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कोरोना_टाइम्स: जिंदगी दुश्वार होती जा रही...

                    एक ग़ज़ल                               - अखिलेश कुमार शर्मा जिंदगी  दुश्वार  होती  जा  रही। हर  दवा  बेकार  होती जा रही। भेड़िये का काम मुश्किल कर रही भेड़  भी   गद्दार  होती  जा  रही । भाग जाती है झटक कर हाथ ही तू  तो अब सरकार होती जा रही। मछलियों ने जाल खुद ही चुन लिए योजना  साकार   होती   जा  रही । अबतो पैसों की खनक सुनती है बस जानेमन  अखबार   होती  जा  रही ।।                               -  फेसबुक से साभार                       ★★★★