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नरक की कहानियाँ: 2~बनो दिन में तीन बार मुर्गा!..

व्यंग्य-कथा :                       दिन में तीन बार मुर्गा बनने का आदेश:                                 और उसके फ़ायदे                                                     - अशोक प्रकाश     मुर्गा बनो जैसे ही दिन में कम से कम तीन बार मुर्गा बनने का 'अति-आवश्यक' आदेश निकला, अखबारों के शीर्षक धड़ाधड़ बदलने लगे। चूंकि इस विशिष्ट और अनिवार्य आदेश को दोपहर तीन बजे तक वाया सर्कुलेशन पारित करा लिया गया था और पांच बजे तक प्रेस-विज्ञप्ति जारी कर दी गई थी, अखबारों के पास इस समाचार को प्रमुखता से छापने का अभी भी मौका था। एक प्रमुख समाचार-पत्र के प्रमुख ने शहर के एक प्रमुख बुद्धिजीवी से संपर्क साधकर जब उनकी प्रतिक्रिया जाननी चाही, उन्होंने टका-सा जवाब दे दिया। बोले- "वाह संपादक महोदय, वाह!...आप चाहते हैं कि इस अति महत्वपूर्ण खबर पर अपना साक्षात्कार मैं यूं ही मोबाइल पर दे दूँ!....यह नहीं होगा। आपको मेरे घर चाय पीनी पड़ेगी, यहीं बातचीत होगी और हाँ, मेरे पारिश्रमिक का चेक भी लेते आइएगा ताकि साक्षात्कार मधुर-वातावरण में स