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हुज़ूर, आपके नीचे से जमीन खिसक रही है!..

              उत्तरप्रदेश: जीत कि हार?.. #कर्नाटक में हार से तिलमिलाए भाजपा-भक्त अब मोदी-मोदी का नारा न लगा उत्तरप्रदेश-उत्तरप्रदेश कह रहे हैं। वे योगी के बुलडोज़र-राज को तो रामराज्य का आदर्श मान ही रहे हैं, अपने 'अगले प्रधानमंत्री' को अभी भी करिश्माई कह रहे हैं। प्रदेश में नगरीय निकाय चुनावों को वे इसके उदाहरण के रूप में पेश कर रहे हैं। यह सही है कि सपा, कांग्रेस, बसपा, रालोद सहित सभी राजनीतिक दल महापौर या मेयर की 17 में से एक भी सीट नहीं जीत पाए। यह सीबीआई, ईडी, बुलडोज़र का खौफ़ हो  अथवा जनता के जातिवाद या मूढ़ता के प्रति उनका अटूट भरोसा, बाकी राजनीतिक दलों ने कोई विशेष कोशिश भी नहीं की। शहरों के मेयर पद-लोलुप पूंजीपतियों का गणित भी इन राजनीतिक दलों की अपेक्षा 'चुप बैठो' की रणनीति को अपने लिए बेहतर मानता रहा है। इसलिए विपक्ष के कुछ महत्त्वाकांक्षी व्यक्तियों को छोड़ महापौर के चुनाव को इन दलों ने गम्भीरता से नहीं लड़ा। वैसे भी उन्हें पता था कि राज्य में भाजपा सरकार के रहते अन्य किसी दल के मेयर को काम करना बहुत मुश्किल होता है, वह उनके 'मन-मुताबिक' काम नहीं कर पाता।

जय बजरंगबली, तोड़ दी घमण्ड की नली

                       जय बजरंगबली!         तोड़ दी घमंड की नली!! बड़ी कृपा करी गणराज!... रक्खा अपने सर पे ताज!!  ऐसा लगता है जैसे 'कर्नाटक वाले हनुमानजी,  निजी करण, मंदी, महंगाई, बेरोजगारी, और सार्वजनिक संपत्तियों की बिक्री के साथ ,  चाइना विस्तार को लेकर काफी दुखी हैं।  हनुमान जी को वैसे भी , घमंड पूर्वक ऊंची ऊंची फेंकने वालों से बहुत प्रॉब्लम है! फिलहाल कर्नाटक ने साबित कर दिया कि , *नाटक ,नौटंकी, तमाशा, उछल कूद , उम्दा उम्दा कपड़ा लत्ता 'झूठे वादे' पुरानी आदतें.....* "दीदी ओ दीदी" .... सोनार बांग्ला के बाद.... ,  *कर्नाटक को नंबर 1 देख कर खुशी हो रही है*! यह 'पप्पू' की जीत है या प्रियंका की कि दिल पर हथौड़े भरा महंगाई की चोट सहने वाली जनता की ?  या महिला पहलवानों का दर्द .... जिसका गुस्सा कर्नाटक में....  बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ के रूप में फूट पड़ा हो। *सतपाल मलिक ने पुलवामा के 42 जवानों की शहादत का बयान भी इसी बुरे मौके पर दिया*!  जब कर्नाटक में उस्ताद जी का बतरस जादू मन की बात,  बुरी तरह फेल हो गया। काश, पुलिस सीबीआई ईडी और ऐसी ही संवैधानिक संस्थाएं , के