466 करोड़ रुपये शिक्षा के लिए आवंटित किए हैं। शिक्षा पर कुल आवंटन 99300 करोड़ रुपये रखा गया है। बजट में नई शिक्षा नीति को लागू करने, शिक्षा में विदेशी निवेश लाने,गरीब तबके के लिए ऑनलाइन कोर्स शुरू करने एवं शिक्षा

सोई हुई जातियाँ पहले जागेंगी

                      https://youtu.be/kzwBYuHjR1Y                      सोयी हुई जातियां पहले जागेंगी !                                                   प्रस्तुति : गुरचरन सिंह मुंशी प्रेमचंद के नाम का जिक्र तो काफी होता है प्रगतिशील लेखक मंच से दलित समस्याओं को उठाने के लिए, लेकिन महाप्राण निराला जैसे 'कान्यकुब्ज ब्राह्मण' ने भी ऐसा कुछ कहा या लिखा होगा, यह तो मेरे लिए भी एक सुखद आश्चर्य से कम नहीं था। यह दूसरी बात है कि लगभग एक सदी बाद भी कुछ अपवादों को छोड़ कर हालात न केवल जस के तस बने हुए हैं बल्कि और भी बिगड़े हैं ! लेकिन सिर्फ बाबा साहेब ही नहीं कुछ और भी संवेदनशील व जिम्मेदार लोग इस दिशा में सोच रहे थे, सक्रिय थे, सबूत है इस बात का कि कोई भी सामाजिक आंदोलन किसी एक खास तबके की बपौती नहीं हो सकता ! पांच अंगुलियां जब आपस में मिलती हैं, मुट्ठी तभी बनती है ! इसलिए #महाप्राण_सूर्यकांत_त्रिपाठी_निराला जैसा कद्दावर भविष्यद्रष्टा कवि जब 1930 में भी जब कुछ ऐसा कह जाता है जिसे कहने में हम आज भी डर जाते हैं संविधान की अनेक गारंटियों के बावजूद तो हैरानी तो होगी ही !  पेश