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कैसा शिक्षक-दिवस?...

शिक्षक-दिवस?...क्या शिक्षक-दिवस?            प्राथमिक शिक्षा और उसके शिक्षकों की व्यथा-कथा !            पांच सितम्बर, 2019 को पूरे उत्तर प्रदेश के शिक्षक 'प्रेरणा ऐप' को दुष्प्रेरणा ऐब यानी बुरी नीयत से जबरन सेल्फी-प्रशासन लागू करने की कोशिश मानते हुए विरोध-प्रदर्शन एवं धरने पर रहे!  शिक्षकों का मानना है कि तथाकथित 'प्रेरणा' ऐप अमेरिकी सर्वर द्वारा संचालित एक ऐसा असुरक्षित ऐप है जिसका परिणाम शिक्षकों को गैर-ज़िम्मेदार, कामचोर, लापरवाह, अनुशासनहीन आदि सिद्ध करके उनका वेतन काटना, अनुपस्थित दिखाकर दंडित करना, नौकरी से बर्खास्त करना आदि होना है।  पिछले कुछ समय से शिक्षकों को फंसाने के इस तरह के हथकण्डे अपनाए जा रहे हैं जिससे ऐसा प्रतीत होता है शासन-प्रशासन की नज़र में समाज का जैसे सबसे बड़ा दोषी और नाकारा वर्ग शिक्षकों का ही है! लेकिन अर्थव्यवस्था की खामियों से जूझ रही सरकारों का असल मकसद शिक्षा-व्यय  में  कटौती ही प्रतीत होता है! शायद इसीलिए शिक्षकों की नौकरी मांग रहे न केवल लाखों बेरोजगार नौजवान बल्कि किसी तरह नौकरी पा गए शिक्षक भी उसे बोझ की तरह लग रहे हैं!...

कोई सवाल न उठाएं..

                          समय आ गया है...                                                               - अशोक प्रकाश   समय आ गया है कि हम पहले ताली बजायें फिर अपनी पीठ थपथपाएँ कि... 'आपके अवशेष और वेतन भुगतान हेतु स्वीकृत बजट विधान सभा और विधान परिषद में प्रस्तुत कर दिया गया है... और जल्दी ही दोनों जगहों से पारित हो जाएगा।...' कि आपकी #पुरानी_पेंशन की मांग जल्द पूरी हो जाएगी... इसलिये जरूरी है कि हम इस पर कोई सवाल न उठाएं सिर्फ़ ताली बजायें मसलन... घोषणाओं को मिल गया, मिल गया- बतायें क्या-क्या नहीं मिला या चला गया... - ऐसे सवाल नहीं उठाएं... नीला, हरा होते हुए जो #भगवा हो गया है उसकी विजय-पताका फहरायें इसे शिक्षक समुदाय की बहुत बड़ी जीत बताएं जोर-जोर से चिल्लाएं! उसे विधानसभा या संसद पहुंचाने का जश्न मनायें अभी से माला पहनाएं! समय आ गया है उसे नेता बनाएं खुद भाड़ में जाएं!....                           ★★★★★